Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vyayam ke Labh”, “व्यायाम के लाभ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vyayam ke Labh”, “व्यायाम के लाभ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

व्यायाम के लाभ

Vyayam ke Labh

 

‘‘धर्मार्थकाममोक्षणाम् आरोग्यं मूलमुत्तमम्’’

                महर्षि चरक ने लिखा है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है। यह बात अपने में नितांत सत्य है। मानव जीवन की सफलता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने में ही निहित है, परंतु सबकी आधारशिला मनुष्य का स्वास्थ्य है, उसका निरोग जीवन है। रूग्ण और अस्वस्थ मनुष्य न धर्मचिन्तन कर सकता है, न अर्थोपार्जन कर सकता है, न काम प्राप्ति कर सकता है, और न मानव-जीवन के सबसे बड़े स्वार्थ मोक्ष की ही उपलब्धि कर सकता है क्योंकि इन सबका मूल आधार शरीर है, इसलिये कहा गया है कि –

‘‘शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्!’’

                स्वास्थ्य रक्षा के लिये विद्वानों ने, वैद्यों ने और शारीरिक विज्ञान-वेत्ताओं ने अनेक साधन बताये हैं, जैसे-संतुलित भोजन, पौष्टिक पदार्थों का सेवन, शुद्ध जलवायु का सेवन, परिभ्रमण, संयम-नियम पूर्ण जीवन, स्वच्छता, विवेकशीलता, पवित्र भाषण, व्यायाम, निश्चिंतता इत्यादि। इसमें कोई संदेह नहीं कि ये साधन स्वास्थ्य को समुन्नत करने के लिए रामबाण की तरह अमोध हैं परंतु इन सब का ‘गुरू’ व्यायाम है। व्यायाम के अभाव में स्वास्थवर्धक पौष्ठिक पदार्थ विष का काम करते हैं। व्यायाम के अभाव में पवित्र आचरण या विवेकशीलता भी अपना कोई प्रभाव नहीं दिखा सकती, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचार रहा करते हैं, जैसा किसी विद्वान् अंग्रेज ने कहा है- श्। ेवनदक उपदम पद ं ेवनदक इवकलश्. स्वास्थ्यहीन व्यक्ति अविवेकी विचारशून्य, मूर्ख, आलसी, आकर्मण्य, हठी, क्रोधी, झगड़ालू आदि सभी दुर्गुणों का भण्डार होता है। स्वास्थ्य का मूल मन्त्र व्यायाम है-

                व्यायाम से मनुष्य को असंख्य लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह कभी भी वृद्ध नहीं होता और दीर्घजीवी होता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करता है उसे बुढ़ापा जल्दी नहीं घेरता, अंतिम समय तक शरीर में शक्ति बनी रहती है। आजकल तो 20-20 साल के बाद ही शरीर और मुँह की खाल पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं और मनुष्य वृद्धावस्था में प्रवेश करने लगता है। व्यायाम करने से हमारे उदर की पाचन-क्रिया ठीक रहती है। भोजन पचने के बाद ही वह रक्त, मज्जा, माँस आदि में परिवर्तित होता है। शरीर का रक्तसंचार हमारे जीवन के लिये परम आवश्यक है। व्यायाम से शरीर में रक्तसंचार नियमित रहता है। इससे शरीर और मस्तिष्क की वृद्धि होती है। व्यायाम से मनुष्य का शरीर सुगठित और शक्ति सम्पन्न होता है। मनुष्य में आत्म-विश्वास और वीरता, आत्मनिर्भरता आदि गुणों का आविर्भाव होता है।

‘‘वीरभोग्या वसंुधरा’’

                व्यायाम का उचित समय प्रातःकाल और सायंकाल है। प्रायः शौच इत्यादि से निवृत्त होकर, बिना कुछ खाये, शरीर पर थोड़ी तेल मालिश करके व्यायाम करना चाहिये। व्यायाम करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों का व्यायाम हो, शरीर के कुछ ही अंगों पर जोर पड़ने से वे पुष्ट हो जाते हैं, परन्तु अन्य अंग कमजोर ही बने रहते हैं। इस तरह शरीर बेडौल हो जाता है। व्यायाम करते समय जब श्वास फूलने लगे तो व्यायाम करना बन्द करा देना चाहिए, अन्यथा शरीर की नसें टेढ़ी हो जाती हैं और शरीर बुरा लगने लगता है, जैसा कि अधिकांश पहलवानों को देखा जाता है, किसी की टांगें टेढ़ी तो किसी के कान। व्यायाम करते समय मुँह से श्वास कभी नहीं लेनी चाहिये, सदैव नासिका से लेना चाहिए। व्यायाम के लिये उचित स्थान वह है, जहाँ शुद्ध वायु और प्रकाश हो और स्थान खुला हुआ हो, क्योंकि फेफड़ों में शुद्ध वायु आने से उनमें शक्ति आती है, एक नवीन स्फूर्ति आती है और उनकी अशुद्ध वायु बाहर निकलती है। व्यायाम के तुरंत पश्चात् कभी नहीं नहाना चाहिए, अन्यथा गठिया होने का भय होता है। व्यायाम के पश्चात् फिर थोड़ा तेल-मालिश करनी चाहिए, जिससे शरीर की थकान दूर हो जाए। फिर प्रसन्नतापूर्वक शुद्ध वायु में कुछ समय तक विश्राम और विचरण करना चाहिए। जब शरीर का पसीना सूख जाये और शरीर की थकान दूर हो जाए, तब स्नान करना चाहिये। इसके पश्चात् दूध आदि कुछ पौष्टिक पदार्थों का सेवन परम आवश्यक है बिना पौष्टिक पदार्थों के व्यायाम से भी अधिक लाभ नहीं होता। व्यायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। यदि प्रथम दिन ही आपने सौ दण्ड और सौ बैठकंे कर लीं तो आप दूसरे दिन खाट से उठ नहीं सकते, लाभ के स्थान पर हानि होने की ही संभावना अधिक है।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *