Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Fashion ke Nit Naye Roop”, “फैंशन के नित नए रूप” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
फैंशन के नित नए रूप
Fashion ke Nit Naye Roop
परिवर्तित समय के अनुरूप स्वयं को ढालना ही फैशन है। वैसे फैशन शब्द का प्रयोग वेशभूषा के रूप में लिखा जाता है। वेशभूषा में नित नए रूप देखने को मिलते हैं। एक ही प्रकार के कपड़े ज्यादा देर तक प्रचलन में नहीं रहते। इससे हम ऊब जाते हैं। फैशन के कारण ही तरोताजा बने रहते हैं। फैशन को सदा गलत अर्थों में नही लिया जाना चाहिए। स्वयं को आधुनिक रूप में दिखने की चाह सभी में होती है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
फैशन में नवीनता का होना आवश्यक है। फैशन के रूप नित बदलते रहते हैं। कभी बैलबाटम पेंट फैशन था तो कभी तंग मोहरी पैंट का चलन हो गया। कमीज के कालरों की लंबाई चैड़ाई में भी अंतर आता रहता है। कोट की बनावट, बटनों की संख्या में भी नित नए रूप देखने को मिलते हैं।
सबसे अधिक परिवर्तन महिलाओं की वेशभूषा में दिखाई देता है। आमतौर पर आधुनिक महिलाओं को ही फैशन का पर्याय माना जाता है। उनके फैशन नित बदलते रहते हैं। आजकल के फैशन पर पाश्चात्य जगत का प्रभाव स्पष्ट रूप से लक्षित हो रहा है। युवतियाँ जीन, टी शर्ट, टाॅप में आकर्षक दिखने का प्रयास करती हैं। उनके कपड़ों के नित रूप बदल रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब कम कपड़ों में दिखने की होड़ होती है। अब फैशन नगन्ता का रूप लेता जा रहा है। टापलैस वस्त्र पहनने की भेड़चाल हो रही है। जब अपने शरीर की बनावट को ध्यान में रखकर फैशन को अपनाया जाता है तब स्थिति हास्यास्पद हो जाती है। अब तो लड़कियाँ छोटे-छोटे हाफ पेंट पहने नजर आती हैं। इस प्रकार का फैशन अश्लीलता को बढ़ावा दे रहा है। इसकी कहीं न कहीं सीमा निश्चित करनी ही होगी। पर जब भी कोई शैक्षिक संस्था फैशन पर रोक लगाने की बात करती है तभी हंगामा खड़ा कर दिया जाता है।
फैशन सुंदर दिखने के लिए किया जाना चाहिए न कि कुरूप या भद्दा दिखने के लिए। फैशन करते समय अपने देश की संस्कृति और मर्यादा का भी ध्यान रखना आवश्यक है।