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Bhasha-Prem, “भाषा-प्रेम” Hindi motivational moral story of “Keshav Chandra Sen” for students of Class 8, 9, 10, 12.
भाषा-प्रेम
Bhasha-Prem
एक बार ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता केशव चन्द्र सेन इंग्लैण्ड जा रहे थे। जाने से पूर्व उन्होंने महर्षि दयानंद से भेंट की और बोले- ‘मुझे दुख है कि आप वेदों के विद्वान होकर भी अंग्रेजी नहीं जानते। वरना वैदिक संस्कृति पर प्रकाश डालने वाला, विदेश यात्रा में मेरा एक साथी और होता।’
महर्षि दयानंद मुस्कराकर बोले- ‘मुझे भी इस बात का दुःख हैं कि ब्रह्म समाज का नेता अपने पूर्वजों की भाषा संस्कृत नहीं जानता, और वह अपने देशवासियों को भी विदेशी भाषा में उपदेश देता हैं, जिसे वे समझते ही नहीं। यदि वह नेता अंग्रेजी की बजाय संस्कृत जानता तो वैदिक संस्कृति की अधिक सेवा करता।
दूसरों की भाषा सीखना बुरा नहीं किन्तु अपनी भाषा भूल जाना बुरा है।