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Hindi Letter “Khelo me Bharat ke Kharab Pradarshan ko Sudharne ke liye Sampadak ko Patra ”,”खोलों में भारत के ख़राब प्रदर्शन को सुधरने के लिए संपादक को पत्र”.

खेलकूद की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रदर्शन बहुत खराब रहता है। आपके विचार से इसके क्या कारण है? हम आपनी स्थिति कैसे सुधार सकते है? किसी दैनिक पत्र के संपरदक को पत्र लिखकर समझाइए।

 

 

सेवा में,

 

संपादक,

नवभारत टइम्स,

बहादुरशा जफर मार्ग, नई दिल्ली।

 

महोदय,

मै आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से खेलकुद की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मंे भारत के खराब प्रदर्शन की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।

अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की पदक-तालिका में भारत का स्थान नीचे की ओर ही रहता है। एक अरब से अधिक लोगों देश का यह हाल चिंता का कारण है। परंपरागत हाॅकी के अच्छे प्रदर्शन को भी भारत बचा नहीं पाया। हम स्वर्ण पदक पाने की लालसा पूरी नहीं कर पाते। हाँ, बीजिंग ओलंपिक में हमें एक स्वर्ण तथा दो काँस्य पदकों पर संतोष करना पड़ा। हमारे देश को कम से कम दस पदक तो मिलने ही चाहिए थे। चीन अकेला 100 पदक हासिल करने में कामयाब रहा।

मेरे विचार से भारत की इस स्थिति के दो प्रमुख कारण हैं-खिलाडियों के चुनाव में भाई-भतीजावाद का बोलबाला होना तथा खिलाडियों को उचित प्रशिक्षण का अभाव। हमें स्कूल ंस्तर पर ही खेलों के अच्छे खिलाड़ी तैयार करने की ओर ध्यान देना चाहिए। उनका पक्षपात रहित चुनाव करके उन्हे गहन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए अच्छे काचों तथा अच्छे स्तर की खेल -समाग्री को होना भी नितांत आवश्यक है। सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में धन उपलब्ध कराया जाना भी जरूरी है। तभी हमारे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्र प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल हो सकेंगे।

आशा है सरकार उचित ध्यान देगी।

भवदीय

 

रविकांत शर्मा

संयोजक

उभरते खिलाड़ी संध, नई दिल्ली

दिनांक………….

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