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Bharat mein Mahilaon ke Rajnitik Adhikar  “भारत में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार” Hindi Essay, Nibandh 700 Words for Class 10, 12 Students.

भारत में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार

Bharat mein Mahilaon ke Rajnitik Adhikar 

केवल अधिक राजनैतिक अधिकार ही महिलाओं की दुर्दशा में सुधार नहीं कर पाएगा

एलिजाबेथ के शासन काल में विलियम शेक्सपियर द्वारा महिलाओं के लिए दिए गए नाम “कमजोरी” की प्रासंगिकता अब समाप्त हो चुकी है। पुरुष की अर्द्धांगिनी, महिला सहस्राब्दि की नींद से जाग गई है और समाज में अपनी जगह की मांग कर रही है। देश की कुल जनसंख्या में 49 प्रतिशत महिलाएं हैं और इस प्रकार इस देश में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक समुदाय है। इसलिए आधुनिक समाज द्वारा उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।

वर्षों में शहरी महिलाओं की भूमिका और स्थिति में धीरे-धीरे सुधार यद्यपि हाल हो रहा है किन्तु ग्रामीण महिलाओं की स्थिति कारुणिक एवं दयनीय है । पर्दा प्रथा, बाल-विवाह, बालिका शिशु-हत्या, दहेज और कुछ ऐसी ही अन्य कुप्रथाओं ने महिलाओं के जीवन को अधिक दयनीय बना दिया है। इन सामाजिक बुराइयों के अलावा काफी निम्न साक्षरता दर, अंधविश्वास और कुछ समुदायों में बहुविवाह ने महिलाओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया है। उन्हें पुरुषों के समान स्थिति, समान अवसर और समान कार्य के लिए समान वेतन देने से इंकार किया जाता है, यद्यपि जीवन और सभ्यता में उनका योगदान पुरुषों से कम नहीं है।

महिलाओं ने हमेशा बोने, काटने जैसे कृषि कार्यों, औद्योगिक गतिविधियों, इंजीनियरिंग के अतिरिक्त चिकित्सा, नर्सिंग, शिक्षण और इसी तरह के अन्य कार्यों में पुरुषों की सहायता की है। वर्तमान में महिलाएं घरेलू काम-काज और बच्चों के लालन-पालन के अतिरिक्त विमान उड़ाती हैं, होटल चलाती हैं, विद्यालय एवं महाविद्यालयों में पढ़ाती हैं, अपराध रोकती हैं, भीड़ नियंत्रित करती हैं, फिल्म बनाती हैं। वर्तमान में काम-काजी महिलाएं घर में रहने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक श्रम-साध्य और व्यस्त जीवन जी रही हैं और वास्तव में उनके पास आराम के लिए समय नहीं है। इन सब बातों से वर्तमान में भारत की काम-काजी महिलाओं की धुंधली एवं मलिन तस्वीर उपस्थित होती है।

महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए कुछ समय से महिलाओं को और अधिकार देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी विचार से गठित राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसद और राज्य विधान सभाओं में 33 प्रतिशत सीटों के आरक्षण का प्रस्ताव किया है।

इस उद्देश्य के अनुपालन के लिए संविधान (81वां संशोधन) विधेयक, 1996 तैयार किया गया है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक, करना और अधिकार देना है तथा राजनीतिक और लोकतांत्रिक संस्थानों में उनकी प्रभावशाली भागीदारी सुनिश्चित करना है। विधेयक इस बात पर निर्भर है कि हमारी निर्वाचित विधान सभाओं की लैंगिक संरचना उनके कार्यों के अनुसार नहीं है।

अधिकांश महिलाओं के उत्थान के लिए पहला कदम उन्हें शिक्षित करना होना चाहिए। शिक्षा एक ऐसा बीज है जिसके गर्भ में विकास, आत्मनिर्भरता और उन्नति का फल छिपा होता है। इसलिए संसद और विधानसभाओं, जहाँ पार्टी ‘व्हिप’ के अनुसार अपना मतदान करने की वैधानिक बाध्यता होगी, में आरक्षण का प्रावधान करने की तुलना में शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना अधिक महत्त्वपूर्ण है।

यह भी मानना सही नहीं है कि केवल महिला विधेयक ही महिलाओं के अधिकारों की देखभाल कर सकती है। राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गाँधी ने वर्तमान या अतीत के किसी महिला विधायक या मंत्री के तुलना में महिलाओं के उद्धार के लिए बहुत अधिक कार्य किया है। भारतीय महिलाओं की मुख्य आवश्यकता सड़कछाप रोमियो और वासना के भूखे साथियों और बॉस से सुरक्षा प्रदान करना है, जो कार्यस्थल पर उनका यौन उत्पीड़न करते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें अपने घर की चाहरदीवारी के अंदर संबंधियों और अभिभावकों द्वारा कौटुम्बिक व्यभिचार से सुरक्षा प्रदान किए जाने की आवश्यकता भी है।

वर्तमान में, आधुनिक भारत में महिलाओं की निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका है। हम देश के विकास और उन्नति के लिए राष्ट्रीय पनुसंरचना, ग्रामीण उत्थान और सर्वागीण विकास की योजना में व्यस्त हैं। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलना है। समय की मुख्य आवश्यकता ऐसा वातावरण तैयार करने की है जहाँ महिलाएँ अपना जीवन सम्मान के साथ, बिना किसी खतरे के स्वतंत्र रूप से व्यतीत कर सकें। स्वामी विवेकानंद ने कहा है “जब तक महिलाओं की दशा में सुधार नहीं किया जाता, तब तक विश्व के कल्याण की कोई संभावना नहीं है। पक्षी का एक पंख से उड़ना संभव नहीं है।”

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