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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Aatankwad aur Bharat”, “आतंकवाद और भारत” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

आतंकवाद और भारत

Aatankwad aur Bharat

 

और

 

आतंकवाद : समस्याएँ और समाधान

Aatankwad : Samasyaye aur Samadhan

आतंकवाद सिर्फ भारत की ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की समस्या है। आतंकवाद  अब देश की बहुत गंभीर समस्या बन गई है। इससे निपटने तथा इसे खत्म करने के। लिए हमारी सरकार और जनता दोनों ही कृतसंकल्प है। आतंकवाद, आतंकवादी राष्ट्रविरोधी तत्व हैं जो सिरफिरे, पागल तथा गुमराह हैं। ये पथभ्रष्ट व भ्रमित लोग देश में भय, आतंक, हिंसा, अव्यवस्था और अराजकता फैलाकर अपनी अनैतिक, असंवेधानिक तथा सब प्रकार से अनुचित मांगों को मनवाना चाहते हैं। इन लोगों का न कोई धर्म होता और न ही ईमान। अपने अनुचित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ये निरपराध व निर्दोष स्त्रियों, बच्चों और पुरुषों का वध करने से नहीं चूकते।

आग लगाना, लूटपाट करना, अपहरण कर धन ऐंठना, मनमानी हरकते करना इन सबके लिए सामान्य बात है।

आत्मघात भी इसी प्रकार की गतिविधियों का एक रूप है। संसार के भौतिक दृष्टि से संपन्न देश में यह प्रवृत्ति और भी उच्च स्तर की पनप रही है। इन्हीं आत्मघाती हमलों की वजह से हमारे देश ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आदि नेताओं को खों दिया है। मुंबई के धमाके, अहमदाबाद के धमाके, हैदराबाद के धमाके आदि भी इनके  ही रूप हैं।

सन् 2001, 13 दिसंबर भारतीय इतिहास का वह काला दिन था जब कुछ आतंकवादियों ने स्वचलित आधुनिक हथियारों से संसद पर अचानक आक्रमण कर  दिया वह भी उस समय जब संसद का सत्र चल रहा था और देश के कई गणमान्य नेता  वहाँ उपस्थित थे। वैसे तो संख्या में वे आतंकवादी सिर्फ 5 थे पर कई विस्फोटक से  लैस थे। रिपोर्ट के अनुसार पता चला कि वे सभी पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त कर आए थे, इन सब बातों को सुनकर, देखकर हम समझ सकते हैं कि आतंकवाद कितना क्रूर व घिनौना रूप ले चुका है।

भारत के कई राज्य जैसे जम्मू कश्मीर, दिल्ली, असम, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल पर कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं, हम यह कह सकते हैं कि संपूर्ण । भारत पर आतंकवाद का खतरा छाया है।

भारत पर न सिर्फ आतंकवादी, बल्कि नक्सलवादी, उग्रवादी जो कि आतंकवाद का ही एक रूप है, खतरा बन चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार ये आतंकवादी मिलकर आतंक मचा कर पड़ोसी राज्यों जैसे पाकिस्तान, भूटान, बंगलादेश, म्यांमर, नेपाल आदि देशों में पलायन कर जाते हैं।

अभी हाल ही में भारत में हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि आतंकवाद के कई कारण हैं जैसे कि बेकारी, अशिक्षा, असंतोष, गरीबी जो कि आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं, जिसका पुराने आतंकवादी नए आतंकवादियों को बड़े सपने दिखाकर  अपने में शामिल कर लेते हैं। आतंकवादी ऐसे युवक-युवतियों की ताक में रहते हैं।जो शीघ्र लोभ-लालच में फंस जाते हैं। शासन के प्रति असंतोष, शोषण भी आतंकवादी बनने का एक कारण है।

आतंकवाद वह दानव है जो अपने जनक को भी नहीं छोड़ता, हाल ही में पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ पर हुए आतंकवादी हमले इसके ज्वलंत प्रमाण । यह तो सचमुच वही भस्मासुर नामक राक्षस है जो आर्शीवाद देने वाले शिव को ही भस्म करने चल दिया था। 

आतंकवादियों का न तो कोई ईमान होता है, न उनमें अनुशासन, न मर्यादा, मान्यता, धर्म, नैतिकता, आचरण संहिता और न ही आदर्श। वे तो हताश, असफल, भ्रमित, पथ भ्रष्ट और ज्ञान शून्य लोगों का समूह होते हैं, जो अपने स्वार्थपूर्ति की लिए कुछ भी कर सकते हैं। इनकी प्रकृति, प्रवृत्ति, नीयत को जितनी जल्दी पहचाना जाए उतना देश के लिए हित में होगा। 

आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैन्य दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहिए. अगर तीनों सेनाओं जल, थल और वायु को लगा दिया जाए तो शायद कुछ संभव हो सके। इसके लिए सरकार के प्रति जनता को जाग्रत करना चाहिए। युवा वर्ग को नैतिक दृष्टि से हम शिक्षित बनाए तो उन्हें उनकी योग्यतानुसार रोजगार मिल जाएगा साथ ही सभी देशों को एकजुट होकर आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए। 

हमें अमरिका के राष्ट्रपति ओबामा से प्रेरणा लेनी चाहिए कि उसने किस तरह से आतंकवाद के पिता माने जाने वाले अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को। उसके ही गढ़ में समाप्त कर दिया।

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