Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Christmas Ka Tyohar”, “क्रिसमस का त्योहार” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
क्रिसमस का त्योहार
Christmas Ka Tyohar
निबंध नंबर :- 01
क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे ‘बड़ा दिन’ भी कहते हैं। इस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है।
ईसा मसीह का जन्म येरूशलम के पास बेथलहम नाम के छोटे-से ग्राम में हुआ था। लगभग 30 वर्ष तक अपने पिता के साथ बढ़ई का काम करके जीवनयापन करते थे। लेकिन 31 वर्ष की अवस्था में इन्हें ईश्वरीय प्रेरणा मिली। इन्होंने घर छोड़ दिया। गाँव-गाँव घूमकर लोगों को सदाचार का उपदेश देने लगे और ईसाई धर्म चलाया।
उन्होंने कहा तुम शत्रुओं से भी प्रेम करो। तुम उनकी भी भलाई करो, जो तुम से घृणा करते हैं। उनको आशीर्वाद दो जो तुम्हें शाप देते हैं। उनके मंगल के लिए प्रार्थना करो जो तुमसे द्वेष करते हैं। यदि कोई तुम्हारे एक गाल पर तमाचा मारे तो तुम अपना दूसरा गाल भी उसकी ओर कर दो। ये उपदेश हैं, ईसाई धर्म को चलाने वाले ईसा मसीह के जिनकी पुण्य स्मृति में ईसाई धर्म चल रहा है और जिनका जन्मदिवस प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
25 दिसंबर को ईसाई लोग गिरजाघर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं। एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। मित्रों को शुभेच्छा एवं बधाई पत्र लिखते हैं। बंधु-बांधवों को केक खिलाते हैं।
उस दिन रंग-बिरंगे गुब्बारों और खिलौनों से हरे-भरे पेड़ को सजाया जाता है। कोई ‘सांताक्लॉज’ बनकर बच्चों को उपहार बाँटता है। उसकी बरफ़ की-सी सफेद दाढ़ी और लाल चोगा देखकर बच्चे खुश होते हैं और तालियाँ बजाते हैं। यह पर्व ईसाइयों के लिए आनंद और उल्लास का दिन होता है।
आजकल इस त्योहार को सभी मनाते हैं। लोग पिकनिक करने जाते हैं और यात्रा का आनंद लेते हैं।
निबंध नंबर :- 02
क्रिसमस का त्योहार
दुनिया के सभी ईसाई इस त्योहार को खुशी और उत्साह से मनाते हैं। इसे एक्स-मैस भी कहते हैं।
भारत में भी यह त्योहार उल्लास से मनाया जाता है। क्योंकि भारतवर्ष में काफी संख्या में ईसाई रहते हैं। इसलिए इस त्योहार का उत्सव भी दशहरे और दीवाली जैसा ही होता है।
क्रिसमस हर वर्ष 25 दिसम्बर को आता है। इस तिथि को ईसाईयों का मानना है कि यीशु मसीह पैदा हुए थे।
घर और गिरिजाघर साफ किए जाते हैं और उनमें रंग-रोगन किया जाता है। उन्हें फूलों, झण्डियों और लकड़ी या धातु के बने क्रॉस के साथ सजाया जाता है। यीशु मसीह और माता मरियम की पूजा की वेदियों को मोमबत्तियों और फूलों से सजाया जाता है। बालक यीशु मसीह के लिए चर्च के आंगन में अलग मोमबत्ती बनाई जाती है।
मिड-नाईट मॉस या पूजा के बाद ईसाई लोग घर जाकर दावत करते हैं। वे अपने घरों को रंगीन बत्तियों और क्रिसमस ट्री के साथ सजाते हैं। इस पेड़ के नीचे वे एक दूसरे के लिए उपहार रखते हैं क्योंकि उन्हें आशा होती है कि सान्ता क्लॉज रात में आकर उन में उपहार डाल कर जाएगा। लोग इस मौके को मनाने के लिए उत्सव या रात्रिभोज का आयोजन करते हैं। वे क्रिसमस के भजन और क्रिसमस कारोलस गाते हैं। यह त्योहार आनन्द और हंसी के साथ समाप्त हो जाता है। यह त्योहार भी ईद-उल-फितर की तरह बलिदान और प्यार का भी पाठ पढ़ाता है।