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Shakal, “शक्ल” Hindi motivational moral story of “Ramchandra Shukla” for students of Class 8, 9, 10, 12.
शक्ल
Shakal
हिन्दी साहित्य के महान् लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक बार खरीदारी के लिए बाजार गये तो दुकानदार ने उनके प्रश्नों का उत्तर अंग्रेजी में दिया। आचार्य शुक्ल ने बड़ी विनम्रता से कहा, “कृपया हिन्दी में बातचीत करें, मुझे अंग्रेजी भाषा नहीं आती।”
दुकानदार बोला, “पर महाशय, आपकी शक्ल देखकर ऐसा नहीं लगता कि आप अंग्रेजी नहीं जानते ?”
“हाँ भाई, सच है जैसे कि आपको देखकर नहीं लगता कि आप अंगेजी जानते हैं।” आचार्य शुक्ल ने हँसते हुए व्यंग्यपूर्वक कहा। दुकानदार की हालत तब देखने लायक थी।