Hindi Essay on “Aatankwad” , ” आतंकवाद” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
निबंध नंबर : 01
आतंकवाद
Aatankwad
भूमिका – आज पुरे विश्व में आतंक का साया मंडरा रहा है | न जाने कैन-सा हवाई जहाज अगुआ कर लिया जाए और किसी गगनचुंबी इमारत से टकरा दिया जाए | न जाने, कब-कहाँ कौन मारा जाए ? जब आतंकवाद के क्रूर पंजों से संसद, विधानसभा और मुख्यमंत्री तक सुरक्षित नहीं तो आम आदमी कहाँ जाए ?
आतंकवाद क्यों – प्रश्न उठता है कि आतंकवाद क्यों फल-फुल रहा है ? इसके कारण अनेक हैं | एक समाज देश या धर्म का दुसरे तो दबाना और दबे हुए का बदले की भावना से हिंसक हो उठना मुख्य कारण है | बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, भूख, क्षेत्रवाद, धर्माधता आदि अन्य कारण हैं | ये कारण इतने जटिल होते हैं कि कैंसर के समान शरीर को खा जाते हैं | कोई दवाई एन पर असर नहीं डाल पाती | एस कारण आतंकवाद फलता-फूलता रहता है |
विश्वव्यापी समस्या – आज आतंकवाद की जड़ें बहुत गहरी और विस्तृत हो गई हैं | अनेक आतंकवादी संगठनों के संपर्क-सूत्र पुरे विश्व में फैल गए हैं | ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान में बैठकर जिस तरह अमेरिअक के दो टावरों को ध्वस्त किया ; जिस तरह पाकिस्तानी नागरिकों ने भारत से बहार बैठकर मुंबई, संसद तथा कश्मीर पर आक्रमण किए, उससे उनके अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रमाण मिल जाता है |
भारत में आतंकबाद – भारत में आतंकबाद का आरंभ स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ-साथ हो गया था | कश्मीर के मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान के बीच जो खींचतान हुई, वह धीरे-धीरे हिन्दू-मुसलमान संघर्ष का घिनौना रूप धारण करने लगी | नए-नए आतंकवादी संगठन कुकुरर्मुतों की तरह उग रहे हैं | नागालैंड, मिज़ोरम, सिक्किम, उतर-पूर्व, तमिलनाडु, असम और अब हैदराबाद – सबमें कोई-न-कोई आतंकबादी गतिविधि जारी है | कहीं नक्सली आतंकवादी गुट मुख्मंत्री चंद्रबाबु पर आक्रमण कर रहा है तो कहीं उल्फा या लिट्टे सिरजोर बने हुए हैं |
हानियाँ – आतंकवाद फैलने से चारों अशांति का साम्राज्य हो जाता है | लोग चूहों की भाँती साँस लेते है और मरने को तैयार रहते हैं | वहाँ किसी प्रकार की ख़ुशी और उन्नति पसर नहीं पाती | आतंकवादी का कोई दीन-धर्म नहीं होता | वह अपनों का खून बहाने से भी बाज नहीं आता |
उपाय – आतंकवाद का सफाया करने के लिए जी-जान लगाने की हिम्मत चाहिए | हिम्मत ही नहीं, उसे कुचलने के लिए पूरी सावधानी, कुशलता और तत्परता भी चाहिए | सौभाग्य से अमेरिका के नेतृत्व में ऐसी कुछ शुरुआत हुई है | अगर अन्य देश भी इसी प्रकार संकल्प करके आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए कुछ ठोस उपाय कर सकें तो एक-न-एक दिन यह विश्व आतंकवाद सुशांत प्रदेश बन सकेगा |
निबंध नंबर : 02
आतंकवाद
Aatankwad
आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राश्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसका जहर इतनी तीव्रता से फैल रहा है कि यदि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरी मानव सभ्यात के लिए खतरा बन सकता है।
शब्दिक अर्थ में आतंकवाद का अर्थ भय अथवा डर के सिद्धांत को मानने से है। दूसरे शब्दों में, भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धांत आतंकवाद कहलाता है। विश्व के समस्त राष्ट्र प्रतयक्ष या परेक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं। रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भांति उभर आता है। यदि हम अपने देश का ही उदाहरण लें तो हम देखते हैं कि अथक प्रयासों के बाद हम पंजाब से आतंकवाद को समप्त करने में सफल होते हैं तो यह जम्मू-कश्मीर, आसाम व अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्ररंभ हो जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरंतर पचास वर्षों से चली आ रही है। हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश हैं। यहां अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्रह्म समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मों के अनुयाइयों को यहां समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। वास्तविक रूप में धर्मों का मूल एक है। सभी ईश्वर पर आस्था रखते हैं तथा मानव कल्याण को प्राधनता देते हैं। सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव व मानवता का संदेश देते हैं परंतु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते हैं। धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित करते हैं कि उनके किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशिम हो जाता है। उनमें ईष्र्या, द्वेष व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते हें।
देश में आतंकवाद के चलते पिछले पांच दशकों में 50000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं। कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है। कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपने भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं। पिछले दशक से हिंदू-सिख दंगों में कितने ही लोग जिंदा जला दिए गए। इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या कर दी। हमारे भूतपूर्व युवा प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने। अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके। पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है। वहां के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी अइातंवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है।
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियां बहना आम बात हो गई है। प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय ओर आतंक का पर्याय बन चुका है। खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पांच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है। आतंकवाद के कारण यहां का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों की ंख्या में लोग वहां से पलायन कर चुके हैं। विगत वर्षों में इस आतंकवाद ने कितनी जानें ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं। इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। चूंकि यह आतंकवाद एक सुनियोजित अभियान के तहत चलाया जा रहा है, इसलिए इसकी समाप्ति उतनी सरल नहीं है।
आतंकवाद के चलने खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं। आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं छोड़ा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुंह में समा गए तथा अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।
आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है। उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।
निबंध नंबर : 03
आंतकवाद
Aatankwad
प्रस्तावना- आंतकवाद एक ऐसी विचारधारा है जो राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है। अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैरकानूनी ढंग से सरकार को गिराने तथा शासनतन्त्र पर अपना प्रभुत्व करने का प्रयास भी करते हैं।
इस प्रकार आतंकवाद उस प्रवृति को कहते हैं, जिसमें लोग अपनी उचित अथवा अनुचित मांग को मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का सहारा लेते हैं।
भारत में आतंकवादी गतिविधियां- विगत दो दशाब्दियांे में भारत के विभिन्न प्रान्तों में आतंकवादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकवाद फैलाया है। पंजाब और कश्मीर में पाकिस्तानी प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा कई वर्षों से निर्दोष लोगों की हत्याओं का शिलशिला जारी है।
10 अगस्त, 1986 ई0 को आंतकवादियों द्वारा इण्डियन एयरलाइन्स का एक हवाई जहाज गिरा दिया गया, जिसमें 329 यात्रियांे की मौत हुई। 1995 में जम्मू के आतंकवादियों द्वारा गणतन्त्र दिवस समारोह के अवसर पर किया गया विस्फोट, 1977 में जम्मू में भीषण बम विस्फोट, 11 अगस्त, 1997 को टी0सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या, 14 फरवरी, 1998 को कोयम्बटूर में भाजपा अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवानी की हत्या का प्रयास, 28 जून, 1999 ई0 को पूंछ में 17 लोगों की हत्या, 24 दिसम्बर, 1999 को इण्डियन एयरलाइन्स के विमान का अपहरण, 28 फरवरी, 2000 ई0 को जम्मू में 5 हिन्दुओं की निर्ममय हत्या, 20 मार्च, 2000 की रात्रि करे अनन्त नाग जिले में सिक्खों की आबादी वाली बस्ती चिट्टी सिंहपुरा में 35 सिक्खों की सामूहिक हत्या, 13 दिसम्बर, 2001 को भारतीय संसद पर हमला जिसमें पांच आतंकवादी मारे गए और छह सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए आदि घटनाएं तथ्य का स्पष्ट संकेत देती हैं, कि भारत में आतंकवाद त्रीव गति से बढ़ता जा रहा है।
आतंकवाद का समाधान- आतंकवाद ने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए।
भारत सरकार ने इसकी समाप्ति के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत की संसद ने आंतकवाद विरोधी विधेयक पारित किया है, जिसके अन्तगर्त आंतकवादी गतिविधियांे में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है।
आतंकवाद और अलगावाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निबटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए।
आतंकवादियों को पकड़ने तथा उन्हें दण्डित करने के लिए आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है, जिससे जनता आतंकवादियों से लड़ने में भय का अनुभव न करे।
उपसंहार- आतंकवाद से निबटने के लिए हमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए। आतंकवाद को समाप्त करने के लिए पूरे विश्व को एक साथ होकर इससे सख्ती से निपटना चाहिए, जिससे कोई भी आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सकें।
निबंध नंबर : 04
आंतकवाद: राष्ट्र के लिए गंभीर चुनौती
Aatankwad: Rashtriya ke liye Gambhir Chunauti
यजुर्वेद का सन्देश है- ’मा भैः।’ तात्पर्य यह है कि मनुष्य न तो स्वयं भयभीत हो और न किसी को भयभीत करे। लेकिन आज सर्वत्र भय का वातावरण व्याप्त है। आज कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक, आपराधिक एवं लूटपाट का सहारा लिया जा रहा है। इसे ही समाजशास्त्री आतंकवाद कहते हैं और इससे जुड़े लोगों को आतंकवादी। वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देश आतंकवाद की चपेट में आ चुके हैं। आतंकवाद ग्लोबल समस्या का रूप ले चुका है।
हमारा देश भारत आतंकवाद से विशेष रूप से ग्रस्त है। भारत में यह आतंवाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपने पांव फैला चुका है। चाहे पृथ्वी का स्वर्ग कश्मीर हो, शस्य-श्यामला पंजाब हो अथवा महावीर और बुद्ध की धरती बिहार, उत्तर-पूर्व, की सुरम्य वादियां-सभी आज आतंकवाद के खूनी पंजों से आक्रान्त हैं। कश्मीर के आतंकवादी विदेशियों की शह पर कश्मीर को भारत से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। असम, महाराष्ट्र, नागालैण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। ये आंतकवादी भिन्न-भिन्न संगठनों के तहत संगठित होकर अपनी कार्यवार्ह करते हैं। भारत में सक्रिय कुछ प्रमुख आतंकवादी संगठन हैं–एल.टी.टी.ई., लश्करे तैंबा, हिज्बुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मुहम्मद, भिंडरवाले टाइगर्स फोर्स, खालिस्तान कमांडो फोर्स, पीपुल्स वार ग्रुप, आंध्रप्रदेश कूकी नेशनल आर्मी, नगालैण्ड नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल इत्यादि। इनके पास अत्याधुनिक हथियार है। इनकी सहायता से ये देश में भय का वातावरण उत्पन्न करने में सफल हो रहे हैं। आज भारत मंे जितनी हत्याएं हो रही हैं, उनमें आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। इनके द्वारा आत जनता तो गाजर-मूली की तरह काटी ही जा रही है, बड़े-बड़े पदाधिकारी एवं राष्ट्रध्यक्ष भी इनके निशाने से बच नहीं सके। आतंकवाद की शिकार कुछ प्रमुख राजनीतिक हस्तियां हैं–श्रीमति इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सन्त लोंगोवाल, सरदार बेअंत सिंह इत्यादि।
धार्मिक कट्टरपन, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, क्षुद्र स्वार्थपरक राजनीति और युवा असन्तोष आतंकवाद के कुछ प्रमुख कारण हैं। कश्मीर में धार्मिक कट्टरपन के कारण आतंकवाद फल-फूल रहा है। उत्तर-पूर्व, झारखंड और बिहार में क्षुद्र स्वार्थ के कारण आतंकवादी गतिविधियां हैं। लेकिन, इन सभी के मूल में युवा-असंतोष मुख्य रूप से कार्य कर रहा है। पढ़े-लिखे युवकों को जब रोजगार नहीं मिलता, तब उन्हें अपना सुनहला भविष्य अन्धकारमय दिखाई पड़ता है और, तब असामाजिक तत्वों या विदेशी घुसपैठिए इन बेरोजगारों को चंद पैसों तथा क्षणिक ऐशो-आराम देकर खरीद लेते हैं। इसके बाद ये युवक इन असामाजिक तत्वों के इशारे पर अपने ही देश में आतंक फैलाना प्रारम्भ कर देते हैं। ऐसे ही युवकों के माध्यम से हमारी हरी-भरी धरती पंजाब और स्वर्गतुल्य कश्मीर को हमसे अलग करने की साजिश चलाई जा रही है।
इसके स्थायी निराकरण के लिए देश में रोजगारोन्मुखी शिक्षा-प्रणाली लागू करनी चाहिए, ताकि कोई भी हाथ बेकार न रहे। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी हालते में युवाओं में असंतोष न उपजे। छात्रों में तो प्रारम्भ से ही राष्ट्र प्रेम की भावना भरनी चाहिए। शिक्षण-काल में ही उनके मस्तिष्क में यह विचारधारा बैठाने की कोशिश करनी चाहिए कि निजी हित से राष्ट्र हित ऊपर है। जो लोग धार्मिक सद्भावना को मिटाने की कोशिश करते हैं, सरकार को उनके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।
वर्तमान में आतंकवाद एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुका है। इसलिए इसके निराकरण के लिए भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयत्नशील होना होगा। संयुक्त राष्ट्र-संघ में आतंकवाद के विरूद्ध प्रस्ताव पास किया जा चुका है। संक्षेप में, इस समस्या से निजात पाने के लिए आज सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि उग्रवाद-आतंकवाद को मानवता का शत्रु समझा जाए और बिना भेद-भाव के तुच्छ स्वार्थों का त्याग कर इसके खिलाफ विश्व-स्तरीय मुहिम चलाई जाए।
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