Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Van Mahotsav”, ”वन महोत्सव” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
वन महोत्सव
Van Mahotsav
निबंध नंबर:01
हम प्रतिवर्ष वर्षाऋतु में वनमहोत्सव सप्ताह मनाते हैं। इस महोत्सव में पाठशाला एवं कालिजों में वृक्ष लगाने का कार्यक्रम रहता है। जहाँ कहीं भी उपयुक्त स्थान मिलता है, वहीं वृक्षों का आरोपण कर दिया जाता है। वर्षाऋतु होने के कारण वृक्षों को पानी मिलता है। कुछ वृक्ष बढ़जाते हैं। कुछ नष्ट भी हो जाते हैं।
हमारे देश में वृक्षों का लगाना एक धार्मिक कार्य मानते हैं। जब कभी किसी उत्सव का समय आता है, हम वृक्ष लगाते हैं। इन वृक्षी से हमें जितनी सहायता मिलती है, उतनी किसी और वस्तु से नहीं। दुर्भाग्य से इधर कुछ दिनों से हमने उसके महत्व को भुला दिया है।
गत कई वर्षों में इतने वृक्ष कट गए हैं और उन्हें इतनी निर्दयता से काटा गया है कि उनके न रहने से देश को जो हानि हो रही है उसका वर्णन करना कठिन है। देश की भलाई के लिए हमको जानना आवश्यक है कि वृक्षों से हमें क्या लाभ मिलते हैं?
वृक्ष लगाने का पहला लाभ यह है कि हमारी भूमि को इनके कारण पानी मिलता है। अगर वृक्ष न हों तो जो पानी भूमि पर गिरता है वह व्यर्थ चला जाता है। उससे कोई लाभ नहीं होता। अगर वृक्ष पर्याप्त संख्या में हो, तो वे पहाड़ से आते हुए पानी को रोकने में सहायक होते हैं। यदि पानी को रोकने का कोई साधन न हो तो पानी बाढ़ के रूप में बर्बादी फैलाते हुए समुद्र की ओर बढ़ता चला जाता है। यदि वृक्ष हों तो यह रुक जाता है। इसका लाभ यह होता है कि वहाँ की भूमि को पानी के साथ साथ वृक्षों की खाद भी मिल जाती है।
आज हमारे देश के बहुत से भागों में वर्षा कम हो रही है। वृक्षों के काटेजाने का ही यह परिणाम है कि अनेक स्थानों पर जितना पानी पहले बरसता था उतना अब नहीं बरस रहा।
कहा जाता है कि राजस्थान में जो मरु भूमि है वह प्रतिवर्ष फैलती जा रही है। यदि यही क्रम जारी रहा तो परिणाम यह भी हो सकता है कि भारत का बहुत सा भूभाग रेत का समुद्र बन जाए।
इस भयानक घटना से बचने के लिए, देश को पर्याप्त खाद और पानी मिलने के लिए, समय पर वर्षा होने के लिए यह आवश्यक है कि हम वृक्ष लगाएं। हमें चाहिए कि हम जंगलों को फिर से हरा भरा करदें। ऐसा करने से पानी की कमी दूर हो जाएगी। यह प्रसन्नता की बात है कि कुछ दिनों से हम लोगों ने इस ओर ध्यान दिया है।
किस प्रकार के वृक्ष लगाए जायें – यह सोचने का विषय है। कछ वृक्ष ऐसे भी लगाने चाहिए जो केवल जलाने के काम के ही हों। जलाने की लकडी की हमारे देश में बहुत आवश्यकता है। इसके अभाव में हम पशुओं के गोबर को ईधन बना कर जला डालते हैं। जो गोबर हमें मिलता है, उसको खाद के रूप में प्रयोग करने से भमि की उपज बढेगी, खाद्यान्न की कमी को पेड़ लगाने से पूरा किया जा सकता है।
वृक्ष लगाना तो ठीक है पर जो वृक्ष लगाए जाते हैं, उनके जीवित रहने का भी प्रबन्ध होना चाहिए। वृक्षों को लगाकर उनको जीवित रखने का उपाय न करना उनकी हत्या करने के समान होगा। यह महान पाप कहलाएगा। एक पौधा तैयार करने पर कुछ खर्च होता है। यदि करोड़ों वृक्ष लगाकर उनको जीवित रखने की उपाय न किया जाए तो यह अपव्यय कहलाएगा। इससे देश की बड़ी हानि होगी। वृक्ष लगाना आसान है पर उसे लगाकर जीवित रखना कठिन है।
वनमहोत्सव तो वर्ष में एक बार मनाया ही जा रहा है। पर इसके अतिरिक्त भी वृक्ष लगाए जाएं तो अलग से वनमहोत्सव सप्ताह रखने की आवश्यकता ही नहीं होगी। हमारे घरों में कोई न कोई उत्सव होते ही रहते हैं। हर उत्सव के अवसर पर हम कोई पुण्य कार्य करते रहें। विवाह के समय, मुण्डन के समय वृक्ष लगाने का पुण्य कार्य करने की परम्परा बना लीजाए तो स्वयमेव ही यह कार्य वर्ष भर चलता रहेगा। यह काम जो प्रारंभ हो चुका है उसको निरन्तर जारी रखना आवश्यक है |
निबंध नंबर:02
वनमहोत्सव
Van Mahotsav
अथवा
वृक्षारोपण
Vriksharopan
मनुष्य का प्रकृति के साथ गहरा सम्बन्ध है। अनादि काल से ही मनुष्य प्रकृति की गोद में खेल-कूद कर बड़ा हुआ है। हिंसक पशुओं की मार से अपने आपको बचाने के लिए उसने वृक्षों का सहारा लिया। वनों में रहते हुए वृक्षों के मीठे-मीठे फलों का रसास्वादन करके उसने अपनी भूख को मिटाया। अपने आपको गर्मी तथा वर्षा से बचाने के लिए उसने वक्षों का ही सहारा लिया। श्री राम जी ने भी वनवास के दिनों में सीता और लक्ष्मण के साथ ‘पंचवटी’ नामक स्थान में पर्ण कुटी बनाकर 14 साल का लम्बा जीवन वहीं बिताया।
पेड पौधों से मनुष्य को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं जैसे–
- वातावरण को शुद्ध करना– वृक्ष वातावरण को शुद्ध करते हैं। वे कार्बन डाई-आक्साइड तथा कारखानों से निकली अन्य विषैली गैसों को ऑक्सीजन में परिवर्तित करके मानव को जीवन दान देते हैं। इस प्रकार वृक्ष हवा को स्वच्छ रखने में सहायता देते हैं और स्वच्छ वायु से ही हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
- आँखों के लिए लाभदायक– वृक्षों की हरियाली आँखों के लिए अत्यन्त लाभकारी होती है। इससे आँखों की ज्योति बढ़ती है। इसी कारण जीवन में हरे रंग को बहुत महत्व दिया जाता है। वृक्षों की छाल तथा कई प्रकार की जड़ी-बूटियों से कई प्रकार की दवाइयों का निर्माण किया जाता है जिससे मनुष्य निरोग रहता है।
- पृथ्वी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाना– वृक्षों की अधिकता पृथ्वी का उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होती है। भारत एक कषि प्रधान देश है। कषि के लिए जल की बहुत ही आवश्यकता होती है। सिंचाई का सबसे उत्तम स्त्रोत वर्षा ही है। वर्षा के जल की तुलना में नदियों, नालों, झरनों, ट्युबवैलों के जल का कोई महत्त्व नहीं है। इनके अभाव की पूर्ति भी वर्षा ही करती है। वर्षा लाने में वृक्षों का महत्वपूर्ण योगदान है। वृक्ष वर्षा के पानी को चूस कर उसे धरती की भीतरी परतों तक पहुँचा देते हैं जिससे पृथ्वी की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है।
- वनों के अन्य लाभ– वृक्षों से हमें जलाने के लिए ईंधन तथा इमारती लकड़ी मिलती है। लकड़ी से अनेक प्रकार का फर्नीचर बनता है। घरों के दरवाज तथा खिड़कियाँ, रोशनदान आदि के लिए भी भी इमारती लकडी का प्रयोग होता है। लकड़ी से कई प्रकार के खिलौने भी बनाए जाते हैं।
वृक्षों के आधार पर ही कई लोगों को जीवन में रोजगार मिला है। कई व्यक्ति लकडी को जलाकर कोयला बनाते हैं और कई कोयले का व्यापार करते हैं। कई लोग लकड़ी का व्यापार करते हैं।
- पूजा के रूप में वृक्ष– वृक्षों के महत्त्व एवं गौरव को समझते हुए हमारे पर्वजों ने इनकी पूजा-अर्चना पर बल दिया है। पीपल, तुलसी, बरगद की पूजा इस तथ्य का जीता जागता प्रमाण है। पीपल को काटना पाप समझा जाता है। इससे वृक्ष सम्पत्ति की रक्षा का भाव प्रकट होता है। तुलसी के पौधे में भी अनेक प्रकार के औषधीय गण हैं। यह पौधा विष्ण-प्रिया भी कहलाता है। इसलिए लोग इसके पास दीप आदि जलाकर इसकी पूजा करते हैं।
पृथ्वी पर वृक्षों की अनुपम सुन्दरता नयमाभिराम दृश्य प्रस्तुत करती है। वृक्षों से धरती हरी भरी रहती है। हम अपने आंगन में छोटे-छोटे पेड़ पौधे लगाते हैं, उनकी हरियाली और कोमलता हमें मन्त्र मुग्ध कर देती है। वृक्षों पर वास करने वाले पक्षियों की ध्वनियां, कलरव वातावरण में एक संगीत सा पैदा कर देता है।
वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई के कारण दुर्भाग्य से हमारे देश में आज केवल 25% वन रह गए है। वृक्षों की वृद्धि के लिए ही वन-महोत्सव का आन्दोलन शुरू किया गया। वनों की सुरक्षा और उनकी उन्नति के लिए 1982 में एक प्रस्ताव पास करके यह मांग की गई कि समस्त क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग में वनों एवं वृक्षों को लगाया जाए। परन्तु जैसे-जैसे उद्योगों का विकास होता जा रहा है, वृक्ष कटते जा रह हैं। ऐसी स्थिति में वन संरक्षण की अति आवश्यकता है। इसके लिए प्रत्येक भारतवासी को चाहिए कि वह अपने घरों, गली, मुहल्लों में अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं। सरकार का भी यह कर्त्तव्य बनता है कि सड़कों के किनारों पर छायादार वृक्ष लगाए, बंजर पडी ज़मीन और नंगी पहाड़ियों पर भी अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाए और उनकी उचित देखभाल भी करें।
वृक्ष या वन हमारे देश की अमूल्य सम्पत्ति हैं। वृक्ष मनुष्यों को शीतल छाया प्रदान कर गर्मी से बचाते हैं। वृक्ष हमारे जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। पाणी मात्र जीवन वक्षों पर ही निर्भर करता है। इसलिए मानव जीवन तथा प्राणी समान को बचाने के लिए तथा वातावरण को प्रदूषण सबचानकलिए प्रत्येक भारतवासी को उनके संरक्षण एवं उनकी वृद्धि के लिए सहयोग देना चाहिए तथा अधिक-सेअधिक पेड-पौधे स्वयं लगाने चाहिए तथा अन्य लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए।