Hindi Essay on “Saniya Mirza” , ”सानिया मिर्जा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
सानिया मिर्जा
Saniya Mirza
उम्र के लिहाज से ज्यादा प्रतिभावान, दोनों हाथों से रैकेट पकड़कर बैक हैंड शाॅट लगाने वाली, विश्व टेनिस में सबसे तेजी से रैकिंग सुधारने वाली 18 वर्षीय यह बाला भारत में हैदराबाद शहर में जन्मी और बढ़ी। मात्र 18 वर्ष की इस बाला ने अपने खेल से विश्व टेनिस में सनसनी फैला दी है। इस बाला के पास जज्बा है, महत्वकांक्षा है और ऐसी दमखम वाली कलाई है जिसने विशेषज्ञों को भी हैरत में डाल दिया है। उसका जोश टेनिस कोर्ट पर बिजली की चमक पैदा कर देता है। वह रमेश कृष्णन के बाद दुनिया के चोटी के 50 टेनिस खिलाड़ियों में पहुंचने वाली पहली भारतीय है। वह टेनिस की ऐसी उभरती खिलाड़ी है। जो डब्ल्यू. टी. ए. रैकिंग सूची में तेजी से ऊपर चढ़ रही है। पिछले 18 माह में ही वह आश्चर्यजनक ढंग से 264 अंक ऊपर आ गई है।
बेहद कम उ्र्रम और कम समय में एक के बाद एक कामयाबी, कोर्ट में उतरने के समय हर बार दर्शकों के बीच भारी हलचल, दुनिया भर के स्टेडियमों में उनकी हौसला अफजाई के लिए मौजूद उनके ऐसे प्रशंसकों की बढ़ती फौैज, डब्ल्यू. टी. ए. की वेबसाइट के मुताबिक यह तथ्य कि वे यू.एस. ओपन में तीसरी ऐसी महिला खिलाड़ी थीं, जिनकी सबसे ज्यादा तस्वीरें खींची गईं। जिन्दगी तथा टेनिस के प्रति एकदम नया नजरिया, नाक तथा कान की बालियों का शौक और जोरदार संदेश वाली टी-शर्ट सानिया मिर्जा की खास पहचान है। उनके प्रदर्शन से ज्यादा महत्त्वपूर्ण उनका रवैया है, ंजैसा कि टेनिस स्टार लिएंडर पेस कहते हैं- ’’उनके खेल का एक दिलचस्प पहलू उनकी यह सोच है कि किसी भी खिलाड़ी को हराया जा सकता है।’’
सानिया के चमत्कारिक उत्थान की एक वजह यह है कि उनके पास हमेशा साथ सफर करने वाले कोच जाॅन फैरिंगटन हैं, जो टेनिस के दिग्गज हैं और पिछले दो दशक से कोच हैं, वे अपने शार्गिद को चोटी की 10 खिलाड़ियों में लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
सानिया मिर्जा ने फरवरी 2004 में अपने गृह नगर हैदराबाद के दर्शकों के सामने अपना पहला डब्ल्यू. टी. ए. खिताब जीता – युगल का ताज। फ्रेंच ओपन में उन्होंने सीधे ग्रैण्ड स्लैम में प्रवैश लेने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया। सानिया ने अपना पहला टूर्नामेेंट भारत में 2002 में आइ. टी. एफ. वुमन सर्किट में खेला- वे तब मात्र 14 साल की थीं। उन्होंने नौ मैचों में उस समय 6 में जीत दर्ज की।
सानिया ने छः साल की उम्र में तब टेनिस खेलना शुरू किया था जब उनके माता-पिता प्रिंटिग प्रेस चलाते थे। वे गर्मी की छुट्टियों के दौरान उन्हें टेनिस सिखाने ले जाते थे। सानिया ने एक साल से भी कम समय में अपने कौशल को निखार लिया। जब वे 12 साल की थीं तो उन्होंने अंडर-14 और अंडर-16 की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीतीं। तभी उन्होंने टेनिस को अपना करिअर बनाने का फैसला कर लिया। जब वे मात्र 11 साल की जूनियर खिलाड़ी थीं तभी जी. वी. के. गु्रप ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और वह उनका पहला प्रायोजक बन गया। प्रोमोटर जी. वी. कृष्ण रेड्डी, जो खुद टेनिस खिलाड़ी हैं, कहते हैं – ’’हममें से कुछ लोगों ने उनका खेल देखा और उन्हें समर्थन देने का फैसला कर लिया।’’
सानिया ने उम्र के लिहाज से कहीं ऊंची प्रतिभा का परिचय दिया है लेकिन अंततः उनके भविष्य का फैसला इस आधार पर होगा कि अपनी शोहरत, दबाव, खामियों और वरीयता क्रम में अपने से ऊपर के खिलाड़ियों से मैदान में कैसे निपटती हैं। फिलहाल, दुनिया भारतीय खेल जगत की इस सनसनी का दिल खोलकर स्वागत कर रही है।