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De hein to de, “दे हैं तो दे” Hindi motivational moral story of “Peary Chand Mitra” for students of Class 8, 9, 10, 12.
दे हैं तो दे
De hein to de
सुप्रसिद्ध बंग्ला साहित्यकार प्यारी चन्द्र मित्र बड़े मज़ाकिया थे। उनके एक घनिष्ठ मित्र देव नारायण दे के पुत्र के विवाह के सिलसिले में खर्च का हिसाब लगाया जा रहा था। प्यारे बाबू पर ही दे साहब ने खर्च की राशि निश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्यारी बाबू ने खूब बड़ा-चढ़ा कर सूची पेश कर दी। देव नारायण बौखला कर बोले, ‘इतने रुपये देने पड़ेगें।’ प्यारी बाबू ने हंसते हुए कहा, ‘तुम नहीं दोगे तो कौन देगा ?’ तुम्हारे नाम के शुरू में भी ‘दे’ है और अंत में भी ‘दे’ है।