Hindi Essay, Moral Story “Dhobi ka kutta, ghar ka na ghat ka ” “धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का” Story on Hindi Kahavat for Students of Class 9, 10 and 12.
धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का
Dhobi ka kutta, ghar ka na ghat ka
एक धोबी परिवार था। उसमें पति-पत्नी और दो छोटे बच्चे थे। जब धोबी गधों पर कपड़े लादकर घाट पर जाता, तो साथ बच्चों को भी ले जाता और दरवाजे पर ताला लगा जाता। धोबी का कुत्ता कभी घर पर रह जाता था और कभी धोबी के साथ चला जाता था।
धोबी परिवार सहित अच्छी तरह से रहता था। बहुत से लोग उनकी खुशहाली से जलते थे। वे अकसर धोबी का बुरा चाहते रहते थे। नुकसान करने के लिए किसी-न-किसी मौके की तलाश में रहते थे।
एक बार गर्मी के दिन थे। दोपहर को गलियों में सन्नाटा छाया रहता था। एक दिन दोपहर में किसी ने धोबी के घर का ताला तोड़कर चोरी कर ली। चोर उसके कुछ रुपए और गहने चुराकर ले गए। जब धोबी काम से वापस आया, तो उसे घर का ताला टूटा मिला। घर में इधर-उधर कपड़े बिखरे पड़े थे।
धोबिन ने रोना-पीटना शुरू कर दिया, “हाय, मैं तो लुट गई। कुछ भी नहीं छोड़ा नासपीटों ने। पैसा और जेवर सब ले गए।” तमाम अनाप-शनाप धोबिन बकती रही और गालियां देती रही चोरों को।
धोबी ने कोतवाली में इत्तला की, तो वहां से दरोगा और सिपाही आ गए। उन्होंने परिवार वालों तथा पड़ोसियों से पूछताछ की। लोगों ने बताया कि सब लोग अपने-अपने काम पर गए हैं। औरतें गर्मी की वजह से घर से निकलती नहीं हैं। इसीलिए किसी को चोरी का पता ही नहीं चल पाया।
पड़ोसियों ने कहा कि इसका शेरू कुत्ता बहुत वफादार है। वह घर में किसी कुत्ते-बिल्ली को भी नहीं जाने देता। आज कुत्ता भी घर पर नहीं था।
पड़ोसियों की बात सुनकर दरोगा बोला, धोबी के कुत्ते का क्या? ‘धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का’।