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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Football Match”, “फुटबॉल मैच” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

फुटबॉल मैच

Football Match 

प्रस्तावना : बाल्यकाल मानव का अविकसित रूप समझा जाता है। इसके विकास के लिए उसे भिन्न-भिन्न क्रीडाएँ करनी पड़ती है।खेल-खेल में ही वह बहुत कुछ सीख जाता है। और उसका चहुँमुखी विकास होने लगता है।  जिस प्रकार किसी वृक्ष को रोपते समय सुन्दर खाद्य, जलवायु तथा सुन्दर भूमि की आवश्यकता पड़ती है।  ठीक वैसे ही बालक के लघु शरीर विकास में क्रियाओं को अधिक योग होता है। और विशेष कर उसकी छात्रावस्था में यह अवसर स्वर्णिम होता है।  जब छात्र अनुशासित ढंग से अपने अध्यापकों के निरीक्षण में खेलों को खेलता है और भ्रातृत्व की भावना का संचार करता है।

शिक्षा और खेल : एक यूनानी दार्शनिक ने तो यहाँ तक कहा है।  कि शरीर और आत्मा में अधिक से अधिक जितने सौंदर्य का और जितनी सम्पूर्णता का विकास हो सकता है।  उसे सम्पन्न करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। जहाँ विद्यालयों में छात्र के मस्तिष्क को भिन्न-भिन्न विषयों की शिक्षाओं से बोझिल कर दिया जाता है। वहाँ उसके हृदय में सहानुभूति, प्रेम, वात्सल्य, प्रणय, परोपकार, दया, ममता, श्रद्धा और सहनशीलता आदि गुणों को व्यावहारिक रूप दिया जाता है। इन्हीं गुणों को प्राप्त करने के लिए छात्र के लिए विद्यालय उसके ज्ञान मन्दिर ही नहीं वरन् क्रीड़ास्थली भी है।।

यूँ तो मानव के आदिम युग से शरीर विकास पर पूर्ण रूप से बल दिया जाता रहा है। ; परन्तु आज के इस वैज्ञानिक युग में जिसमें शिक्षा का उद्देश्य मानव के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाना माना जाता है। , बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि आज जहाँ छात्र को ज्ञानवान समाज देखना चाहता है।  वहाँ उसमें स्फूर्ति और शरीर के पूर्ण अंगों को सुसंगठित, सुदृढ एवं सुसंगत देखना चाहता है। यह तभी सम्भव हो सकता है। , जब बालक में मनोविकास के साथ-साथ उसका शारीरिक विकास भी होआज पुस्तकों में ज्ञान को अधुरा समझा जाता है।  और व्यक्ति विकास को सम्पूर्ण, जो समाज की प्रत्येक आवश्यकता को पूर्ण कर सकेअत: ऐसा होने के लिए छात्र को चाहे पाश्चात्य खेल हो अथवा देशी; परन्तु हो सभ्यतापूर्ण जिनसे मानव दुराव, द्वेष और ईष्र्या आदि कुप्रभावों से दूर रहकर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का भाव अपने में उदय कर सकेएक स्थान पर वेद में लिखा है। , “हे मानव ! त अपने जीवन को भी खेल समझ और प्रसन्नतापूर्वक इसे खेल।” जिससे मानसिक सन्तुलन बना रहे; क्योंकि खिलाड़ी की सद्भावना उसकी आधारशिला बनकर उसके जीवन भवन को सुदृढ़ बना देती है।

विभिन्न प्रकार के खेलों में रुचि : भारत में तथा अन्य राष्ट्रों में वॉलीबॉल, फुटबॉल, टैनिस, हॉकी, टेबिल टैनिस, क्रिकेट, कबड्डी, घुड़सवारी तथा तैरना आदि बाहय क्षेत्र के खेल है। जो मस्तिष्क को प्रसन्नचित् एवं स्वच्छ रखते है।इनके साथ ही कुछ खेल मनोरंजन के साथ-साथ केवल विकसित करने के लिए होते है।, उनमें चौपड़-ताश कैरम और शतरंज आदि रखे जा सकते है।उधर कुछ अन्य खेल जो हल्के-फुलके होते है। उनमें आँख मिचोली, खो-खो, लँगडी कबड्डी, चोर-सिपाही और शेर बकरी आदि अन्य खेल भी गिनाये जा सकते है।इस जीवन में हम दूसरे के जीवन का अभिनय करते है।, तो वह भी खेल कहलाता है।

अतः उपर्युक्त तालिका में मुझे फुटबॉल का खेल अधिक रुचता है। ; क्योंकि इससे हृदय-मस्तिष्क तथा शरीर सभी तो विकसित होते है।।

क्रीड़ास्थली : इस खेल के लिए क्रीड़ा-क्षेत्र की लम्बाई 100 गज से 130 गज तक और चौड़ाई 50 से 100 गज तक होती है। प्रायः अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में मैदान की लम्बाई 110 से 120 गज तक तथा चौड़ाई 70 से 80 गज तक होती है। मैदान में कई प्रकार की लाइनें लगाई जाती है।जैसे गोल की परिधि तथा छूने की रेखा फाउल, पैनल्टी और कार्नर के क्षेत्र भी लाइनों द्वारा निर्दिष्ट किए जाते है।मैदान के दोनों ओर पोल लगाये जाते है।जिनकी परस्पर दूरी आठ गज की होती है। इधर-उधर कुछ झंडियाँ भी लगा दी जाती है। जो खेल को नियमबद्ध चलाने में सहायता देती है।समस्त क्षेत्र एक रेखा के द्वारा बराबर-बराबर बँटा हुआ होता है। उसे केन्द्र स्थल कहते है।।

क्रीड़ा की प्रक्रिया : गत मास के अन्तिम रविवार को फुटबॉल इन्टर टूर्नामेंट का अन्तिम दिन थाइसमें हमारा विद्यालय तथा गुजराती हायर सैकेण्ड्री विद्यालय के बीच मैच हुआमैच रविवार को होना थाहमारे प्रधानाचार्य महोदय ने शनिवार को ही प्रत्येक विद्यार्थी को सूचित कर दिया कि रविवार को प्रत्येक छात्र क्रीडा स्थल पर ठीक तीन बजे पहुँच जाएछात्रावास के अध्यक्ष ही टीम के प्रबन्धक थेउन्होंने पाँच मिनट तक खिलाड़ियों को आवश्यक निर्देश दियेसभी खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी वर्दी पहनी और ठीक 3% बजे रैफरी (निरीक्षक) महोदय की सीटी बजते ही दोनों ओर की टीमों के कैप्टन उनके पास पहुँचेटॉस किया गया जिसमें विपक्षी दल जीत गयातत्पश्चात् खिलाड़ियों ने अपने स्थान पर अपनी-अपनी (पोजीशन) स्थिति ग्रहण कर ली4 बजे खेल प्रारम्भ हुआमैदान के चारों ओर लाइनों (रेखाओं) के बाहर दर्शकों का विशाल समूह कुर्सियों, बैंचोंआदि पर विराजमान थातिल रखने को भी जगह शेष नहीं थीशारीरिक अधिकारी के साथ ही उपराज्यपाल महोदय की पत्नी जो पुरस्कार वितरण हेतु आमन्त्रित की गई थीं, जो नगर के गणमान्य व्यक्तियों के बीच सुशोभित थींएक मेज पर ट्राफी रखी हुई थी उन सबके पीछे मोटरें-कारे-ताँगें और स्कूटर आदि पंक्तिबद्ध खड़े थे, उधर ही खोमचे और फेरी लगाने वाले खान-पान के पदार्थों को बेच पैसे ठग रहे थे।

खेल अपने पूर्ण यौवन पर थादोनों टीमें समान मँजी हुई थींप्रहार पर प्रहार हो रहे थेयुक्ति और शक्ति का पूर्ण प्रदर्शन चल रहा थाउनका खून-पसीना एक हो रहा थाखेल चलते हुये लगभग 30 मिनट व्यतीत हो चुके थे और किसी ओर से भी गोल नहीं लगाकभी गेंद विपक्षी की ओर तो कभी हमारी ओर एक बार तो गेंद विपक्षी पाले (गोल) में घुसने से बाल-बाल बच गई; क्योंकि उनका गोल रक्षक बड़ा सतर्क व फुर्तीला थावह सतर्कता के कारण गोल बचा गयाइस पर दर्शकों में वाह-वाह और करतल-ध्वनि पूँज उठीखेल ने जोर पकड़ाविपक्षी दल ने हमारी टीम को दबाना प्रारम्भ कर दियाअरे यह क्या हुआ ? गेंद हमारी तरफ दनदनाती चली जा रही है।  और वह तो गोल रक्षक से बचकर गोल को पार कर गई, फिर क्या था ? गोल तो हो ही गयारैफरी ने लम्बी सीटी बजाईविपक्षियों के हर्ष का कोई ठिकाना न था।

छात्रों में से किसी ने हर्ष में अपना है। ट उछाला और किसी ने अपना रूमालहमारे पक्ष वालों में उदासी की घनघोर घटा छा गई; पर उदासी से हतोत्साहित नहीं हुए; क्योंकि अभी आधा समय शेष थाहमने भी पूर्ण जोश के साथ अपनी टीम के खिलाड़ियों को ‘उत्साहित करना प्रारम्भ कर दियाहमारी टीम अपनी हार का बदला चुकाने में जुट गईथोड़ी देर में खेल का मध्याह्न हुआरैफरी ने अल्पविराम के पश्चात् सीटी बजाई, खेल पुन: आरम्भ हो गयाथोड़ी देर तक तो गेंद हिचकोले खाती रहीफिर हमारे एक खिलाड़ी ने गेंद में ऐसी लात मारी की गेंद विपक्षियों के गोल के निकट उछली, उसके उछलते ही हमारे दूसरे खिलाड़ी ने अपने सिर द्वारा उसे गोल में पहुँचा ही तो दियाफिर क्या था गोल हो गयाहम लोगों तथा दर्शकगणों ने तालियों की तुमुल ध्वनि की हमारे हर्ष का पारावार ने रहाविपक्षियों के मुख मलिन हो गए

विपक्ष के खिलाड़ी चिडे-चिडे से फाउल खेलने लगेइससे उन्हें हानि ही अधिक होने लगीअभी पाँच मिनट शेष थे कि हमारी टीम ने उन पर एक और गोल दाग दियाउनको साहस टूट गया और वह कुछ न कर सकेरैफरी ने लम्बी सीटी दी और खेल समाप्त हो गयाअब तो हमारी और दर्शकों की करतल ध्वनियों के बीच आकाश गूंज उठाखिलाड़ियों को सोडावाटर और फल वितरित किये गएलोग उपहार पर उपहार देने लगेखेल की बड़ी सराहना की गई।

पुरस्कार वितरण : तत्पश्चात् पुरस्कार वितरण का आयोजन किया गयाउपराज्यपाल की पत्नी ने पहले तो खेलों की उपयोगिता पर अच्छा-सा भाषण झाड़ाहम तो दंग रह गए उनके व्यावहारिक ज्ञान को देखकरइसके उपरान्त उन्होंने टूर्नामेंट के संचालकों को धन्यवाद देते हुए हमारे कैप्टीन को ट्राफी प्रदान की और विपक्षियों के श्रेष्ठ खिलाडियों तथा हमारे पक्ष के प्रत्येक खिलाड़ी को योग्यता के प्रमाणपत्र प्रदान किएहम सभी छात्र ट्राफी लेकर छात्रावास की ओर जुलूस निकालते हुए चल पड़े इस हर्षोल्लास के वातावरण में हमें अगले दिन का अवकाश दिया गयाहम सहर्ष घर लौट गए।

उपसंहार : मैच खेलने से खिलाड़ी में धैर्य, सजगता और सहनशक्ति की भावना जाग्रत होती है। वे सहयोग के साथ काम करना सीखते है। और जनसमुदाय में उनकी ख्याति होती है।

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