Hindi Essay on “Jeevan mein Vigyaan ki Upyogita , जीवन में ”विज्ञान की उपयोगिता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
जीवन में ”विज्ञान की उपयोगिता
सृष्टी में जीवों के प्रादुर्भाव काल से हम अपने वर्तमान काल तक को देखें तो ”विज्ञान किसी न किसी रूप में हम से जुड़ा रहा है। हमारा जीवन ”विज्ञान के बगैर अधूरा है। हमारे विकास की एक-एक गाथा वैज्ञानिक सोच की ही देन है। इसने हमारे जीवन की कायाकल्प कर दी है।
प्रारंभिक मानव वनों में रहता था और कंद-मूल व शिकार पर निर्भर था, अपितु उन्हें विज्ञान का आभास था। इसी वैज्ञानिक सोचवश उन्होंने अपने शिकार करने का ढंग, रहन-सहन और खान-पान में परिवर्तन लाया। आग का आविष्कार, शिकार के लिए पत्थरों की जगह धातुओं से बने हथियारों का प्रयोग, शिकार को पका कर खाने की पद्धति और अन्नोत्पादन की कलाएं आदि मानवीय वैज्ञानिक सोच का ही परिणाम है। आज के परिप्रेक्ष्य में आरंभिक मानव का दायरा संकीर्ण था, परन्तु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन प्रारंभिक खोजों ने ही मानवीय विकास की आधारशीला रखी।
विज्ञान में दिन-व-दिन अलौकिक प्रगति दृष्टिगोचर हो रही है। ऐसा मानव के वैज्ञानिक सोच के दायरे में निरंतर वृद्धि से ही संभव हो पाया है। हम अपने दैनिक कि्रयाकलापों में तथा प्रतिदिन अनेक वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग करते हैं। अब चाहे वह गैस का स्टोवचूल्हा हो, या पंखा या मोटर बाइक, हर वस्तु जिस में मशीनीकरण किया गया है, अथवा मानव के सोच से परिवर्तित हो रहा है वह विज्ञान से जुड़ा है। विज्ञान के फलस्वरूप आज हमारे खान-पान, रहन-सहन और इलाज की पद्धति सरल हो गयी है।
जैसा कि हर विषय वस्तु का अच्छा और बुरा दोनों ही पहलू होता है, उसी प्रकार ”विज्ञान की अत्यन्त चहलकदमी से मानव को अनेक नुकसान भी हो रहा है। प्रकृति में मानव के अत्यन्त हस्तक्षेप ने मानव के असितत्व पर ही संकट ला खड़ा किया है। विश्व में अस्त्र-शस्त्रों की होड़ तथा निरंतर वैज्ञानिक खोजों से वातावरण सहित प्रकृति को अति क्षति का सामना करना पड़ा है। हम अनेक नए असाध्य रोगों के शिकार हो रहे हैं।
इस प्रकार यह कहना न्यायोचित होगा कि विज्ञान का सीमित एवं हितकारी प्रयोग ही हमारे भविष्य के लिए उचित होगा। पर्यावरण में अत्यन्त हस्तक्षेप से ”विज्ञान भी हमारा भला नहीं कर पाएगा। इस पर एक प्रसिद्ध दोहा चरितार्थ होता है:- ”अब पछताए होत क्या जब चिडि़या चुग गर्इ खेत। अत: हमें यह प्रण करना चाहिए कि हम अपने जीवन में विज्ञान का उपयोग सीमित रूप में ही करेंगे। यह हमारे और हमारे भविष्य के लिए हितकारी होगा।