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Hindi Letter “Channel me Parivarik Serialo ke sandharbh me Sampadak ko Patra”,”चैनलों में पारिवारिक सीरियलों के सन्धार्भ में संपादक को पत्र”.

कुछ लोगों के मत में मनोरंजन चैनलों से प्रसारित होने वाले पारिवारिक सीरियलों की कहारियाँ वास्तविकताओं से दूर होती है। इस विषय पर अपने विचार किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक के नाम पत्र के रूप में व्यक्त कीजिए।

 

सेवा में,

 

संपादक,

दैनिक हिंदुस्तान, नई दिल्ली।

 

महोदय,

मैं आपके दैनिक लोकप्रिय समाचारपत्र के माध्यम से टी.वी. के मनोरंजन चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों पर अपने विचार प्रकट करना चाहता हूँ। आशा है आप जनहित में मेरे विचार प्रकाशित करने की कृपा करेंगे।

आजकल मनोरंजन चैनलों पर जो पारिवारिक सीरियल किए जा रहे हैं उनकी कहानियों में वास्तविकता का सर्वथा अभाव है। लगभग प्रत्येक पारिवारिक सीरियल में एक या दो स्त्री पात्रों को खलनायिका के रूप में दर्शाया जा रहा है। ये पात्र धन-सम्पत्ति हड़पने के लिए कोई-न-कोई कचक्र चलाती रहती हैं। इससे पारिवारिक शांति भंग रहती है। ऐसा अधिकांशतः परिवारों में नहीं देखा जाता। इसी प्रकार इन सीरियलों की कहानी में एक पात्र मरकर फिर से जीवित हो जाता है अर्थात निर्देशक जब चाहता है तब किसी पात्र को मार देता है और जब चाहता है उसे फिर से जीवित कर देता है। भला ऐसा कहीं संभव है।

सीरियलों की कहानी जैसे-तैसे तोडी़-मरोडी़ जाती है। इससे उसकी विश्यसनीयता पर प्रश्न चिह्र लगाते हैं। सीरियल की कहानी की स्वीकार्यता भी होनी चाहिए। कहानी को ऐसा होना चाहिए  िकवह वास्तविक जीवन के निकट प्रतीत हो।

मुझे पूर्ण आशा है कि सीरियलों के निर्माता इस दिशा में गंभीरतापूर्वक विचार करंेगे। अपनी कहानियों में विश्वसनीयता का ध्यान रखेंगे ताकि वे वास्तविक जीवन के निकट प्रतीत हों।

धन्यवाद सहित,

 

दिनांकः…………..

भवदीय

संयोजक, जनचेतना मंच, नई दिल्ली

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