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Suryakant Tripathi “Nirala” “सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला'” Hindi Essay, Paragraph in 700 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ Suryakant Tripathi “Nirala” अपनी स्वच्छन्द प्रकृति के अनुरूप काव्य को भी स्वछन्द बनाने वाले स्वर्गीय ‘निराला’ जी हिन्दी साहित्य के अनूठे व्यक्ति थे। आपने ही सर्वकाय काव्य में छन्द बन्धन को तोड़कर मुक्त छन्द कविता का प्रणयन किया। तात्पर्य यह कि केवल गीतात्मक काव्य ही उनका मूलाधार बना। आपकी प्रारम्भिक रचनाओं में छायावादी प्रकृति प्रेम और मधुर कल्पना के दर्शन होते हैं। यथा- सखि, बसन्त आया। आदृत वाणी-उर...
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Sahitya aur Vigyan “साहित्य और विज्ञान” Hindi Essay, Paragraph in 700 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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साहित्य और विज्ञान Sahitya aur Vigyan सामान्य रूप से देखने पर साहित्य और विज्ञान दोनों के कार्य क्षेत्र अलग-अलग प्रतीत होते हैं, किन्तु सत्य यह है कि ये दोनों अपने मूल उद्देश्य की दृष्टि से मानव-समाज की सेवा में लगे हुए हैं। अपने मूल रूप में साहित्य एक ललित कला और विज्ञान को उपयोगी कला के अन्तर्गत रखा जा सकता है। दोनों का रचनात्मक उद्देश्य मानव-जीवन और समाज का उत्कर्ष करना...
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Hindi ke Vikas mein Yogdaan “हिन्दी के विकास में योगदान” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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हिन्दी के विकास में योगदान Hindi ke Vikas mein Yogdaan हिन्दी के इतिहास के अध्ययन करने पर यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि विगत हजार वर्षों से ऐसे लेखकों ने हिन्दी में श्रेष्ठ रचनाएँ प्रस्तुत की हैं जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं थी। पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र और कर्नाटक तक के लोगों का हिन्दी के प्रति विशिष्ट अवदान रहा है। हिन्दी के आदिकाल से आज तक ऐसे लोग हिन्दी में...
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Sahitya aur Dharam “साहित्य और धर्म” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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साहित्य और धर्म Sahitya aur Dharam साहित्य को मानव-जीवन की कोमल-कान्त आन्तरिक भावनाओं का वाहक माना गया है, हालाँकि उनका आधार जीवन का ऊबड़-खाबड़, कठोर और यथार्थ धरातल ही हुआ करता है। इसके विपरीत धर्म का सम्बन्ध भी वस्तुतः मानव मन की कोमल, भावुक और एक सीमा तक चमत्कार प्रिय भावनाओं से ही हुआ करता है, यद्यपि वे भावनाएँ जागतिक धरातल पर आधारित न होकर तरह-तरह के आलौकिक या पारलौकिक विश्वासों,...
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Rashtrapita Mahatma Ghandi “राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी Rashtrapita Mahatma Ghandi भारतीय संस्कृति की ‘धर्मपरायणता’ अपनी विशेषता है। इसी की आस्था से प्रत्येक भारतीय के अन्तस् में गीता का श्लोक यदा यदा हि धर्मस्य… गूँजता है। अब धरा पर अन्याय होता है, मानव-आत्मा उससे चीत्कार कर उठती ह, तभी प्रभु किसी महापुरुष के रूप में अवतरित होते है। राष्ट्रपिता गांधी जी ऐसे ही महापुरुष के अवतार थे। अपने जीवन-काल में अपने जिस मार्ग का भारतीयों को...
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Rabindranath Thakur “रवीन्द्रनाथ ठाकुर” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर Rabindranath Thakur भारत की पावन भूमि सदैव ऋषि-महर्षि, कलाकार, साहित्यकार, दर्शन-वेत्ता और युगीन महापुरुषों की जन्म-भूमि रही है। आधुनिक युग में कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ का वही स्थान है। जहाँ महात्मा गांधी ने राजनीति को अपना क्षेत्र बनाकर अपने महान् व्यक्तिव से संसार के गर्व का खण्डन किया है वहीं कवीन्द रवीन्द्रनाथ ने गीत साहित्य के रूप में उसे आश्चर्य निमग्न किया है। पं. नेहरू के शब्दों में “भारत के ये...
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Ramdhari Singh Dinkar “रामधारी सिंह दिनकर” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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रामधारी सिंह दिनकर Ramdhari Singh Dinkar   कोई भी साहित्य अपने युग का प्रतिनिधि होता है और साहित्यकार अपने भावों की अभिव्यक्ति उसी के अनुकूल अपनी कृति में करता है। यही कारण है कि प्रत्येक युग के साहित्य तथा उसके रूप-चित्रण में कुछ-न-कुछ अन्तर अवश्य रहता है। बदलती हुई मानवीय विचारधारा के साथ उसके कलेवर में भी परिवर्तन हो जाता है। जब यह बदलती प्रवृत्ति किन्ही सीमित व्यक्तियों तक ही उफन...
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Munshi Premchand “मुंशी प्रेमचन्द” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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मुंशी प्रेमचन्द Munshi Premchand सच्चा साहित्यकार चाहे वह कवि हो या गद्यकार अपने युग का प्रतिनिधि होता है। उस काल की सभी सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनैतिक परिस्थितियों एवं समस्याओं का उसकी कृतियों में पूर्ण विवरण होता है। लेकिन वह अपने कर्म की यहीं इतिश्री नहीं कर देता, उन समस्याओं का हल भी प्रस्तुत करता है, यथार्थ की भूमि पर आदर्श के सहारे जीवन में एक दिव्य ज्योति को छिटकाता है।...
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