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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Varishth Nagriko ki Samasyaye”, “वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ

Varishth Nagriko ki Samasyaye

                वर्तमान समय में वरिष्ठ नागरिक जनों का समूह एक पृथकता ग्रहण करता जा रहा है। लगभग 65 वर्ष के व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक की कोटि में आते हैं। सामान्यतः सभी सेवा-निवृत व्यक्ति स्वयं को वरिष्ठ नागरिक जन मानते हैं। आप इन लोगों को प्रातः एवं सांयकाल पार्कों में सैर करते अथवा ताश खेलते देख सकते हैं। इन्हें अपना समय बिताने के लिए कुछ-न-कुछ करते रहना पड़ता है। अब इनकी समस्याएँ भी उभर रही हैं।

                वरिष्ठ नागरिक जनों की सबसे प्रमुख समस्या है -उनका अकेलापन। यद्यपि वे घर-परिवार में रहते हैं, पर घर के सदस्यों के मध्य भी वे स्वयं को उपेक्षित अनुभव करते हैं। संभवतः कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ ने अपनी कविता में इसी स्थिति को चित्रित किया है-

                                                ’’अब नहीं आती पुलिन पर प्रियतमा,

                                                श्याम तृण पर बैठने को निरूपमा,

                                                बह रही है ह्दय पर केवल अमा,

                                                मैं अलक्षित हूँ यही-

                                                कवि कह गया है।’’

                वरिष्ठ नागरिक दूसरों का प्यार चाहते हैं। उनकी इच्छा होती है कि लोग उनको उचित आदर-सम्मान दें। दूसरों की उपेक्षा उन्हें भीतर तक सालती है। घर के युवा सदस्य उन्हें एक बोझ मानने लगते हैं। कोई उनसे बात करके राजी नहीं होता।

                वरिष्ठ नागरिकों की एक अन्य समस्या है-शारीरिक अस्वस्थता। 65 वर्ष की आयु में पूर्णतः स्वस्थ रहना सभी के भाग्य में नहीं होता। उन्हें चिकित्सा-सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। वे अस्पताल तक जाने में असमर्थ होते हैं। बीमारी पर खर्च करने के लिए उनके पास पर्याप्त धन भी नहीं होता।

                वरिष्ठ नागरिकों के अब अनेक क्लब बन गए हैं। इन क्लबों के द्वारा उनका एकाकीपन दूर करने का प्रयास किया जाता है। उनके लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इससे सामाजिकता की भावना विकसित होती है। वरिष्ठ नागरिकों को उचित सम्मान मिलना ही चाहिए। उन्हें बिजली, पानी, आयकर की लंबी कतारों से बचाने का प्रयास किया जाना आवश्यक है। कहीं-कहीं ऐसा हो भी रहा है। हमें उनकी समस्याओं पर उचित ध्यान देना चाहिए। वरिष्ठ नागरिक अनुभवी होते हैं। समाज को वे बहुत कुछ दे सकते हैं। समाज उनके मार्गदर्शन पर चल सकता है। यह सब कुछ तभी संभव है जब समाज उनका उचित मान-सम्मान करे। उन्हें समाज की गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए। इससे वे स्वयं को समाज का अभिन्न अंग समझेंगे और अपना सभी प्रकार का सहयोग प्रदान करेंगे।

                वरिष्ठ नागरिकों के मनोरंजन हेतू उन्हें विविध स्थलों पर भ्रमण के लिए ले जाना आवश्यक है। इससे वे खुशी-खुशी अपना अंशदान देने को भी तत्पर रहते हैं। सरकारी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुए लोगों को किसी विशेष आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। वे तो अवसर की तलाश में रहते हैं। उन्हें केवल वरिष्ठ नागरिक कहना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु उन्हें ऐसा माना जाना और उसके अनुकूल करना भी बहुत आवश्यक है।

                कुछ बैंकों ने वरिष्ठ नागरिकों को सावधि जमा योजना पर 0.5ः अधिक ब्याज देकर उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट किया है। इससे उन्हें अधिक लाभ पहुँचा है तथा उनकी एक पृथक् पहचान भी बनी है। वे यही चाहते है कि उन्हें कुछ विशेष दर्जा दिया जाए। रेल-यात्रा में भी उन्हें विशेष रियायत दी जाती है। इससे उनका बाहर भ्रमण करना सुविधाजनक एवं सस्ता बनेगा।

                एक बात का ध्यान इन वरिष्ठ नागरिकों को भी रखना है कि वे कोई ऐसा कार्य या व्यवहार न करें जो उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला हो। उन्हें अत्यन्त सतर्कतापूर्वक समाज की नई पीढ़ी के समक्ष अपना आदर्श उपस्थित करना है। प्रातः एवं सायंकालीन भ्रमण, व्यायाम आदि उनके लिए उपयोगी हैं, पर ताश खेलकर सारा दिन बिता देना समय की बर्बादी है। उन्हें अपना अमूल्य समय समाज के पिछड़े वर्ग की भलाई में लगाना चाहिए तभी नई पीढ़ी उनका सम्मान करेगी। स्वयं को बड़ा बताने की अपेक्षा बड़ों जैसा कार्य-व्यवहार आपकी सही पहचान बताता है।

                वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ एंव प्रसन्नचित रहना चाहिए उन्हें परिवार की छोटी-छोटी बातों पर चिंताग्रस्त होने से स्वयं को बचाना चाहिए। योग और प्रभु-स्मरण उन्हें मानसिक शांति एवं संतोष प्रदान कर सकता है। स्मरण रखे कि चिंता और चिता में एक बिंदी का ही अंतर है। चिंता व्यक्ति को जीवित रखते हुए जलाती है। अतः इससे बचें। अपने प्रति गर्व एवं उत्साह की भावना रखें, मन में निराशा न लाएँ। जितने दिन जियें, शान से जिएँ।

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commentscomments

  1. K N Chhabra says:

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