Hindi Essay on “A Sleepless Summer Night” , ”ग्रीष्म ऋतु की अनिद्रा भरी रात” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
ग्रीष्म ऋतु की अनिद्रा भरी रात
A Sleepless Summer Night
गर्मी वर्ष का सबसे भयानक मौसम होता है। सूरज आसमान में बहुत तेजी से चमकता है। इसकी तपती हुई गर्मी असहनीय लगती है। हर कोई सर से पांव तक पसीने से भीगा हआ था। सारा दिन गर्म हवाएँ चल रही थीं। दिन तथा रात एक जितने ही गर्म थे। गर्मी के कारण जीवन जीना बहुत मुश्किल हो गया था। पक्षी तथा जानवर प्यास से मर रहे थे। वे आराम के लिए ठंडी तथा छांवदार जगह ढूंढते हैं। गर्मी के प्रकोप से हर कोई थका हुआ तथा सुस्त दिख रहा था।
एक गर्मी की रात बहुत डरावनी थी। आराम से सोना बहुत मुश्किल था। जब बिजली चली जाती है तो वैसे ही जीवन नर्क बन जाता है। हालात बद से बदतर हो जाते हैं। मैंने भी कई अनिद्रा भरी रातें गुज़ारी हैं। किन्तु एक ऐसी रात जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता। वह जून का महीना था। एक शाम हवा बिल्कुल बन्द थी। हमारी मुसीबतों को और बढ़ाते हुए अचानक बिजली भी चली गई। पंखे बंद हो गए। बिस्तर पर लेटे रहना लगभग असंभव हो रहा था।
मैं सारी रात करवट बदलता रहा। मच्छरों ने मुझे खुब काटा। इतनी गर्मी में बदन को चादर से ढकना भी संभव नहीं था। नींद का तो कहीं सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था। न मेरे पास मच्छरदानी थी न मच्छर भगाने का कोई साधन। मुझे हाथ के पंखे का ही सहारा लेना पड़ा। लेकिन वह भी कोई लाभ नहीं दे रहा था। गला बार-बार सूख रहा था। मैं कई लीटर पानी पी गया। पड़ोस में छोटे-छोटे बच्चे गर्मी के कारण रो रहे थे। उनकी चीखों ने मुझे और परेशान कर दिया।
हर कोई ऐसे महसूस कर रहा था जैसे जल बिन मछली। बिजली की कहीं कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही थी। लोग बार-बार बिजली विभाग को फोन कर रहे थे। बिजली में कोई बड़ा फाल्ट पड़ गया था। गर्मी जानलेवा थी। मैंने दो बार गुसलखाने में जा कर स्नान किया। मैं बाहर आ कर आँगन में टहलने लगा। समय बहुत धीरे-धीरे चल रहा था। इस प्रकार मुझे सारी रात जाग कर काटनी पड़ी।