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Hindi Essay on “Vidyarthi Jeevan : Kartavya Aur Adhikar” , ” विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार आम बोलचाल की सामान्य परिभाषा में विद्या-प्राप्ति का इच्छुक विद्यार्थी कहा जाता है। इस दृष्टि से सामान्यतया शिक्षा-कला को विद्यार्थी-जीवन कहा जा सकता है। यों तो मनुष्य सारा जीवन ही कुछ-न-कुछ सीखता रहता है पर उसे विद्यार्थी नहीं कहा जात। जब तक वह स्कूल-कॉलेज जाता और उनके अनुरूप परीक्षांए देता रहता है, उसी कालावधि को विद्यार्थी काल कहते हैं। इस काल में अपने नाम के...
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Hindi Essay on “Sahitya ka Adhyayan Kyo” , ”साहित्य का अध्ययन क्यों” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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साहित्य का अध्ययन क्यों साहित्य को साहित्य इसलिए कहा गया है कि उसमें बुनियादी तौर पर मानव-जीवन और समाज के ‘हित’ का भाव स्वत: ही अंतर्हित रहा करता है। वह मनुष्यों की आत्मा को एक करने वाली कोमल-कांत कड़ी का काम भी किया करता है। वह हमारी कोमल-कांत भावनाओं को सहलाया ही करता है, हमारे जीवन को सहज व्यवहारों की सीख भी दिया करता है। जीवन के सामने समय-समय पर आने...
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Hindi Essay on “Pragativad” , ” प्रगतिवाद” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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प्रगतिवाद हिंदी-साहित्य का  इतिहास में आधुनिक काल में छायावाद के बाद आरंभ के चौथे चरण को प्रगतिवादी विचारधारा से प्रभावित साहित्य-रचना का युग स्वीकार किया गया है। इसका आरंभ सन 1936 के आस-पास से स्वीकारा जाता है। इससे पहले वाले छायावादी-युग की कविता कल्पना-प्रधान थी, पर अब कविगण कल्पना के आकाश से उतरकर जीवन के यथार्थ से प्रेरणा लेकर धरती पर पैर जमाने लगे। फलस्वरूप कविता की जो नई धारा चली,...
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Hindi Essay on “Sahitya mein Prakriti Chitran” , ” साहित्य में प्रकृति-चित्रण ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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साहित्य में प्रकृति-चित्रण प्रकृति अपने-आप में सुंदर है और मानव-स्वभाव से ही सौंदर्य-प्रेमी माना गया है। इसी कारण प्रकृति और मानव का संबंध उतना ही पुराना है, जितना कि इस सृष्टि के आरंभ का इतिहास। सांख्यदर्शन तो मानव-सृष्टि की उत्पति ही प्रकृति से मानता है। आधुनिक विकासवाद का सिद्धांत भी इसी मान्यता को बल देता है। अन्य दर्शन पृथ्वी, जल, वायु, अग्रि, और आकाश नामक जिन पांच तत्वों से सृष्टि की...
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Hindi Essay on “Chayavad : Pravritiya Aur Visheshtaye” , ”छायावाद : प्रवृतियां और विशेषतांए” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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छायावाद : प्रवृतियां और विशेषतांए संवत 1900 से आरंभ होने वाले आधुनिक काल का तीसरा चरण छायावाद के नाम से याद किया जाता है। इसे अंग्रेजी काव्य में चलने वाले स्वच्छंदतावाद का परिष्कृत स्वरूप माना गया है। उस युग में विद्यमान अनेक प्रकार के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, नैतिक बंधनों के प्रति युवकों के मन में उत्पन्न असंतोष के भाव ने हिंदी में इस काव्यधारा को जन्म दिया। ऐसा प्राय सभी स्वीकार...
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Hindi Essay on “Hindi Sahitya ko Nariyo ki Den” , ” हिंदी-साहित्य को नारियों की देन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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हिंदी-साहित्य को नारियों की देन साहित्य को किसी भी जाति और समाज की जीवंतता को प्रमाणित करने वाली धडक़न कहा जा सकता है। जिस प्रकार जीवन और समाज की धडक़न बनाए रखने में स्त्री-पुरुष दोनों का सामान हाथ है, उसी प्रकार जीवन के विविध व्यावहारिक एंव भावात्मक स्वरूपों के निर्माण में भी दोनों का समान हाथ है। साहित्य उन भावनात्मक रूपों में से एक प्रमुख एंव महत्वपूर्ण विद्या स्वीकार किया जाता...
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Hindi Essay on “Bharatiya Sanskriti ki Visheshtaye” , ”भारतीय संस्कृति की विशेषतांए ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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भारतीय संस्कृति की विशेषतांए ‘संस्कृतिै’ शब्द ‘संस्कार’ से बना माना गया है। इस कोई प्रत्यक्ष, मूर्त या साकार स्वरूप नहीं हुआ करता, वह तो मात्र एक अमूर्त भावना है। भावना भी सामान्य नहीं, बल्कि गुलाब की सी ही कोमल, सुंदर और सुंगधित भी। वह भावना जो अपने अमूर्त स्वरूप वाली डोर में न केवल केसी विशेष भू-भाग के निवासियों, बल्कि उससे भी आगे बढ़ सारी मानवता को बांधे रखने की अदभुत...
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Hindi Essay on “Mera Priya Lekhak” , ” मेरा प्रिय लेखक ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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मेरा प्रिय लेखक यह सभी जानते और मानते हैं कि कवि और लेखक बनाने से नहीं बनते, बल्कि जन्मजात हुआ करते हैं। प्रकृति ही कुछ लोगों को ऐसी सृजन-प्रतिभा प्रदान करके जन्म दिया करती है, जिसके कारण साहित्य का उपवन हमेशा फूला-फला रहा करता है। हिंदी-साहित्य के आंगन में ऐसे अनेक लेखकर-रत्न जन्म ले चुके हैं कि जिनका लोहा आज भी सारा विश्व स्वीकार करता है और भविष्य में भी निरंतर...
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