Hindi Essay on “Chidiya Ghar ki Sair” , ”चिड़ियाघर की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
चिड़ियाघर की सैर
Chidiya Ghar ki Sair
Top 4 Essay on “Chidiya Ghar Ki Sair”
निबंध नंबर :- 01
प्रस्तावना- दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें से चिड़ियाघर भी एक है। यह वह स्थान है जहां भिन्न-भिन्न प्रकार के पशु-पक्षी होते हैं। इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बच्चे इन्हें देखकर बहुत आनन्दित होते हैं।
चिड़ियाघर का क्षेत्र- चिड़ियाघर नई दिल्ली में पुराने किले के समीप एक बहुत बडे़ भूखण्ड पर फैला हुआ है। इसे देखने के लिए बहुत अधिक समय लगता है।
गर्मियों की छुट्टियों में मैंने अपने मित्रों एवं परिजनों के सामने एक साथ चिड़ियाघर देखने का प्रस्ताव रखा । उन्होनें इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और हम सब रविवार को चिड़ियाघर देखने चल दिये। वहां पहुंचकर हमने टिकट लिये।
हमारा प्रवेश- टिकट लेकर जब हम चिड़ियाघर के मुख्य द्वार से अन्दर प्रविष्ट हुए तो हमने माॅर्ग के दोनों ओर हरी-हरी घास तथा फूलों के पौधे देखे । इसके बाद पानी में तैरती हुई बत्त्खें, सारसों तथा बगुलों व एक झील में मगरमच्छ तथा दूसरी जगह पानी में गैंडा देखकर हम बहुत खुश हुए।
इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की चिड़ियों एवं तोतों को देखा । आगे चलकर हमने बारहसिंहों एवं हिरणों को इधर-उधर दौड़ते हुए देखा।
व्यक्तिगत अनुभव- आगे जालीदार बाडो़ में वानरो और लंगूरों की अनेक जातियां देखने को मिलीं। मैनें उनको अपने हाथों से चने व मूंगफली खिलायीं। यहां सफेद बन्दर भी थे जिनके मुंह काले और पूंछ लम्बी थी।
डसके कुछ आगे कटघरे बने हुए थे जिनमें शेर, चीते , बाघ और भालू स्वतन्त्रता से घूमते-फिरते हैं। उनके आगे ऊंचे जालीदार बाडे़ बने थे जिससे वे हम तक नहीं पहुंच सकते थे। इन हिंसक जानवरों को देखकर बहुत खुश हुआ।
उपसंहार- केवल चिड़ियाघर ही एक मात्र स्थान है जहां हम अपनी आंखों से प्रत्यक्ष रूप् से संसार के दुर्लभ जाति के अनेक जीव-जन्तुओं को देख सकते हैं।
चिड़ियाघर को देखकर जहां एक ओर हमें मनोरंजन की प्राप्ति होती है वहीं दूसरी ओर इससे हमारे ज्ञान में भी वृद्वि होती हैं।
निबंध नंबर :- 02
चिड़ियाघर की सैर
Chidiyaghar ki Sair
चिड़ियाघर वह स्थान है जहां जानवरों तथा पक्षियों को रखा जाता है। यह बच्चों के लिए जानकारी का स्थान है। चिडियाघर का भ्रमण बहुत जानकारी प्रदान करने वाला होता है. हमें इस प्रकार के वातावरण का पता चलता है जहां ये जीव रहते हैं। हम उनकी हरकतों को देख सकते हैं।
मैं भी एक बार नई दिल्ली के एक चिडियाघर में गया। वह एक बहुत बड़ा चिड़ियाघर था। मैं वहां अपने दोस्तों के साथ गया। हमने टिकटें खरीदी और अन्दर चले गये. हमने कई प्रकार की चीजें देखीं। सभी प्रकार के जानवर पिंजरों में बंद थे। शुरू में हर अजगर देखे। वहां रंग-बिरंगे तोते, मोर तथा कबूतर देखे। फिर हमने बत्तखें देखीं। वहाँ हिरण, दरियाई घोड़ा तथा जिराफ भी थे। ये असहाय जानवर उदास नज़र आ रहे थे।
चिडियाघर के बीचों-बीच एक तालाब था। हमने एक बहुत बड़ा हिप्पो देखा। वह दैत्य समान लगता था। फिर भेड़िए, भालू तथा शोरों ने हमारा ध्यान आकर्षित किया. वह पत्थर से बने पिंजरों में रखे हुए थे। शेरों को पानी के गहरे तालाबों के पीछे रखा हुआ था. फिर हम बन्दरों को देखने चले गए। बन्दरों ने हमें अपनी हरकतों से मनोरंजित किया. चिड़ियाघर का सबसे प्रभावशाली जानवर सफेद हाथी था।
चिड़ियाघर के अंदर एक कंटीन भी थी। जब हम थक गए तो हमने वहां से चार बिस्कुट खाए। चिड़ियाघर अच्छे तरीके से संभाला हुआ था। सभी जानवरों तथा पक्षियों की सही अच्छा आहार दिया जाता है। कई जानवर तथा पक्षी पिंजरों में उदास प्रतीत होते थे। वे आजाद होना चाहते थे। किन्तु उन्हें ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत करना था। उनके उदास चेहरों ने हमें बहुत दुःखी किया।
निबंध नंबर :- 03
चिड़ियाघर की सैर
Chidiya Ghar ki Sair
कर्म करना मनुष्य का धर्म है, परन्तु कर्म करते-करते जब मनुष्य थक जाता है तो वह परिवर्तन चाहता है। वह दिल-दिमाग हल्का करना चाहता है। इस के लिए वह मनोरंजन के साधन ढूंढता है। कभी वह बाग की सैर को निकल जाता है तो कभी सिनेमा, सर्कस देखने या चिड़ियाघर की सैर करने निकल जाता है।
मुझे घूमना बहुत अच्छा लगता है। मेरा जानवरों के प्रति भी बहुत प्यार है। हमारे शहर में एक बहुत बड़ा चिड़ियाघर है। मेरा बार-बार मन चाहता है कि चिड़ियाघर की सैर क़रूँ और पशु-पक्षियों को देखू, उनसे मित्रता करूँ। इन सुन्दर प्राणियों के देखकर मुझे आनन्द आता है।
पिछले रविवार मेरे मामा जी अपने बच्चों को लेकर हमारे घर आए। हल्की-हल्की, ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही थी। मौसम बड़ा सुहावना था। हम सबने चिड़ियाघर की सैर का कार्यक्रम बनाया। मैं अपने माता-पिता की अनुमति लेकर उनके साथ चिड़ियाघर देखने चला गया। दस मिन्ट में हम सब वहां पहुंच गए। वहां मुख्य द्वार से हमने टिकट ली तथा अन्दर चल दिए। वहां तरह-तरह के जानवर थे। हम एक कोने से जानवर देखने शुरु हो गए।
सबसे पहले हमने पानी में तैर रहे ऊदबिलाव देखें। यह समुदों में बहुत पाये जाते हैं। यह पानी में भी चले जाते हैं और पानी के बाहर रेतली मैदान में भी रेंगते हैं। ये काले रंग के जानवर मच्छलियां खाकर अपनी भूख मिटाते हैं। यहां पानी कम था,मच्छलियां भी कम भी इसलिए ऊदबिलाव कमज़ोर से दिखाई दे रहे थे। हम यहां ज्यादा देर न ठहर सके.क्योंकि पानी न बदलने के कारण वहां से गंदी बदबू आ रही थी। हम थोड़ा आगे गए तो हमने अलग-अलग पिंजरों में बन्द तीन बड़े भालू देखें। ये भालू काले तथा भरे रंग के थे। ये अपने पिंजरों को जोर-जोर से हिला रहे थे। जानवर भी आज़ादी चाहते हैं परन्तु मनुष्य अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए और मनोरंजन के लिए उन्हें बन्दी बनाकर रखता है। मुझे जानवरों की इस स्थिति पर बड़ी दया आई ।
कुछ और आगे जाने पर बहुत बड़ा खुला मैदान देखा जिसे जंगल का रूप दिया गया था। वही घनी झाड़ियां, वृक्ष लगे हुए थे। तभी हमें वहां से शेर की गुर्राहट सुनाई दी। हम थोड़े से डर गए। लगता था जैसे आस-पास कहीं शेर है। इसी समय हमें शेर दिखाई दिया तो हमें पता चला कि हम शेर की गुफा तक आ पहुंचे है। शेर और शेरनी अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेल रहे बड़े सुन्दर लग रहे थे। शेर हल्के बादामी रंग का था और उसके शरीर पर गहरे भूरे रंग की धारियां थी। जानवर भी एक दूसरे से प्रेम करते हैं, उनका भी अपना घर परिवार होता है, जिसमें वह बहुत खुश रहते हैं। इस शेर-परिवार को देखकर हम बहुत आनन्दित हुए ।
थोड़ा और आगे बढ़ने पर हमने पिंजरों में बन्द बन्दर और लंगूर देखें। लगूर अपने पिंजरों में खूब उछल-कूद मचा रहे थे। हमने बन्दरों को चने डालें, जो हम घर से इनके लिए ले गए थे। बन्दर नकल करने वाला जानवर है। हमने अपने रूमाल उनकी तरफ फैंके जो उन्होंने पकड़ लिए और फिर उन्हीं रुमालों को उन्होंने हमारी ओर फैंका । यह मनुष्य की तरह समझदार होते हैं।
आगे जाने पर हमने मोर-मोरनियां देखें। मोर बड़े-बड़े आकार वाले थे। वह उड़ कर एक से दूसरी जगह जा रहे थे। उनके पंख रंग-बिरंगे थे जो उनकी सुन्दरता को बढ़ा रहे थे। मोरनियां भी उनके साथ-साथ चल रही थी। मोर के सिर पर कलगी थी. जिससे वह बहुत आकर्षक लग रहे थे। मोर के पैर बडे बदसूरत होते है। मोर अपने पैरों को देख बहुत रोता है। मोर कुछ दूरी तक उड़ सकता है पर मोरनी नहीं उड़ सकती। मोर नृत्य कर रहे थे जिससे वहां का वातावरण बड़ा मोहक बन गया था।
एक पिंजरे में हमने शतुर्मुर्ग भी देखा। इसकी गर्दन लम्बी होती है। इसका शरीर अजीब प्रकार का था। यह अपने पिंजरे में शान्त बैठा हुआ था। आगे जाकर हमने पानी में तैरती बतखें देखी। सफेद रंग की बतखें पानी में तैरती बोलती भी जा रही थी। इनकी चोंच लम्बी और पीले रंग की थी। हम कुछ और आगे गए तो हमने तोते, चिड़ियां और खरगोश देखे । थोड़े आगे गए तो हमने उल्लू, सफेद कबूतर तथा बगुले देखे । उनके साथ वाले पिंजरे में कोयल मधुर गीत गा रही थी। वहीं पास एक बुलबुल भी बैठी गा रही थी।
उसके बाद हमने मगरमच्छ भी देखे जिनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। हमें एक आदमी ने बताया कि यहां एक नया कमरा बनाया गया है जहां विभिन्न प्रकार के सांपों को रखा गया है। हम वह कमरा देखने गए। वहां विषैले, विषहीन, पानी वाले, बिना पानी कई सांप रखे गए थे। वहां कई उड़ने वाले सांप भी थे। बाहर आकर हमने एक 100 साल का बूढ़ा कछुआ देखा। उसने अपने मुंह को ऐसे ढका हुआ था मानों पत्थर का कोई बड़ा टुकड़ा हो । इतना सब कुछ देखकर हम थक से गए।
तब हमने बाहर आकर चाय पी तथा नूडलज़ खाई । हमें सचमुच बहुत मज़ा आया । मेरी तो जैसे बहुत बड़ी इच्छा पूरी हो गई। मैंने घर आकर सबको चिड़ियाघर में देखे विचित्र जानवरों के बारे में बताया । सब बहुत उत्साहित हुए ।
चिड़ियाघर की सैर जीवन का एक मीठा अनुभव है। यह मेरे जीवन का हिस्सा है, इसे मैं कभी नहीं भूल सकता ।
चिड़ियाघर की सैर
Chidiya Ghar Ki Sair
निबंध नंबर :- 04
पिछले माह 2 तारीख को विद्यालय तथा सरकारी कार्यालयों का अवकाश था। हम सब बच्चे अपने विद्यालय का कार्य कर रहे थे। तभी पिता जी ने हम सबको जल्दी तैयार होने को कहा। उन्होंने कहा कि हम चिड़ियाघर चल रहे हैं। मैं, मेरी बहन प्रीति तथा मेरा भाई रोहित जल्दी-जल्दी तैयार हो गए। पिता जी पडोस के मिश्रा जी के बच्चे प्रमोद तथा सरिता को भी चलने को कह आए। सभी बच्चों में चिडियाघर जाने का बहुत उत्साह था। हम सब सुबह दस बजे घर से निकले। उन्होंने चिडियाघर तक ऑटो-रिक्शा किराये पर लिया। हमने खाने के लिए मूंगफली, फल तथा कन्छ टॉफियाँ खरीदीं। चिडियाघर पहुंचकर प्रवेश टिकट खरीदे। बाहर से ही चिड़ियाघर बहुत बड़ा दिखाई पड़ रहा था। चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पेड लगे थे। हर ओर हरियाली थी।
जब हमने अंदर प्रवेश किया तो देखा बडे-बडे पिंजरे लगे थे। इन पिंजरों में लोमड़ी, भालू, सियार, तेंदुआ, शेर, चीता आदि हिंसक पशु बंद थे। इनके पिंजरे बहुत बड़े थे। शेर को पास देखकर सब बच्चे अत्यंत रोमांचित थे। वह उस समय सो रहा था। हम लोगों ने उस पर छोटे-छोटे कंकड़ मारे। शेर क्रोधित हो गया और जोर से दहाड़ मारी। पूरा चिडियाघर उसकी दहाड से दहल उठा तथा सब लोग डर गए। फिर चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने हमें ऐसा न करने को कहा। पिता जी ने भी डाँटा। हम सब थोडा डर गए। पिता जी सभी बच्चों को भालू वाले पिंजरे के सामने ले आए। वह अपने पिंजरे में टहल रहा था।
उसके बाद हम बच्चे बंदर और चिंपाजी वाले पिंजरे के पास चले गए। वहाँ बंदर विचित्र तरह के करतब कर रहा था। चिपाजी अपने पिंजड़े में शांत बैठा था। हमने बंदर तथा चिंपाजी को फल खाने को दिए। बदले में चिंपाजी ने हाथ बढ़ाया तो मैं डर गया। घूमते-घूमते दोपहर हो गई थी इसलिए हमने एक स्थान पर बैठकर फल तथा साथ में लाई दूसरी चीज़े खाईं। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम फिर घूमने लगे। चिडियाघर में अनेक प्रकार के सुंदर पक्षी भी देखने को मिले। मोर, तोता, मैना, सारस, बुलबुल, नीलकंठ आदि पक्षी विभिन्न प्रकार की आवाजें निकाल रहे थे। फिर हमने तालाब में मछलियाँ भी देखीं। इसमें अनेक प्रकार की रंग-बिरंगी-मछलियाँ थी। चिड़ियाघर के कर्मचारी उन्हें खाने के लिए चारा दे रहे थे। हमें सबसे अधिक आनंद मगरमच्छ देखने में आया। उनके लिए अलग से बड़ा तालाब बना था। वे सब धूप में आराम कर रहे थे। पूरा चिड़ियाघर घूमकर हम सभी घर वापस लौट आए। पूरा दिन अत्यंत प्रसन्नतापूर्वक गुजरा।