Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Mera Priya Time Pass”, “मेरा प्रिय टाइम पास” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
मेरा प्रिय टाइम पास
Mera Priya Time Pass
प्रत्येक व्यक्ति अपना फालतू टाइम किसी न किसी ढंग से बिताता है। इससे उसका समय बीतता है, वहीं उसे आनंद की अनुभूति भी होती है। कई लोग ताश खेलकर तो कई टी.वी. देखकर अपना टाइम पास करते हैं, पर मैं तो मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तक पढ़कर टाइम पास करता हूँ। ये पुस्तकें ही मेरा टाइम पास हैे।
यद्यपि मैं अपने काम में व्यस्त रहता हूँ, पर जब कभी मुझे फुर्सत के क्षण मिलते हैं तब मैं अपने निजी पुस्तकालय से कोई पुस्तक निकाल लेता हूँ और उसे पढ़ने में लग जाता हूँ। मुझे एक प्रकार से पुस्तकें पढ़ने का व्यसन है। हाँ, मैं ज्यादा मोटी पुस्तकें पढ़ना नहीं चाहता। पाॅकेट साइज़ की पुस्तकें मुझे अच्छी लगती हैं। ये थोड़े समय में पढ़ी जा सकती हैं। मुझे उपन्यास और कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है। पर मैं मनोरंजक कथा साहित्य पढ़ता हूँ। इससे मुझे आनंद की अनुुभूति होती है। टाइम पास में आनंदनुभूति आवश्यक है। उपदेशात्मक पुस्तकें टाइम पास न होकर उबाऊ हो जाती हैं। हाँ, कभी-कभी मैं साहित्यकारों की आत्मकथा पढ़ लेता हूँ। राजनेताओं की आत्मकथा मुझे पसंद नहीं। साहित्यकार का जीवन अनेक रोचक और पे्ररक घटनाओं से भरा होता है तथा उनका प्रस्तुतिकरण भी मन को प्रिय लगता है। अतः मैं उनकी आत्मकथा पढ़कर टाइम पास करता हूँ। मुुझे हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ तथा अमृता प्रीतम की आत्मकथा ‘रसीद टिकट’ पढ़कर विशेष आनंद की अनुभूति होती है। मैं इनकी आत्मकथा का कोई न कोई अंश पढ़कर टाइम पास करता हूँ।
पुस्तकें ही हमारी सच्ची मित्र होती हैं। वे हमारे समय का सदुपयोग करती हैं, हमें ज्ञान देती हैं तथा हमारा मनोरंजन भी करती हैं। ये हमें हमारे घर में ही रहकर बहुत अच्छा टाइम पास कराती हैं।
यद्यपि अनेक व्यक्तियों के टाइमपास करने का माध्यम अलग-अलग हो सकता है, पर मेरी उनमें रूचि नहीं है। मैं तो पुस्तकों का पे्रमी हूँ। मैंने अपने घर में काफी रोचक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तकंे एकत्रित कर रखी हैं। इनके अतिरिक्त मुझे जहाँ कहीं भी कोई अच्छी पुस्तक दिखाई दे जाती है, मैं उसे प्राप्त करने के प्रयास में जुट जाता हूँ। कथा-साहित्य को पढ़ने में मुझे विशेष आनंद की अनुभूति होती है। मैं इन पुस्तकों को पढ़कार ही अपना टाइम पास करता हूँ। यद्यपि मेरे अनेक मित्र मेरे इस टाइमपास पर कटाक्ष करते हैं। उनके लिए टी.वी. देखना, सिनेमा देखना, सैर करना अथवा किसी वस्तु का संग्रह करना टाइमपास के माध्यम हैं। पुस्तकांे को पढ़ने से तो वे ऊबे हुए होते हैं। जबकि मेरे लिए पुस्तकें पढ़ना ही बेहतर टाइमपास है।
मुझे पता है कि पुस्तकंे ही सच्चे साथी हैं। वे कभी हमारा साथ नहीं छोड़तीं हमें इनमें रूचि लेने की आवश्यकता है इस टाइमपास में किसी अन्य व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं होती। हम अकेले घर में या पुस्तकायल मंे बैठकर पुस्तकों से टाइमपास कर सकते हैं। मुझे तो इस टामपास में बड़ा आनंद आता है। पुस्तकों को पढ़कर मेरा अतिरिक्त समय भली प्रकार बीत जाता है। इनसे मेरा मनोरंजन भी होता है और मेरा ज्ञान भी बढ़ता है।