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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pratibhuti Ghotala”, ”प्रतिभूति घोटाला” Complete Hindi Nibandh for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

प्रतिभूति घोटाला

Pratibhuti Ghotala

करोड़ों रुपये के प्रतिभूति घोटाले ने भारतीय शेयर बाजार को झकझोर दिया। सारा कारोबार ठप्प पड़ गया और बम्बई के शेयर बाजार के दलाल हर्षद मेहता को इस घोटाले की जड़ में बताया गया। इससे जुड़ा सारा घटनाचक्र और इससे जुड़ी रकम दिमाग को चक्कर में डाल देने वाली है। इससे पहले जितने भी घोटाले हए हैं, उनमें यह शायद सबसे बड़ा है। शेयरों में लगाने के लिए बैंकों से धन लेने के लिए अपनाये गए ढंग भी शायद निराले थे। प्रतिभूति घोटाला जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा था।

घोटालों में बैंकों के शामिल होने की घटनाएं आम रही हैं और पहले भी सुनने में आई हैं, लेकिन बैंक घोटालों में किसी दलाल का हाथ होने की बात पहले कभी नहीं सनी गई थी। पहले बैंकों के घोटाले में आमतौर से ऐसे बड़े व्यापारियों के हाथ होने का पता लगा था जिनके बैंकों और राजनीतिज्ञों (दोनों) से घनिष्ट सम्बन्ध थे। लेकिन यह घोटाला सारतः मुद्रा बाजार का है। इसमें कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए शेयर बाजार और बैंकों व मुद्रा बाजार के बीच सांठ-गांठ थी।

हर्षद मेहता बहुत सूझबूझ वाला दलाल है; उसे शेयरों को परखने में महारत है। लेकिन वास्तव में उसे सफलता मिलनी तब शुरू हुई जब वह बैंकों के उन बड़े अधिकारियों के करीब आ गया, जो धन कमाने के लिए उतावले थे और जिन्होंने हर्षद मेहता को रोजमर्रा के मुद्रा बाजार में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला व्यक्ति बनाने के लिए रिजर्व बैंक की हिदायतों को उठाकर ताक पर रख दिया।

प्रतिभूतियों के लेन-देन में हुई अनियमितताओं की जांच करने हेतु बनी जानकीरमन समिति ने अपनी चौथी रिपोर्ट में बताया है कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं की कल 1.021.45 करोड़ रु. की रकम का घोटाला हुआ है। तीसरी रिपोर्ट के 6 महीने बाद समिति की 176 पृष्ठों की चौथी रिपोर्ट में इस घोटाले में दो विदेशी बैंकों – स्टैण्डर्ड चार्टर्ड और ए. एन. जे. ग्रिण्डलेज – और चार भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की मिलीभगत है। इस रिपोर्ट में हितेन पी. दलाल की भूमिका को ज्यादा उछाला गया है और हर्षद मेहता की भूमिका को कम। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बैंकों और वित्तीय संस्थाओं तथा दलालों के बीच सांठ-गांठ के फलस्वरूप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीमों के बारे में रिजर्व बैंक की हिदायतों का उल्लंघन करते हए, इन दलालों को शेयर बाजार में लगाने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से धन दिया गया।

विदेशी बैंकों के अलावा समिति ने कैनबैंक फाइनेन्शियल सर्विसेज लि. (जो कनारा बैंक की सबसिडियरी संस्था है), आन्ध्रा बैंक फाइनेन्शियल सर्विसेज लि., स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और विजया बैंक की भूमिका का भी जिक्र किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि घोटाले वाली रकम के संशोधित आंकड़ों में उन प्रतिभूतियों को शामिल नहीं किया गया है, जो स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक और आन्ध्रा बैंक फाइनेन्शियल सर्विसेज लि. के पास हैं क्योंकि उनके प्राप्त मूल्य का निर्धारण अभी होना है। प्रतिभूति घोटाले में कैनफिना की 666.73 करोड़ रु. की रकम फंसी है।

रिजर्व बैंक की हिदायतों के उल्लंघन, आन्तरिक नियंत्रण प्रणाली की विफलता और एकाउंट पेयी चेकों के सम्बन्ध में बैंकों के नियमों का पालन न किए जाने के मामलों को सरकार और रिजर्व बैंक ने बड़ी गंभीर बात माना है। इस मामले में फर्ज अदायगी में चूक और धोखाधड़ी की जिम्मेदारी किसकी है, इस पर विचार किया जा रहा है।

जांच करने के लिए बनाई गई रिजर्व बैंक की समिति ने उन तरकीबों की एक सूची दी है, जिनकी मदद से बैंकों का धन कछ दलालों के निजी खातों में डाला गया; यह इस बात का प्रत्यक्षतया सबूत है कि बैंकों के अधिकारियों ने धोखाधड़ी करके धन निकाला।

सी. बी. आई. की जांच भी चल रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि किन लोगों की जिम्मेदारी थी और किनकी बेपरवाही या सांठ-गांठ से अपराध हुए। सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करके उनसे बैंकों की रकम वसूल करने की कोशिश करेगी जिन्होंने नाजायज तरीके से धन निकाला और उसका दुरुपयोग किया है। सरकार अपराधियों को दण्ड भी देगी।

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