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Rola Chhand Ki Paribhasha, Ang, Bhed, Chhand ke Prakar aur Udahran | रोला छन्द की परिभाषा, अंग, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण
रोला छन्द
Rola Chhand
रोला सम मात्रिक छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण चौबीस मात्राओं वाला होता है। ग्यारह और तेरह मात्राओं पर विराम होता है।
नीलांबर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडप हैं।
बंदी जन खग वृंद, शेष प्राण सिंहासन है।
नव उज्जवल जल धार, हार हीरक सी सोहति।
बिच-बिच छहरति बूंद, मध्य मुक्ता-मनि पोहति।
लोल लहर बहिं पवन एक पै इस इमि आवत।
जिमि नर गन लौं विविध, मनोरथ करत मिटावत।