Hindi Essay on “The Saddest Day of My Life” , ”मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन
The Saddest Day of My Life
व्यक्ति के जीवन में दु:ख अक्सर आते रहते हैं। जीवन के हर पड़ाव पर उसे दु:खों का सामना करना पड़ता है। किसी न किसी दु:ख, नकसान तथा दर्द का डर उसे हमेशा डराता रहता है। उसके सपने कभी पूरे नहीं होते। चीजें अक्सर उसकी उम्मीदों के विरुद्ध चलने जाती हैं। वह बहुत बुरी तरह निराश हो जाता है। इस प्रकार की स्थिति से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
10 जुलाई, 2005 का दिन मेरी जिंदगी का सबसे दुःख भरा दिन था। इस दिन मैंने अपने सबसे प्रिय मित्र को खो दिया था जिसका नाम विनोद था। उसकी मौत एक कार दुर्घटना में हुई थी। वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। वह बहुत अच्छा इंसान था। वह मुझे अपना भाई मानता था। हम स्कूल के दिनों में सहपाठी हुआ करते थे। हम सदा एक दूसरे से अपने सुख-दु:ख बाँटा करते थे। उसकी मृत्यु के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। उसके माँ-बाप की उम्मीद ही टूट चुकी है।
इसी दिन मेरे छोटे भाई का परिणाम भी घोषित हुआ था। उसका क्रमांक विजेताओं की सूची में कहीं भी नहीं था। मेरा भाई बहत मासूम है। वह इस हार को सह न पाया। वह यह देखकर बेहोश हो गया। उसे जल्दी से अस्पताल ले जाया गया। जब हम घर आए तो पता चला कि मेरा भतीजा पतंग उड़ाते-उड़ाते छत से नीचे गिर गया। उसकी बायीं बाजू भी टूट गई।
यहाँ पर मुसीबतें खत्म नहीं हुईं। एक और झटका हमारा इंतज़ार कर रहा था। मेरे अंकल एक व्यापार के सिलसिले में बाहर गए थे। वह शाम को घर लौटे। रास्ते में उन्हें लूट लिया गया था। लुटेरों ने बंदूक की नोक पर उन से पचास हजार रुपए छीन लिए थे। हमारे दु:खों का घड़ा भर गया था। हम सभी अपनी किस्मत को कोस रहे थे। सभी के चेहरों पर दुःख भरा हुआ था। परिवार का वातावरण नम तथा परेशानी भरा था। हमने किसी ने खाना भी नहीं खाया। यह मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन था। मैं इसे कभी भूल नहीं सकता।