Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi” , ” आदर्श विद्यार्थी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
आदर्श विद्यार्थी
Adarsh Vidyarthi
Essay No. 01
अर्थ – ‘विद्यार्थी’ का अर्थ है –’ विद्या प्राप्त करने वाला | ‘ किसी भी प्रकार की विद्या या कला या शास्त्र शीखने में लगा हुआ व्यक्ति विद्यार्थी है |
विद्यार्थी’ के गुण – विद्यार्थी का पहला और सबसे आवश्यक गुण है – जिज्ञासा | जिसे कुछ जानने की इच्छा ही न हो, उसे कुछ भी पढ़ाना व्यर्थ होता है | जिज्ञासा-शून्य छात्र उस औंधे घड़े के समान होता है जो बरसते जल में भी खाली रहता है |
लगन और परिश्रम – विद्यार्थी का दूसरा महत्वपूरण गुण है – परिश्रमी होना | परिश्रम के बल पर मंध्बुधि छात्र भी अच्छे-अच्छे बुद्धिमान छात्रों को पछाड़ देते हैं | इसलिए छात्र को परिश्रमी होना अवश्य होना चाहिए | जो परिश्रम की वजाय सुख-सुविधा, आराम और विलास में रूचि लेता है, वह दुर्भगा कभी सफल नहीं हो सकता |
सादा जीवन, उच्च विचार – विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह आधुनिक फैशनपरस्ती, फ़िल्मी दुनिया या अन्य रंगीन आकर्षणों से बचे | विद्यार्थी को इसे मित्रों के साथ संगति करनी चाहिए, जो उसी के समान शिक्षा का उच्च लक्ष्य लेकर चले हों |
श्रद्धावान एवं बिनयी – संस्कृत की एक शुक्ति का अर्थ है – श्रद्धावान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है | जिस छात्र के चित में अपने ज्ञानी होने का घमंड भरा रहता है, वह कभी गुरुओं की बात नहीं सुनता | जो छात्र अपने अध्यापकों तथा अपने से बुद्धिमान छात्रों का सम्मान नहीं करता, वह कभी फल-फूल नहीं सकता |
अनुशासनप्रिय – छात्र के लिए, अनुशासनप्रिय होना आवश्यक है | अनुशासन के बल पर ही छात्र अपने व्यस्त समय का सही सदुपयोग कर सकता है | मनचाही गति से चलने वाले छात्र अपना समय इधर-उधर व्यर्थ करते हैं, जबकि अनुशासित छात्र समय पर पड़ने के साथ-साथ हँस-खेल भी लेते हैं |
स्वस्थ तथा बहुमुखी प्रतिभावान – आदर्श छात्र पढाई के साथ-साथ खेल-व्ययाम और अन्य गतिविधियों में भी बराबर रूचि लेता है | कहलों से उसका शरीर स्वस्थ बना रहता है | अन्य गतिविधियों-भाषण, नृत्य, संगीत, कविता-पाठ, एन.सी.सी. आदि में भाग लेने से उसका जीवन विकसित होता है |
उच्च लक्ष्य – आदर्श छात्र वाही है जो अपनी विद्या-बुद्धि का उपयोग अपने तथा अपने समाज के विकास के लिए करना चाहता हो | सुभाष चंद्र बोस कहा करते थे—‘’विदेयार्थियों का जीवन-लक्ष्य न केवल परीक्षा में उतीर्ण होना या स्वर्ण-पदक प्राप्त करना है अपितु देश-सेवा की क्षमता एवं योग्यता प्राप्त करना भी है |”
आदर्श विद्यार्थी
Adarsh Vidyarthi
Essay No. 02
संकेत बिंदु –विद्यार्थी का अर्थ आदर्श विद्यार्थी का स्वरूप –आदर्श विद्यार्थी के लक्षण –आदर्श विद्यार्थी के गुण
विद्यार्थी का अर्थ होता है-विद्या ग्रहण करने वाला (विद्या+अर्थी)। विद्यार्थी काल जीवन का सबसे सुंदर एवं महत्त्वपूर्ण भाग कहा जा सकता है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने जीवन को चार भागों में बाँटा था ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। इन चारों में ब्रह्मचर्य आश्रम को हम जीवन की नींव कह सकते हैं। यही काल विद्यार्थी जीवन है। यह वह काल है, जब मनुष्य सांसारिक चिन्ताओं और कष्टों से परे रहकर विद्या-प्राप्ति में अपना ध्यान लगाता है। आदर्श विद्यार्थी प्रात:काल उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर घूमने जाता है। वह खुले स्थान में व्यायाम भी करता है। वहाँ से लौटकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनता है। ठीक समय पर विद्यालय पहुंचता है। वह सभी अध्यापकों का आदर करता है और पढ़ाई में ध्यान लगाता है। परंतु यह सब होने मात्र से ही कोई विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी नहीं बन जाता। विद्यार्जन और सतर्कता आदर्श विद्यार्थी के गुण हैं। केवल पाठ्यपुस्तकों पर आश्रित रहने से ही विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास नहीं होता। आदर्श विद्यार्थी पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाएँ भी पढ़ता है। इससे उसका ज्ञान बढ़ता है। वह कूप-मंडूकता के दोष से बच जाता है। आदर्श विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहता है। मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है। आदर्श विद्यार्थी नियमित रूप से व्यायाम करता है। वह काम के समय काम करता है और खेल के समय खेलता है। आदर्श विद्यार्थी सादा जीवन, उच्च विचार में विश्वास रखता है। वह कभी फैशन के चक्कर में नहीं पड़ता। वह सदाचार और स्वावलंबन के आदर्श को अपने जीवन में उतारता है।
आदर्श विदयार्थी
Adarsh Vidyarthi
Essay No. 03
विद्यार्थी शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैविद्या+अर्थी जिसका अर्थ होता है विद्या चाहने वाला। विद्यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन की आधारशिला है। जिसकी आधारशिला (नीव) मज़बत व सशक्त होती है वह सदैव मजबूत रहता है। जो विद्यार्थी जीवन को लापरवाही से बर्बाद कर देता है, उसका जीवन दुखमय एवं कठिन हो जाता है।
आदर्श विद्यार्थी समय को व्यर्थ नहीं गवाता है। वह समय का सदुपयोग करता है। भारत में आदर्श विद्यार्थी के लिए पाँच लक्षण निर्धारित किये गए हैं-
काक चेष्टा, बको ध्याने श्वान निद्रा तथैव च
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्
अर्थात् (क) कौए की भाँति चेष्टा (कोशिश) (ख) बगुले की भाँति ध्यान (एकाग्रता) (ग) कुत्ते की भाँति निद्रा (पतली नींद) (घ) अल्प आहार (हल्का भोजन करना) (ङ) गृहत्यागी (गृह को छोड़ने वाला)
एक आदर्श विद्यार्थी को सदैव अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी को सदैव अनुशासन में रहना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी को ज्ञान ग्रहण करने के लिए अपने बड़ों का आदर करना चाहिए।
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