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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Sting Operation Sahi ya Galat”, “स्टिंग आपरेशन सही या गलत” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

स्टिंग आपरेशन सही या गलत

Sting Operation Sahi ya Galat

                आजकल मीडिया की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। टेलीविजन के विभिन्न चैनलों में स्टिंग आपरेशन करने की होड़ लगी हुई है। इन स्टिंग आपरेशनों का एक ही उद्देश्य रहता है- लोगों में सनसनी फैलाकर अपनी टी.आर.पी. बढ़ाना। पहले जब ये स्टिंग आपरेशन शूरू हुए थे तब इनसे लगा था कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारीपूर्वक निर्वाह कर रहा है। प्रारंभिक स्तर पर इन आपरेशन हो, इन्होंने भ्रष्टाचार को सबके सामने खोलकर रख दिया था। सांसदों को रूपये लेकर संसद में प्रश्न पूछने के स्टिंग आपरेशन ने सांसदों की कलई खोल कर रख दी थी। तब लोगों को ये स्टिंग आपरेशन सही प्रतीत होते थे। इनसे लोकतंत्र मजबूत होता लगता था।

                बाद मूें ये स्टिंग आपरेशन एक फैशन का रूप ले बैठे। किसी का चरित्र हनन करना हो तो किसी भी चैनल से संपर्क करके सनसनी फैलाई गई जबकि वास्तविकता से इसका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। ऐसे ही कई अन्य स्टिंग आपरेशन अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए प्रयोजित कराए गए। कई बार तो चित्रों और आवाज तक में हेराफेरी कर दी जाती है। अब धीरे-धीरे दर्शक इन स्टिंग आपरेशनों की असलियत को समझने लगे हैं। दर्शक अब इन स्टिंग आपरेशनों पर प्रश्न-चिहृ लगा देते हैं। इस प्रकार स्टिंग आपरेशन अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं।

                स्टिंग आपरेशन का मूल उद्देश्य तो सही था, पर लगता है कि मीडिया कर्मी भी लालच का शिकार होकर इस माध्यम का दुरूपयोग करने में लग गए हैं। अब उसकी असलियत लोगों के सामने आ गई है। अब लोग इन स्टिंग आपरेशनों की तुलना में समाचारपत्रों में छपी खबरों को अधिक विश्वसनीय मानने लगे हैं। स्टिंग आपरेशन करने वालोें को दूसरों की निजी जिंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। स्टिंग आपरेशनों में बात को सीमा से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाया जाता है। अतः लोग इनको भी एक विज्ञापन मानने लगे हैं जिसमें सच्चाई 20ः तो झूठ 80ः होता है।

                मीडिया ने अनेक स्टिंग आपरेशन सही भी किए हैं। इसी स्टिंग आपरेशन ने सेल्स टैक्स विभाग तथा तिहाड़ जेल की कलई खोलकर जनता के सामने रख दी। इसूमें अधिकारियों द्वारा खुले आम रिश्वत लेते दिखाया गया था। एक ऐसा ही स्टिंग आपरेशन पिछले दिनों लोकसभा में दिखाया गया जिसमें विश्वास मत के दौरान करोड़ों रूपयों के लेन-देन की बात को उजागर किया गया। चुनावों के दौरान भी अनेक तरह के स्टिंग आपरेशन किए जाते हैं।

                अब प्रश्न उठता है कि ये स्टिंग आपरेशन कितने सही हैं और कितने गलत? स्टिंग आपरेशन भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को उजागर करते हैं। इनके भय से सरकार और अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग बने रहते हैं। स्टिंग आपरेशन अपने मूल उद्देश्य में तो सही है, पर जब इसे किसी को बदनाम करने का माध्यम बना लिया जाता तब यह अपने मूल उद्देश्य से भटक जाता है। उस स्थिति में यह गलत हो जाता है। मीडिया को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझना होगा। स्टिंग आपरेशन के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल करने को कभी भी सही नहीं कहा जा सकता।

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