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Jab Bharat Dusri Baar Vishva-Vijeta Bna “जब भारत दूसरी बार विश्व-विजेता बना” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12 and Higher Classes Students.

जब भारत दूसरी बार विश्व-विजेता बना

Jab Bharat Dusri Baar Vishva-Vijeta Bna

28 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद भारत 2 अप्रैल 2011 को मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप विजेता बना और करोड़ों देशवासियों का सपना पूरा हुआ। भारत, वेस्टइंडीज (1975, 1979) एवं आस्ट्रेलिया के बाद दूसरा ऐसा देश बना जिसने क्रिकेट विश्व कप एक से ज्यादा बार जीता है।

भारतीय क्रिकेट इतिहास में 2 अप्रैल 2011 का नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है इसके साथ ही भारत के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी भी क्रिकेट इतिहास में अमर हो गये। इस विश्व कप के बाद धोनी या टीम के अन्य सदस्यों का क्रिकेट कैरियर चाहे जैसा भी हो उन्हें हमेशा विश्व विजेता के रूप में याद किया जायेगा। धोनी के धुरंधरों ने वही कारनामा कर दिखाया जो कपिल देव के जांबाजों ने 1983 में लार्ड्स में किया था। लेकिन परिस्थितियों में अन्तर है। उस समय कपिल देव की टीम दुनिया की बेहतरीन एकदिवसीय टीमों में नहीं थी। उसके जीतने की किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन इस बार धोनी की टीम को प्रारंभ से ही विश्व कप जीतने का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था।

भारत ने लीग मैचों में कोई विशेष उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं किया एवं ग्रुप में दूसरे स्थान पर रहते हुये क्वाटर फाइनल में जगह बनायी जहाँ उसका मुकाबला पिछले चार बार की विश्व विजेता टीम आस्ट्रेलिया से हुआ। युवराज सिंह के आलराउंड प्रदर्शन के बल-बूते भारत ने आस्ट्रेलिया को आसानी से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया जहाँ उसका मुकाबला पाकिस्तान की टीम से था। क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन रमेश तेन्दुलकर के अर्धशतक के बदौलत भारत ने पाकिस्तान को मात देकर फाइनल में जगह बनायी जहाँ उसका मुकाबला श्रीलंका से था। श्रीलंका ने अपने सबसे अनुभवी बल्लेबाज महेला जयवर्द्धने के नाबाद 103 (88 गेद) के बदौलत 6 विकेट पर 274 रन का स्कोर खड़ा किया। जवाब में भारत की शुरूआत अच्छी नहीं रही। विरेन्द्र सहवाग शून्य एवं सचिन 18 रन बना कर आउट हो गये। इसके बाद गंभीर एवं विराट कोहली (35 रन) ने 83 रनों की साझेदारी की। विराट कोहली और गंभीर ने 97 (122 गेंद) रन एवं धोनी ने नाबाद 91 रनों की शानदार पारी खेली। फाइनल में उन्होंने अपने जीवन की शायद सबसे यादगार पारी खेली। उनके विजयी छक्का लगाते ही पूरा देश जश्न में डूब गया।

भारतीय टीम के हर सदस्य ने यह कहा कि यह कप देश एवं सचिन तेन्दुलकर को समर्पित है। 2007 में धोनी को टी-20 विश्वकप के लिये कप्तान नियुक्त किया गया था। उसके बाद धोनी की टीम ने लगातार विजय पताका फहरायी हैं। 2007 का टी 20 विश्वकप, आस्ट्रेलिया में ट्रांयगुलर सिरीज, से लेकर टेस्ट में नं. 1 रैंकिग एवं एक दिवसीय में दूसरी रैंकिंग तक का सफर। भारत पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से टेस्ट में नं. 1 है। लेकिन इन सभी सफलताओं के बीच विश्व कप विजय का स्थान अलग है। इस विश्व कप में युवराज सिंह मैन ऑफ द सिरीज रहे, सचिन रन बनाने वालों में दूसरे स्थान पर एवं जहीर खान विकेट लेने के मामले में शाहिद अफरीदी (पाक. कप्तान) के साथ पहले नम्बर पर रहे। यह विश्वकप भारत की बेहतरीन फिल्डींग के लिये भी याद रखा जायेगा।

हम भारत को उसके विश्व विजय के लिये बधाई देते हैं।

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