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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 276)
बाल मजदूरी की समस्या Bal Majdoor ki Samasya बच्चा उस पनीरी या नन्हीं पौध के समान हुआ करता है, जिसको भविय के खेतों में बोकर पूर्ण पकी फसल, या फल-फूलों-पत्तों से लदे विशाल वृक्ष बनना होता है। इसी कारण आज के बच्चे को भविष्य का नागरिक और माता-पिता कहा जाता है। यह फसल, ये वृक्ष, भविष्य के ये माता-पिता, नागरिक और हमारी जातीय, देशीय, राष्ट्रीय वंश-बेला समुचित परिचालन, पोषण एंव...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
राष्ट्र-निर्माण और नारी Rashtriya Nirman aur Nari नारी हो या पुरुष, राष्ट्र और उससे संबंद्ध प्रत्येक जन का आपस में गहरा संबंध होता है। राष्ट्र एक व्यापक भावनात्मक सत्ता का नाम है। वह मानव-प्राणियों के अस्तित्व के कारण ही अपना सूक्ष्म या अमूर्त स्वरूपाकार ग्रहण किया करता है। राष्ट्र-जन भी उसी के कारण सुरक्षित रहा करते हैं। अत: जब हम मानव-प्राणियों की बात कहते हैं, तो पुरुष के साथ नारी का...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बंधुआ मजदूर Bandhua Majdoor जी हां, जनाब! मजदूर और मजदूरी भी बंधुआ हुआ करते या हो सकते हैं। जमीन, जायदाद, घर, मकान और सोने-चांदी के आभूषण। यहां तक कि रसोई के बर्तन-भांडे और घरेलु सामान के बंधुआ हो जाने अथवा बंधक रख देने की बात तो हम शुरू से ही सुनते आ रहे हैं। कई बार यह सुनने-पढऩे को भी मिलता रहता है किकिसी जुआरी महोदय ने जूए में पराजित होकर...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हड़ताल Hadtal औद्योगिक प्रगति और मजदूर-जागृति के कारण आज हर दिन हमें किसी-न-किसी तरह की हड़ताल का सामना करना पड़ता है। हड़ताल-यानी बंद! काम-काज ठप्प ओर जीवन की सभी प्रकार की गतिविधियां एक निश्चित-निर्धारित समय के लिए समाप्त। जी हां, आज इस प्रकार होना आम बात हो गई है। सुना है, पहले केवल कल-कारखानों या मिलों में काम करने वाले मजदूर ही हड़ताल किया करते थे। वह भी उचित और जायज...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
पयर्टन-उद्योग Paryatan Udyog आज के युग को उचित ही उद्योग-व्यापार युग कहा जाने लगा है। क्योंकि आज के युग में प्रत्येक मानवीय कदम उद्योग बनता जा रहा है। है न विचित्र बात कि सैर-सपाटा भी उद्योग और गया है। पर्यटन यानी भ्रमण। भ्रमण भी कभी उद्योग हो सकता है? होता है। आजकल पर्यटन का विकास भी एक उद्योग की तरह हो रहा है। जैसे अन्य सभी प्रकार के उद्योग अपनी प्रसिद्धि...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वह लोमहर्षक दिन Vah Lomharshak Din उफ! वह दिन! वह लोमहर्षक दिन! वह दिन याद आकर आज भी तन-मन में कंपकंपी ला देता है। लगने लगता हे कि हमारा जीवन भी कितना क्षणिक, कितना अस्थिर है। उफ! कई बार जीवन में ऐसी-ऐसी घटनांए घट जाती हैं, जो भुलाए नहीं भूलती औश्र याद आ-कर अक्सर रोंगटे खड़े कर दिया करती हैं। ऐसी ही एक घटना दो-तीन वर्ष पहले मेरे सामने भी घटी...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्लेटफॉर्म का एक दृश्य Platform Ka Ek Drishya हमारा जीवन वास्तव में बड़ा विचित्र है। अपने प्रतिदिन के जीवन में हमें अनेक विचित्र लगने वाले दृश्यों से दो-चार होना पड़ता है। जिंदगी एक निरंतर सफर है। यह सफर सुहाना है या नहीं, इसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग-अलग अनुभव हुआ करता है। खैर, इस कथन के भावात्मक अर्थ की ओर न जा, जब हम भौतिक और व्यावहारिक अर्थ...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
श्रीमती महादेवी वर्मा Mahadevi Verma अपने को ‘नीर भरी दुख की बदली’कहने के कारण आधुनिक मीरा के नाम से जानी और मीरा ही मानी जाने वाली, प्रेम और वेदना की अनुभूति-भरी कवयित्री श्रीमती महादेव वर्मा हिंदी-साहित्य की एक महानतम उपलब्धि हैं। इनका जन्म सन 1907 में फर्रूखबाद के एक धार्मिक और एक संपन्न परिवार में हुआ था। पिता नामी वकील थे और माता ममता करूणा से भरी सह्दय गृहस्थ नारी। इनकी...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment