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Bharat main Tyohar aur unka Mahatva “भारतीय में त्यौहार और उनका महत्त्व” Hindi Essay, Nibandh 600 Words for Class 10, 12 Students.

भारतीय में त्यौहार और उनका महत्त्व

Bharat main Tyohar aur unka Mahatva

भारत मेलों, उत्सवों, पर्वों और त्यौहारों का देश है और सभी धार्मिक समुदायों की इसकी अपनी अलग सूची है। किन्तु हिन्दू सबसे ज्यादा त्यौहारों को मनाते हैं। हिन्दुओं के मुख्य त्यौहारों में दिवाली, दशहरा, होली, जन्माष्टमी आदि हैं। मुसलमानों के मुख्य त्यौहारों में ईद एवं मुहर्रम है। ईसाई समुदाय का ईस्टर और क्रिसमस है। सिक्ख अपने गुरुओं के जन्म दिवस को त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

दक्षिण भारत के लोग अपने पारम्परिक त्योहार जैसे ओणम एवं पोंगल पारम्परिक उल्लास एवं जोश से मनाते हैं। वहीं ‘बिहू’ असम का मुख्य पर्व है, यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। जैन एवं बौद्ध धर्म के लोग अपने प्रवर्तकों के जन्म-दिन को त्यौहार के रूप में पूरी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाते हैं।

लगभग सभी भारतीय त्योहारों के उदगम में पौराणिक या धार्मिक असाधारण किंवदन्ती या घटना किसी व्यक्ति से सम्बन्धित हैं। दिवाली भगवान राम के वनवास से वापस लौटने की खुशी में मनाई जाती है। यह देश के सभी लोगों द्वारा मनाई जाती है। होली का त्योहार बुराई के ऊपर सच्चाई की जीत के लिए प्रसिद्ध है। उसके पीछे निहित पौराणिक कथा प्रहलाद के बारे में है, जिन्होंने अपने अत्याचारी पिता राजा हिरण्यकश्यप और दुष्ट बुआ होलिका की के वध का कारण बने थे। कुछ त्यौहार विशेषकर गाँवों में लोकवार्ता से सम्बन्धित हैं। पंजाब में वैशाखी एक ऐसा ही त्यौहार है, जो फसल की कटाई से सम्बन्धित है।

अधिकतर त्यौहार खुशियों और हर्ष से संलग्न हैं। ऐसे मौकों का लोग प्रसन्न और सक्रिय रहने के लिए पूरा फायदा उठाते हैं। होली के दिन हम लोगों के अथाह झुण्ड को देखते हैं, जिनके चेहरे रंगों से पुते होते हैं और एक अनोखा दृश्य उत्पन्न करते हैं। लगभग सभी लोगों के, चाहे वह लड़का हो या लड़की के कपड़े रंगों में रंगे होते हैं। दिवाली के कई दिन पहले से हमें पटाखों की आवाज सुनाई पड़ने लगती है। दिवाली में बड़े लोग अपने से छोटों के साथ आतिशबाजी छुड़ाते हैं। लोग नये कपड़े पहनते हैं, मिठाईयाँ खाते हैं और अपने को प्रसन्नचित रखते हैं। नित्य के ऊबाऊपन से दूर भागने के लिए ऐसे मौकों में डूबना जो जीवन के सरल पक्ष हैं। आवश्यक है।

ये त्यौहार दूसरे अच्छे कार्य भी करते हैं। ऐसे मौकों पर हम अपने मित्रों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भोजन या चाय पर आमंत्रित करते हैं। तब हमारा घर सभी लोगों का घर बन जाता है। हमारा धन दूसरों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होता है और हम अनेक से एक हो जाते हैं। कुछ समय के लिए सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रभाव और धन सम्बन्धी बाधाएँ दूर हो जाती हैं और आपसी भाईचारे का सिद्धान्त हमारे मस्तिष्क में वास्तविक बन जाता है।

अनेक लोग भारतीय त्यौहारों को अनोखी प्रथा और रीति से मनाते हैं। यह सामान्य धारणा है कि यदि दिवाली के दिन जुआ न खेला जाए तो यह परिवार के लिए शुभ नहीं होगा और अगले वर्ष के लिए कुछ अपशकुन होगा। हालांकि जुआ खेलना अन्य मौकों पर निन्दनीय होता है किन्तु इस दिन लोग बिना किसी हिचकिचाहट के जुआ खेलते हैं। वे इसे वरदान और कर्त्तव्य की बात समझते हैं, जिसे अवश्य ही पूरा किया जाना चाहिए। इस दिन पुत्र के जुआ खेलने पर पिता द्वारा निन्दा नहीं की जाती और एक माँ द्वारा बेटी, का जुआ खेलने का विरोध नहीं किया जाता है। वास्तव में परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा इसमें हिस्सा लिया जाता है।

इन कुरीतियों के बावजूद, भारतीय त्यौहारों का लोगों की जिन्दगी और रीति में अनोखा स्थान है। ये लोगों के नित्य के उबाऊ कार्यक्रम में असीम विविधता लाते हैं। भारत एक गरीब देश है। भारतीय जनता ऐसे मनोरंजन, जो किसी व्यक्ति के अस्तित्व के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, का बोझ उठा सकती है। अतः ऐसे त्यौहार अमीर वर्ग की तुलना में जनसमूह के लिए लाभदायक हैं जो सिनेमा घरों और क्लबों में मनोरंजन के लिए जाने का बोझ नहीं उठा सकते हैं। संक्षेप में, हमारे त्यौहार हमें अत्यधिक तुष्टि प्रदान करते हैं।

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