Hindi Essay on “Shikshak Diwas” , ” शिक्षक-दिवस” Teacher’s Day Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
शिक्षक-दिवस
शिक्षक अथवा अध्यापक वह व्यकित होता है जो दुसरो को पढ़ा-लिखा कर शिक्षा देने का काम करता है | भारत देश सदेव से गुरुओ व शिक्षको का देश रहा है | इस देश में शिक्षको – अध्यापको व गुरुओ का मान सम्मान हमेशा से बहुत अधिक रहा है जो आजकल प्राय : नगण्य है | आजकल भारत में भी संसार के अन्य देशो के समान शिक्षा का लेना – देना एक प्रकार का व्यवसाय बन कर रह गया है | यह स्थिति कोई सराहनीय तो नही है |
शिक्षक के महत्त्व को समझा जाए ; शिक्षक भी शिक्षा देने को व्यवसाय न मानकर उसे एक पवित्र कार्य या कर्तव्य समझे; शिक्षक का खोया सम्मान उसे फिर से प्राप्त हो जाए या उसे यह सम्मान दिलाया जा सके – यही भावना रही है शिक्षक दिवस को मनाने के पीछे | शिक्षक दिवस मन्नाने का सम्बन्ध जोड़ा गया देश के राष्ट्रपति रहे महामहिम सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन के जन्म दिवस के साथ | अर्थात तभी से यह दिवस प्रति वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाने लगा | इसके पीछे कारण था उनका आदर्श अध्यापकत्व | व अपने जीवन में एक कुशल शिक्षक भी रहे थे
शिक्षक – दिवस के दिन विधालयो में सभाए व् गोषिठया होती है | बच्चो को अध्यापको के मान – सम्मान से सम्बन्धित प्रेरणा दी जाती है | कई विधालयो में तो इस दिन विधार्थियों को ही अध्यापन का कार्य सौपा जाता है ताकि उन्हें अध्यापको के कार्य के महत्त्व का आभास हो सके | अध्यापको के संघ – संघटन भी इस दिन को शिक्षको के गौरव के अनुरूप , गौरव को स्थायी बनाए रखने के लिए विभिन्न विचारो का आदान- प्रदान किया करते है, कई बार प्रान्तियो व् राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन भी आयोजित किए जाते है |
इस दिन प्रान्तियो व् राष्ट्रियो स्तर पर उच्च आदर्श स्थापित करने वाले अध्यापको को पुरस्कृत भी किया जाता है | अब तो अध्यापको के चुनाव में राजनीतिका समावेश होने लगा है | यह निन्दा का विषय है | इस दिवस के मनाने का मूल उदेश्य है की राष्ट्र के निर्माता कहे या माने जाने वाले शिक्षक को उचित सम्मान दिया जाना | यदि हम सच्चे मन से, सादगी और राजनितिक – निरपेक्षता से इस दिवस को मनाए तो हम भारत की परम्परागत गुरु-शिष्य परम्परा को सब तरह से पुनर्जीवित कर सकते है |