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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 282)
नागरिक के अधिकार और कर्तव्य Nagrik Ke Adhikar Aur Kartavya सामान्यत: किसी एक देश का नगर-गांव वासी नागरिक होता है, परंतु व्यापक अर्थ में किसी स्वतंत्र राज्य, राष्ट्र में निवास करने वाले व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है। एक जीवित इकाई होने के कारण प्रत्येक नागरिक को जहां अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त रहा करते हैं, वहां उसको कई प्रकार के कर्तव्यों का पालन भी आवश्यक रूप से करना होता है।...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रांतीयता का अभिशाप Prantiyata Ka Abhishap देश एक शरीर है, प्रांत उसका मात्र एक अंग है। देश एक समग्र दहाई है, तो प्रांत मात्र एक इकाई है। जिस प्रकार व्यक्ति समाज की सशक्त इकाई हुआ करता है, उसी प्रकार प्रांत किसी देश और राष्ट्र की एक सशक्त और जीवित इकाई माना जाता है। व्यक्ति की इकाइयां मिलकर समाज की दहाई का सृजन करती हैं। जैसे व्यक्तियों के मनमान व्यवहार और बिखराव...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्र और राष्ट्रीयता Rashtra Aur Rashtriyata राष्ट्र और राष्ट्रीयता पूर्ण रूप से परस्पर संबद्ध अत्यंत सूक्ष्म तत्व एंव विषय हैं। किसी विशेष भू-भाग पर रहन ेवाले ऐसे लोग राष्ट्र कहलाते हैं, जिनके सुख-दुख आशा-विश्वास, रीति-रिवाज और परंपराएं, उत्सव-त्योहार और भाषा आदि सब-कुछ सांझा हुआ करता है। उनके धार्मिक विश्वास और सांप्रदायिक मान्यतांए अलग हो सकती हैं, पर सभ्यता-संस्कृति की चेतना बड़ी सूक्ष्मता के साथ परस्पर जुड़ी हुई या फिर एक ही...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लोकतंत्र और तानाशाही Loktantra Aur Tanashahi संसार में विभिन्न प्रकार के वाद प्रचलित रहे और आज भी विद्यमान है। इनमें से लोकतंत्र और तानाशाही दो विभिन्न चरित्र, स्वरूप और स्वभाव वाली शासन व्यवस्थाओं का नाम है। पहली-यानी लोकतंत्र की शासन-व्यवस्था में आम जन का महत्व रहता है, जबकि दूसरी-यानी तानाशाही में किसी एक ही व्यक्ति विशेष का मूल्य और महत्व सर्वोच्च रहा करता है। दोनों के स्वरूप-स्वभाव में यह मौलिक अंतर...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लोकतंत्र में चुनाव का महत्व Loktantra me Chunav Ka Mahatav या चुनाव Chunav निबंध नंबर :01 संसार में अनेक प्रकार की शासन-व्यवस्थांए प्रचलित हैं। उनमें से लोकतंत्र या जनतंत्र एक ऐसी शासन-व्यवस्था का नाम है, जिसमें जनता के हित के लिए, जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही सारी व्यवस्था का संचालन किया करते हैं। इसी कारण जिन देशों में इस प्रकार की सरकारों की व्यवस्था है, राजनीतिक शब्दावली में उन्हें लोक-कल्याणकारी...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages4 Comments
संयुक्त राष्ट्रसंघ Sanyukt Rashtra Sangh निबंध नंबर : 01 विश्व के विभिन्न राष्ट्रों का संगठन संयुक्त राष्ट्रसंघ के नाम से पुकारा जाता है। यह वह संस्था है, जिसके मंच पर विश्व के प्राय: सभी राष्ट्रों के प्रतिनिधि युद्ध एंव शांतिकाल की विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर खुलकर विचार-विमर्श करके उसके समाधान खोजने का प्रत्यत्न करते हैं। इस प्रकार के संगठन की पहली बार कल्पना प्रथम विश्वयुद्ध (सन-1914-20) के दुष्परिणामों को देखकर जागी...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत का संविधान Bharat Ka Samvidhan किसी देश की मानसिकता, इच्छा-आकांक्षाओं, तत्कालीन और दीर्घकालीन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही उसका संविधान बनाया जाता है। वह संविधान वहां की राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक और परिचायक हुआ करता है।भारत के संविधान के संबंध में भी यही सब कुछसहज भाव से कहा एंव स्वीकारा जा सकता है। 15 अगस्त सन 1947 तक क्योंकि भारत ब्रिटिश सत्ता के अधीन था, अत: उसका अपना कोई...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
शराब-बंदी या दारूबंदी या मद्य-निषेध मद्य या दारूबंदी की चर्चा आज चारों तरफ आम चर्चा का विषय है। मद्य-यानी शराब। आजकल भारतीय जीवन और समाज में शराब पीना भी एक प्रकार से फैशन का सबल अंग बन चुका है। शराब पीना गर्व, गौरव और आधुनिकता की पहचान बनता और समझा जा रहा है। लोग बड़ी चुस्कियां लेकर शराब पीने की बातों और स्थितियों की आपस में चर्चा करते हैं। पहले दशहरा-दीवाली,...
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July 3, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment