एकता में शक्ति संगठन में शक्ति मिलजुल कर कार्य करने की शक्ति को ही संगठन या एकता कहते है | संगठन सब प्रकार की शक्तियों का मूल है | कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना भी समृद्ध हो , शक्तिशाली हो अथवा बुद्धिमान हो , अकेले अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति नही कर सकता है | वह केवल दुसरो के सहयोग से ही अपनी आवश्यकताओ को पूरा कर सकता है | कोई भी...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages9 Comments
ब्रह्मचर्य ब्रह्मचर्य, एक विशेष प्रकार के रहन-सहन, संयम-अनुशासनपूर्ण जीवन जीने की एक प्रकिया का नाम है | इस दृष्टि से तो कोई भी व्यक्ति आजीवन ब्रह्मचर्य –व्रत का पालन करते हुए, ब्रह्मचारी बन कर रह सकता है | पहले के समय में तो लोग प्राय ; ऐसा जीवन बिताया करते थे | आज भी साधु-महात्माओं के रूप में अनेक लोग ऐसा ब्रह्मचर्य जीवन जीने वाले है | भारतीय परम्परा में मनुष्य...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नारी शिक्षा नारी शिक्षा का महत्त्व जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है यह तो नारी हो या पुरुष दोनों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है | शिक्षा का कार्य तो व्यक्ति के विवेक को जगाकर उसे सही दिशा प्रदान करना है | शिक्षा सभी का समान रूप से हित –साधन किया करती है | परन्तु फिर भी भारत जैसे विकासशील देश में नारी की शिक्षा का महत्त्व इसलिए अधिक है...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समय का महत्त्व (सदुपयोग) संसार में समय को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एव मूल्यवान धन माना गया है | अंत हमे इस मूल्यवान धन अर्थात समय को व्यर्थ ही नष्ट नही करना चाहिए | क्योकि बिता हुआ समय वापस नही लौट पाता | इसके विषय में एक कहावत प्रसिद्ध है – “गया वक्त फिर हाथ आता नही | समय किसी की प्रतीक्षा नही करता”| समय का महत्त्व इस बात से भी स्पष्ट...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
सत्संगति Satsangati या सत्संग के लाभ Satsang ke Labh निबंध नंबर :01 सत्संगति से तात्पर्य है सज्जनों की संगति में रहना , उनके गुणों को अपनाना तथा उनके अच्छे विचारों को अपने जीवन में उतारना | सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य को किसी-न- किसी का संग अवश्य चाहिए | यह संगति जो वह पाता है अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी | यदि उसकी संगति अच्छी है तो...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
परिश्रम का महत्त्व परिश्रम से अभिप्राय उस प्रयत्न से है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है | मनुष्य की उन्नति का एकमात्र साधन उसके द्वारा किया गया परिश्रम ही है | सभी प्रकार की धन – सम्पत्तियाँ और सफलताएँ निरन्तर किए गे परिश्रम से ही प्राप्त हुआ करती है | ऐसा कहा जाता है कि ‘उद्दोगिनम पुरुष सिह्नुपैत्ति लक्ष्मी :” अर्थात उद्दोग या परिश्रम...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments
व्यायाम के लाभ निबंध नंबर : 01 व्यायाम से अभिप्राय है अपने तन –मन को स्वस्थ, सुन्दर और निरोग बनाए रखने के लिए किया गया परिश्रमपूर्ण कार्य या प्रयास | सर्वप्रसिद्ध उक्ति ‘पहला सुख निरोगी काया’ के अनुसार शरीर का स्वस्थ व निरोग रहना ही सबसे बड़ा सुख है | अस्वस्थ व रोगी व्यक्ति संसार के सुखो का भोग कदापि नही कर सकता है | स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम अत्यन्त...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
देशाटन के लाभ निबंध नंबर : 01 देशाटन से अभिप्राय है प्राकृतिक और भौगोलिक विभिन्नताओ-विविधताओं से सम्पन्न अपने देश के अलग – अलग भू-भागो , हिस्सों या प्रान्तों का भ्रमण करके वहाँ के रूप रंग, रहन- सहन , रीती –नीतियों आदि के दर्शन करना | देशाटन मनुष्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है | यह मनुष्य को आनन्द प्रदान करने के साथ – साथ उसके अनुभव और ज्ञान में वृद्धि करता है...
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February 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment