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Hindi Essay on “Pariksha ka Bhay”, “परीक्षा का भय” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

परीक्षा का भय

Pariksha ka Bhay

 

ईसा मसीह ने कहा था कि, “हे प्रभु ; मुझे कभी परीक्षा में मत डालना।” परीक्षा शब्द ही ऐसा है। परीक्षा के बारे में सोच-सोच कर मन व्यथित हो जाता है।

वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है परन्तु विद्यार्थी इस से विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना आवश्यक है नहीं तो जीवन का बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाता है। अपने साथियों से बिछड़ जाएंगे, ऐसी चिन्ता हर विद्यार्थी को होती है। सारा साल विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी करता रहता है और अंत में परीक्षा का दिन आ ही आ जाता है। विद्यार्थी परीक्षा के भय से रात भर जाग कर पढ़ते हैं। परन्तु सुबह जब होती है तो प्रत्येक विद्यार्थी का दिल भय से धक-धक करता है। उसके मन में यही भय होता है कि जो प्रश्न उसने रात भर जागकर पढे हैं यदि उनमें से कोई न विद्यार्थी जब परीक्षा भवन में पहुंचते हैं तो उनके मन में भय का बादल छाया होता है। वहां का दृश्य बहुत अद्भुत होता है। कई विद्यार्थी परीक्षा भवन के बाहर प्रमुख प्रश्नों को दोबारा पढ़ रहे होते हैं। तो कई प्रश्नों के बारे में एक दूसरे से जानकारी ले रहे होते हैं। उस समय सभी सहपाठी एक दूसरे से बहुत कुछ जान लेना चाहते है।

प्रत्येक विद्यार्थी का हृदय धक-धक कर रहा होता है। मेधावी और परिश्रमी विद्यार्थी को कक्षा में अपनी ‘पोजीशन’ गिरने का डर लगा रहता है और कोई विद्यार्थियों को तो अपने फेल हो जाने का डर लगा रहता है। जो विद्यार्थी वर्ष भर मन लगाकर परिश्रम करते हैं, पाठ्यक्रम को पढने में लगे रहते हैं। ऐसे परिश्रमी विद्यार्थी आत्मविश्वास से परिपूर्ण होते हैं, फिर भी उन्हें परीक्षा का भय कम नहीं होता। जो विद्यार्थी वर्ष भर परिश्रम नहीं करते, इस दिन वह भगवान् से अपनी सफलता की प्रार्थना कर रहे होते हैं ताकि वह फेल होने से बच जाए और इस दिन वह पछताते हैं कि हम पहले क्यों नहीं पढ़े। अब उन्हें माता पिता के उपदेश याद आते हैं कि वह उनके कहे अनुसार मेहनत कर लेते। परीक्षा के भय के कारण प्रत्येक विद्यार्थी के मन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते हैं। वह यही सोचते हैं कि परीक्षा भवन में बैठ कर क्या होगा। क्या प्रश्न पत्र आसान होगा या मुश्किल? क्या उसे सारे प्रश्न आते होंगे या नहीं? क्या वह परीक्षा में पास हो जाएगा या नहीं? इस तरह परीक्षा के भय के कारण विद्यार्थी के मन में तरह-तरह के विचार उभरते हैं और वे परीक्षा के बारे में सोच कर ही घबरा जाते हैं। सभी विद्यार्थी परीक्षा के नाम से ही घबराते हैं परन्तु फिर भी उन्हें परीक्षा देनी ही पड़ती है क्योंकि विद्यार्थी की योग्यता को परखने का एक यही श्रेष्ठ उपाय है। परीक्षा में पास होने के लिए कुछ विद्यार्थी गल्त साधन भी अपनाते हैं। परन्तु डरते भी हैं कि कहीं पकड़े न जाएं। वे परीक्षा में नकल करने की भी सोचते हैं। परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिन्तित नज़र आते हैं क्योंकि यह भय ही ऐसा है। सभी विद्यार्थी यही प्रार्थना कर रहे होते हैं कि जो प्रश्न आए हों वे उन्हें आते हों और उनके अच्छे नम्बर आ जाएँ। कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर उनके पृष्ठ उल्ट-पुल्ट कर रहे होते हैं।

परीक्षा का भय उस समय और भी बढ़ जाता है जब परीक्षा भवन में घंटी बजती है। तब सभी मानसिक रूप से चैतन्य हो जाते हैं। यह परीक्षा भवन में प्रवेश करने का संकेत होता है। सभी विद्यार्थी भयभीत से परीक्षा भवन में प्रवेश करना शक कर देते हैं। भीतर पहुंच कर सभी विद्यार्थी अपने-अपने रोल नम्बर और सीट ढूंढ कर अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाते हैं। थोड़ी देर में जब अध्यापक उत्तर पुस्तिका और प्रश्न-पत्रों सहित भीतर प्रवेश करते हैं तो विद्यार्थीयों का रंग और भी उड जाता है और कुछ क्षणों के लिए परीक्षा भवन में सन्नाटा सा छा जाता है। सभी विद्यार्थी तब अपने-अपने भगवान के आगे माथा टेकते हुए यही प्रार्थना करते हैं कि जो प्रश्न उन्होंने पढ़े हैं वही प्रश्न, प्रश्न पत्र में आएँ। थोड़ी देर बाद जब विद्यार्थीयों में प्रश्नपत्र तथा उत्तर पुस्तिकाएं बांटी जाती है, तब उनके चेहरे देखने योग्य होते हैं। तब परीक्षा भवन का एक विचित्र दृश्य नज़र आ जाता है। कई विद्यार्थी तो प्रश्न पत्र पढ़ कर सन्तुष्ट हो जाते हैं, कई और भी डर जाते हैं कि उन्हें प्रश्न अच्छी तरह नहीं आते तथा कई विद्यार्थियों के हृदय की धड़कने और भी तेज़ हो जाती है और हाथों पैरों में पसीना आना शुरू हो जाता है। वह इधर-उधर देखने लगते हैं। जो विद्यार्थी पढ़े नहीं होते वे उस दिन पछताते हैं परन्तु जो विद्यार्थी पढ़ते हैं वे खुश होते हैं कि वह इस वर्ष भी परीक्षा में पास हो जाएंगे। इस तरह ‘परीक्षा’ शब्द एक ऐसा शब्द है जिससे प्रत्येक विद्यार्थी डरता है और परीक्षा से पहले मन में कई उतार-चढ़ावों को पार करता हुआ परीक्षा भवन में पहुंच कर प्रश्न पत्र हल करने में लग जाता है।

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commentscomments

  1. गजब,reality h sir निबंध में

  2. It helped me alot and its all about reality and its really good

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