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Saahsi aur Karmsheel hi Safal hota hai “साहसी और कर्मशील ही सफल होता है” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12.

साहसी और कर्मशील ही सफल होता है

Saahsi aur Karmsheel hi Safal hota hai

सफलता की देवी केवल उन्हीं लोगों को दर्शन देती है जो अपना सब कुछ उसको अर्पण कर देते हैं। सफलता केवल चाहने अथवा माँगने से प्राप्त नहीं होती। इसके लिए व्यक्ति को संघर्ष करना पड़ता है, पसीना बहाना पड़ता है और त्याग करना पड़ता है। साहसी व्यक्ति ही इसका पात्र होता है।

कायर व्यक्ति सोचता ही रहता है। वह अपने द्वारा परिकल्पित प्रत्येक कार्य के लाभ-हानि पर ही विचार करता रहता है परन्तु उसे कभी कर नहीं पाता। वह छलाँग लगाने से पहले देखता है परन्तु छलाँग कभी नहीं लगाता। परन्तु साहसी व्यक्ति काम में जुट जाता है। वह इसके लिए दी जाने वाली कीमत का हिसाब नहीं लगाता। यदि कोई काम करना है तो इसे हर कीमत पर करना है।

सिकन्दर महान ने विश्वविजय का बीड़ा उठाया था। मकदूनिया के बहुत से लोगों ने उसे इस मूर्खतापूर्ण अभियान से रोका था। उनके अनुसार, यह अँधेरे में लाठी घुमाने के समान था। परन्तु सिकन्दर ने दृढ़ निश्चय कर रखा था और उसमें कूद पड़ा। उसका उत्साह और वीरता बहुत रंग लायी। ट्राय, फारस, अफगानिस्तान और यहाँ तक कि उत्तर-पश्चिमी भारत ने भी उसके सामने घुटने टेक दिये। उसने एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया और इतिहास में अपना नाम अमर कर गया।

नेपोलियन भी एक वैसे ही जादूगर का नाम था। वह परिणामों से कभी नहीं डरता था। जब उसके सेना ने कहा कि आल्प्स पर चढ़ना असम्भव है तो उसने गरज कर कहा था, “असम्भव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है।” और जहाँ बुद्धिमान किन्तु कार सेनापति असफल रहे वहाँ नेपोलियन सफल हुआ। आल्प्स पर विजय पा ली गई।

कोलम्बस एक साहसी नाविक था। वह भारत के मार्ग का पता लगाने के लिए समुद्र को पार करना चाहता था। स्पेन के राजा के दरबारियों ने इस सारी परियोजना को निरर्थक, खतरनाक और मूर्खतापूर्ण कह कर रद्द कर दिया परन्तु कोलम्बस ने दृढ़ निश्चय कर लिया था। अनगिनत कठिनाइयाँ और खतरे उसे इस खोज के मार्ग से नहीं डिगा सके। और वह वीर पुरुष विजेता बना। एक व्यक्ति के साहस और पहल ने विश्व की सीमाओं को क्षितिज का विस्तार दिया। युद्ध के क्षेत्र की तरह ही विज्ञान के क्षेत्र में भी वीर पुरुष हुए हैं। अनेक वर्षों के परीक्षणों और संकटों के बाद मैडम क्यूरी ने रेडियम का आविष्कार किया था। गरीबी और भूख उसके मार्ग को अवरुद्ध करते रहे। उसके मित्रों और पड़ोसियों ने उसके द्वारा किये जा रहे मूर्खतापूर्ण और निरर्थक प्रयासों की खिल्ली उड़ायी। परन्तु उसका हृदय लक्ष्य पर केन्द्रित था। और जब उसने विश्व की इस दुर्लभ धातु का पता लगा लिया तो निन्दा करने वाले वही लोग उसके निष्ठावान उपासक बन गये। आज तक मानवता ने जितनी प्रगति की है वह उन वीर पुरुषों के उत्साहपूर्ण और अथक प्रयासों का ही परिणाम है जो कठिनाइयों की परवाह किये बिना अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हुए।

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