Hindi Essay on “Mere Sapno Ka Bharat , मेरे सपनों का भारत Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मेरे सपनों का भारत
Mere Sapno Ka Bharat
निबंध नंबर : 01
भारत हमारी जन्म एवं कर्मभूमि है। भिन्न-भिन्न जाति वर्ग के लोगों के बीच इस देश ने अपनी पारंपरिक सभ्यता-संस्कृति एवं सर्वधर्मसहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपनी अनूठी पैठ बना रखी है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ है। ऐसे में देश की प्रतिष्ठा दिन-व-दिन धूमिल होती जा रही है।
जहां भारत की सभ्यता-संस्कृति तथा परम्पराओं की पूरे विश्व में प्रशंसा की जाती है और पूरा विश्व उसका अनुसरण कर रहा है | वहीं देश के सामने अनेक समस्याओं ने अपना प्रकोप दिखाना प्रारंभ कर दिया है। देशवासी अनेक मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। बेरोजगारी,गरीबी, लूटपाट, आतंकवाद, क्षेत्रवाद और तकनीकी कौशलता का अल्प प्रयोग कृषिगत समस्याएं राजनीतिक उथल-पुथल भ्रष्टाचार आदि ने देश के विकास को रोक रखा है तथा देश में अशांति का माहौल बना रखा है। अतः मैं एक ऐसे सुनहरे भारत की कल्पना करता हूं जो हर क्षेत्र में विश्व का अग्रणी राष्ट्र हो फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या साहित्य अथवा उघोग-धंधे।
मैं अपने देश भारत को विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंगित करना चाहता हूं। यह तभी संभव है जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का निर्वाह भलीभांति करेगा। लोग अपने जिम्मेदारियों को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका सर्वप्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को ही खोखला कर रहा है। हर व्यकित किसी न किसी रूप में या तो भ्रष्टाचार कर रहे हैं या उसके साक्षी बन रहा हैं।
अतः यदि हम अपने देश भारत को पूनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं और उसे वही सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त तमाम बुराइयों को मिलजुलकर मिटाना होगा। अगर हमारा सहयोग रहा तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से हमारा देश अमन-चैन और खुशहाली की मिसाल होगा।
निबंध नंबर : 02
मेरे सपनों का भारत
Mere Sapno Ka Bharat
अथवा
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्ताँ हमारा
हमारा देश भारत अत्यन्त महान् एवं सुन्दर है। यह देश इतना पावन एवं गौरवमय है कि यहाँ देवता भी जन्म लेने को लालायित रहते हैं। हमारी यह जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा गया है-श्जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीबसीश् अर्थात् जननी और जन्म भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। प्रसिद्व छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद जी ने अपने एक नाटक के गीत में लिखा है-
श्अरूण यह मधुमय देश हमारा
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
हमारे देश का नाम भारत है, जो महाराज दुष्यंत एवं शकुंतला के प्रतापी पुत्र ’भरत’ के नाम पर रखा गया। पहले इसे ’आर्यावर्त’ कहा जाता था। इस पावन देश मे राम, कृष्ण, महात्मा बुद्व, वर्धमान महावीर आदि महापुरूषों ने जन्म लिया। इस देश में अशोक और अकबर जैसे प्रतापी सम्राट भी हुए हैं। इस देश के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरोजनी नायडू आदि ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया।
भौगोलिक रचना की दृष्टि से हमारे देश का प्राकृतिक स्वरूप अत्यंत मनमोहक है। इसके पर्वतीय प्रदेशों की हिमाच्छदित पर्वतमालाएँ, दक्षिणी प्रदेशों के समुद्रतटीय नारियल के वृक्ष, गंगा-यमुना के उर्वर मैदान प्रकृति की अनुपम भेंट हैं। इस देश में हर प्रकार की जलवायु पाई जाती है। इसी भूमि पर ’धरती का स्वर्ग’ कश्मीर है, जिसकी मनोरम घाटियाँ, डल झील, शालीमार-निशात बाग हमें स्वप्न लोक की दुनिया में ले जाते हैं। हिमालय हमारे देश का सशक्त प्रहरी है, तो हिन्द महासागर इस भारतमाता के चरणों को निरंतर धोता रहता है। हमारा यह विशाल देश उतर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। इस देश की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन करते हुए कवि रामनरेश त्रिपाठी लिखते हैं-
शोभित है सर्वोच्च मुकुट से, जिनके दिव्य देश का मस्तक।
गूँज रही हैं सकल दिशाएँ, जिनके जयगीतो स ेअब तक।
हमारे देश में ’विभिन्नता में एकता’ की भावना निहित है। यहाँ प्राकृतिक दृष्टि से तो विभिन्नताएँ हैं ही, इसके साथ-साथ खान-पान, वेश-भूषा, भाषा-धर्म आदि में भी विभिन्नताएँ दृष्टिगोचर होती हैं। ये विभिन्नताएँ ऊपरी हैं, हदय से हम सब भारतीय हैं। भारतीय संविधान के अनुसार सभी धर्मवलंबियों को अपनी उपासना पद्वति तथा सामाजिक व्यवस्था का अनुसरण करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। भारतवासी उदार हदय वाले हैं और ’वसुदैव कुटुम्बम्’ की भावना में विश्वास करते हैं। यहाँ के निवासियों के हदय मंे स्वदेश-प्रेम की धारा प्रवाहित होती रहती है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने सत्य ही कहा है-
जिसमे न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं, नर पशु निरा और मृतक समान है।
श्जो भरा नहीं भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वेदश का प्यार नहीं।
हमारे देश भारत की संस्कृति अत्यंत महान् है। यह एक ऐसे मजबूत आधार पर टिकी है जिसे कोई अभी तक हिला नहीं पाया है। कवि इकबाल कह गए हैं-
यूनान मिस्र रोमां, सब मिट गए जहाँ से,
बाकी मगर ह ैअब तक नामोनिशां हमारा।
कुछ बात कि हस्ती मिटती नही हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमा हमारा।
वर्तमान समय में हमारा देश अभी तक आध्यात्मिक जगत् का अगुआ बना हुआ है। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति के जिस स्वरूप से पाश्चात्य जगत् को परिचित कराया था, उसकी अनुगूँज अभी तक सुनाई पड़ती है। भारतीयों ने अस्त्र-शस्त्र के बल पर नहीं बल्कि प्रेम के बल पर लोगों के हदय पर विजय प्राप्त की। प्रसाद जी ने कहा है-
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम।
भारतवर्ष का लोकतंत्र आज भी विश्व में अनोखा है। परमाणु शक्ति सम्पन्न भारत विश्व में गौरव के साथ जी रहा है। अब तो प्रसाद जी के शब्दों में हमारी यह कामना है-
जये तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे, यह हर्ष,
निछावर कर दें हम स्र्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्षश्
निबंध नंबर : 03
मेरे सपनों का भारत
Mera Sapno ka Bharat
विचार–बिंदु-• भारत के बारे में मेरी कल्पना • ज्ञान का भंडार • शांति का दूत • कला, संस्कृति और अध्यात्म का विकास।
भारत के बारे में मेरी कल्पना–जब भी मैं अपने देश के भविष्य की कल्पना करता हूँ, तो चाहता हूँ कि एक बार फिर से मेरे देश में रामराज्य की कल्पना साकार हो। एक बार फिर से ऐसे शासक आएँ कि जिनके राज्य में चोरी, बलात्कार, हत्या, डकैती का नामोनिशान न हो। सब ओर सच्चाई, सादगी और खुशी का बोलबाला हो। सब लोग न केवल धन-संपन्न हों बल्कि आपसी भाईचारे के कारण मन से सुखी हों।
ज्ञान का भंडार–मेरा सपना है कि मेरा भारत फिर से ‘जगद्गुरु’ की भूमिका निभाए। यहाँ के विश्वविद्यालय ज्ञान के भंडार हों। यहाँ न केवल धर्म, दर्शन और साहित्य का विकास हो बल्कि विज्ञान और तकनीक की भी उन्नति हो। जिस प्रकार पहले आर्यभट्ट, चरक, धन्वंतरि आदि वैज्ञानिकों ने गणित, ज्योतिष, चिकित्सा आदि के क्षेत्र में नई-नई खोजें कीं, उसी प्रकार फिर से हमारे वैज्ञानिक नई-नई खोजें करें। आने वाली वैज्ञानिक क्रांति में भारत ही अगुआ बने।
शांति का दूत–भारत के पास गर्व करने योग्य विशेषता है-शांति की नीति। मैं चाहूँगा कि आज हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान, जो कभी हमारा भाई था, वह पुनः हमारा मित्र बने। हम आपसी झगड़े प्रेम-प्यार से सुलझा कर मित्र की तरह रहें।
यहाँ मैं यह भी कहना चाहँगा कि भारत शक्तिशाली देश बने। हमारे पास आधुनिक हथियार और साधन विद्यमान हों ताकि हम किसी भी स्थिति का मुकाबूला कर सकें। हम शक्ति और नैतिकता दोनों का बराबर विकास करें।
कला, संस्कृति और अध्यात्म का विकास–मेरा भारत कला, संस्कृति और अध्यात्म के लिए विश्व-विख्यात रहा है। यहाँ कालिदास, भरतमुनि, तुलसी, सूर, तानसेन जैसे कलाकार और साहित्यकार हुए हैं। मैं चाहता हूँ कि भारत की धरती फिर से कला और संस्कृति के रस से सराबोर हो जाए।
भारत का सदा से यही विश्वास रहा है कि मानव को सच्चा सुख अध्यात्म से मिल सकता है। मैं चाहता हूँ कि अध्यात्म की यह विद्या भारत में फिर से फले-फूले, जिससे दुःखी संसार को शांति से जीने का सहारा मिले।
Nice essay
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