Hindi Essay on “Rupaye Ki Atam Katha” , ” रुपए की आत्मकथा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
रुपए की आत्मकथा
मै रुपया हूँ | मै पृथ्वी माता की सन्तान हूँ | मेरी जन्म भूमि अमेरिका में मैकिसको है | मेरे भाई बन्धुओ में ताँबा, शीशा तथा जस्ता आदि है | वर्षो तक मै अपने इन आत्मीयजनो के साथ माता की गोद में सुख- चैन की नीद सोता रहा हूँ | एक दिन सहसा श्रमिको तथा मशीनों की सहायता से मेरा भर खोदा जाने लगा | उस समय मै डर के मारे अपनी प्यारी माता की गोद से चिपका हुआ था | परन्तु श्रमिको की क्रूर दृष्टि मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे माता की गोद से खीच लिया और कैदियों की तरह बन्द गाडियों में डालकर मुझे एक विशाल भवन के सामने लाया गया | तभी मुझे अग्नि में झोक दिया गया | हमे कई प्रकार के रसायनों से साफ किया जाना था | जब अग्नि की लपटों की पप्रचण्डता कम हई तो मेरा द्रवित रूप ठण्डा होकर सिल्ली के रूप में बदल गया | तब मेरा नाम पड़ा – रजत |
हमे इसके बाद टकसाल ले जाया गया | वहाँ पर मर्मान्तक पीड़ा सहन करने के बाद जो नया रूप हमे मिला वह बड़ा ही आकर्षक था | वह थी चमकती हुई गोलाकार देह- जिसे देखकर लोग हमे ‘रुपए’ के नाम से सम्बोधित करने लगे | मेरी सुन्दर, सुडौल देह, और चकता हुआ भव्य रूप मुझे भी आश्चर्य में डाल देता है | अब हर कोई मेरे स्वागत के लिए तैयार रहता है | मै जिसके भी हाथ की शक्ति आ गई है | एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति, एक घर से दुसरे घर , एक गाँव से दुसरे गाँव और एक बैक तक छलांगे मारता चला जाता हूँ | मैंने अपने गोल रूप को सार्थक कर दिया है | क्योकि मै गोल पहिए की भांति घूमता ही रहता हूँ |
मेरा यह रूप इतना मनमोहक था की सभी धर्मो वाले , सभी मतावलम्बी , भिक्षु व राजा लोग भी मेरे प्यार में बंध गए | पूजा की थाली में भी मुझे स्थान मिला, कन्याओं की माँगो में सिन्दूर भी मेरे द्वारा भरा गया | मेरे इस रूप पर ऋषि, मुनि , गृहस्थ सभी मोहित हो जाते है | यहाँ तक की विश्व में सभी भयंकर युद्ध भी मेरे कारण लादे गए है | अन्त में घूमता-फिरता मै पुन : अपने पुराने घर टकसाल मै पहुँच जाता हूँ जहाँ नया रूप लेकर फिर बाहर हूँ | यही है मेरी अर्थात रुपए की आत्मकथा |