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Bharat mein Paryatan ka Vikas “भारत में पर्यटन का विकास” Hindi Essay, Nibandh 700 Words for Class 10, 12 Students.

भारत में पर्यटन का विकास

Bharat mein Paryatan ka Vikas

आधुनिक विश्व में पर्यटन सबसे तेजी से फैलने वाला और सबसे ज्यादा लाभप्रद उद्योग है। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन में परोक्ष रूप से निर्यात व्यवसाय भी शामिल है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि कुछ और उद्यमी देशों ने इस फैलते हुए उद्योग को धन उगाहने के रूप में ले लिया है। हाल के वर्षों में भारत भी इस सच्चाई से अवगत हो गया है और अब इस विदेशी मुद्रा कमाने वाले उद्योग के विकास और इसे बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर संकेन्द्रित प्रयास किये जा रहे हैं। भारत अपनी धनी सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन स्मारकों, विश्व प्रसिद्ध मन्दिरों, वास्तुकला की श्रेष्ठ कृतियों, जंगली जीव अभ्यारण्यों और दार्शनिक स्थानों के कारण पर्यटकों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण केन्द्र है।

प्राचीन काल में कई दशकों तक भारत में पर्यटन व्यापार उत्तरी क्षेत्र तक ही सीमित था। यहाँ आगरा में ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, वाराणसी, बोध गया, जयपुर और खजुराहो मुख्य पर्यटक आकर्षक केन्द्र हैं। किन्तु पर्यटन को शायद ही कभी उद्योग समझा गया हो, पर्यटकों के ठहरने, भोजन और दर्शनीय स्थानों को देखने के लिए उन्हें तीर्थयात्रियों जैसा समझा जाता था। अक्टूबर 1966 में भारत सरकार ने पर्यटन विकास निगम की स्थापना की, जिससे राजस्व के इस अगाध स्रोत विदेशी मुद्रा तथा पर्यटन उद्योग से आधुनिक वाणिज्य पद्धति के माध्यम से लाभ उठाया जा सके। यह निगम सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान के अन्तर्गत है और गत वर्षों में इसने उल्लेखनीय प्रगति की है। यह एक विशिष्ट पर्यटक सेवा उपलब्ध कराता है। इन दिनों लाखों पर्यटक प्रत्येक वर्ष एक देश से दूसरे देश में जाते हैं और भारत को अब इस पर्यटक आवागमन का अच्छा अंश प्राप्त हो रहा है। भारतीय पर्यटक विकास निगम के अधीन कई होटल समुद्रतट सैरगाह, मोटेल्स, रेस्तरां, यातायात इकाईयाँ, शुल्क-मुक्त दुकानें और कई पयर्टन वाहन-कारें व बसें हैं।

बंगलौर में अशोक होटल की स्थापना से यह शहर अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र में आ गया है। भारत में प्रथम समुद्रतट सैरगाह कोबलम बीच के बाद, महाबलिपुरम् में दूसरे आमल्लापुरम् सैरगाह की स्थापना की गई है। दिल्ली, आगरा, खजुराहो और वाराणासी के मुख्य परिपथ में नये होटल और रेस्तरॉ खोले गए हैं। उदयपुर स्थित लक्ष्मी विलास महल को होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। महाराष्ट्र में अजन्ता और एलोरा आने वाले पर्यटकों के लाभ के लिए औरंगाबाद का विकास किया गया है। कश्मीर में गुलमर्ग को शीतकालीन खेलों के केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है। बाघों, शेरों, सिंहों, गैंडों, हाथियों और प्रवासी पक्षियों के लिये नये वन्य जन्तु अभ्यारण्यों तथा राष्ट्रीय उद्यानों का विकास किया जा रहा है। हैदराबाद और बोरीविले में शिकार उद्यान खोला गया है।

पर्यटकों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी उल्लेखनीय सुधार किया गया है। जंगल आवासों और शिकार उद्यानों को वन्य जन्तु अभ्यारण्यों के रूप विकसित किया जा रहा है। बन्द गाड़ियों में पर्यटकों की सुरक्षा के साथ वन्य जीवन देखने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। पिछले वर्षों में भारत ने विश्व में पर्यटन उद्योग में अभूतपूर्व विशिष्टता के लिए वांछनीय प्रतिष्ठा प्राप्त की है। भारतीय पर्यटन विकास निगम की फिल्म डेस्टिनेशन इण्डिया काफी सफल रही तथा इसने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है।

भारत सरकार राष्ट्रीय पर्यटन नीति- 2002 की घोषणा कर चुकी है। इस नीति में देश को एक विश्वस्तरीय गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। पर्यटन के लक्ष्य के रूप में देश की उन विस्तृत संभावनाओं का दोहन किया जा सके जिनका उपयोग अभी तक नहीं हो सका है।

देश में पर्यटन के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से दसवीं पंचवर्षीय योजना में कुछ विशेष पक्षों पर जोर दिया जायेगा जिसमें घरेलू पर्यटन को विशेष रूप से प्रोत्साहित करना,. देश को एक ग्लोबल ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना, निजी क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भागीदारी को पहचानना सम्मिलित है।

वर्ष 2004 के मुकाबले वर्ष 2005 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2005 में पर्यटन द्वारा 25,172 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की गयी।

पर्यटन हमारे जीवन और संस्कृति का झरोखा है। भारतीय पर्यटन विकास निगम पर्यटन को बढ़ावा के लिए होटल की सेवाओं में मनोरंजन और सज्जा द्वारा विदेशी पर्यटकों को यथार्थ अनुभव देने में सराहनीय कार्य कर रहा है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पर्यटन उद्योग देश में तेजी से अपने पंख फैला रहा है।

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