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Hindi Essay on “Varsha Ritu, वर्षा ऋतु ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

वर्षा ऋतु

Varsha Ritu

वर्षा ऋतु का संसार के हर प्रांत में अत्यन्त महत्व है। विभिन्न प्रांतों में इसके आगमन का समय भिन्न-भिन्न होता है। समय जो भी हर किसी को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। भारत के उत्तर एवं पूर्वी क्षेत्रों में जून के अंत में तो दक्षिणी भागों में सितम्बर के महीनों में यह अपना असर दिखाता है। भारत में वर्षा के लिए मुख्य महीने आषाढ़, सावन और भादो है। भारत में अधिकांश वर्षा मानसून से ही होती है। वर्षा ऋतु को अपने अलौकिक सौन्दर्य के कारण ऋतुओं की रानी से भी संबोधित किया जाता है।

वर्षा ऋतु से पूर्व पेड़-पौधे सूख से जाते हैं। ताल-तालाब सूख से जाते हैं। बड़ी-बड़ी नदियां नाले के समान प्रतीत होने लगती है। छोटी नदियां से प्राय: विलुप्त ही हो जाती हैं। लोगों का हाल भयंकर गर्मी से बेहाल हो जाता है। किसान लगातार आसमान की ओर आंखें टकटकाए देखता रहता है, ताकि बरखा रानी बरसे और धरती की प्यास बुझाए। ऐसे भयावह आलम में जब वर्षा दस्तक देती है तो सबके चेहरे खिल पड़ते हैं। पेड़-पौधे, झाडि़यां, घास आदि फिर से हरे-भरे हो जाते हैं। ताल-तालाब और नदी-नाले फिर से लबालब हो जाते हैं। भयंकर गर्मी के बीच बारिस का आना सर्वत्र प्रसन्नता का संचार करता है। औसत बारिश से किसान अपने हल-बैल आदि लेकर खेतों की ओर दौड़ पड़ते हैं। कुछ ही दिनों में जो धरती विरान और उजाड़ हो गयी थी, अब फिर से हरी-भरी लगने लगती है। देखने पर लगता है, मानों धरती ने एक हरी चादर ओढ़ ली हो। कीट-पतंगे जो कुछ ही समय पूर्व तक धरती के आगोश में दुबके पड़े थे, पुन: सकि्रय हो जाते हैं। मेंढ़कों के टर्रटर्राने और झींगुर का संगीत आम हो जाता है।

वर्षा ऋतु से प्रभावित होकर अनेक कवियों और लेखकों ने अनेक छन्द और कविताओं का सृजन किया है। यह ऋतु कवियों और लेखकों को उनकी रचनाओं के लिए प्रेरणा और माहौल देती है। इस ऋतु को प्रेम के लिए सर्वोŸाम माना गया है। राग मल्हार वर्षा से ही प्रेरणा लेकर तैयार किया गया है।
अपनी नैसर्गिक सौन्दर्यता के बीच जैसा कि अति हमेशा ही नाशवान होता है, वैसा ही अति वर्षा हमेशा परेशानियां और संकट ही लाती है। अत्यधिक वर्षा से नदी-नाले इतने भर जाते हैं कि बाढ़ आने का खतरा मंडराने लगता है। यदि बाढ़ आयी तो खड़ी फसलें, मकानों और जान-माल की अपार क्षति करती है। हजारों लोग बेघर हो जाते हैं। अत्यधिक वर्षा हैजा, अतिसार, पीलिया, मलेरिया आदि रोगों को जन्म देती है। लोगों की जीना दुभर हो जाता है।

वर्षा यदि संतुलित हो तो यह वरदान और अनियमित अथवा असंतुलित हो तो अभिशाप के रूप में प्रकट होती है। आज वर्षा में अनियमितता पाया जाता है। इसके लिए मानवीय कि्रयाकलाप बहुत हद तक जिम्मेवार है। मानवीय गतिविधियों से लगातार वनों का ह्रास होता जा रहा है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव वर्षा के वितरण पर पड़ रहा है। अत: हमें वन लगाने चाहिए जिससे कि भविष्य में यह किसी संकट को न्योता न दे। साथ ही हमें वर्षा जल को संचित रखने हेतु तथा अधिकाधिक उपयोग हेतु दीर्घगामी उपाय ढूंढ़ना चाहिए।
शब्द संख्या: 369.

 

वर्षा काल

अथवा

वर्षा ऋतु

जब भूतल तवा-सा जलता है, गरम पवन के थपेड़ों से फूल, पौधे, वृक्ष तथा लताएँ झुलस जाते हैं, प्राणी निढाल हो जाते हैं और चहुँ ओर त्राहि-त्राहि मच जाती है तब ऐसी दशा में हम आकाश की ओर मुँह उठाकर ताकते और मनौती मनाते रहते हैं कि है ईश्वर अब शीघ्र वर्षा कर।

हमारी पुकार सुनी अथवा ग्रीष्म के पश्चात् बरसात आई और मेघ ने झड़ी लगाई। जंगल में मंगल हो गया। जिधर देखो उधर ही हरियाली दिखाई पड़ने लगी। तब हम सबकी जान में जान आई। ईश्वर का धन्यवाद किया। छोटे-छोटे नदी-नाले आपे में नहीं समाते. सभी कल-कल के गीत सनाते चलने लगते हैं। मोर भी बादलों का स्वागत अपनी सुरीली वाणी से और नाचकर करते हैं। मेंढकों की टर्र-टर्र, झींगुरों की झंकार और जगनुओं की चमक-दमक से रात्रि में आनन्द छा जाता है।

ऐसे ही सुहावने समय में तीज का त्योहार आता हैं। और हिण्डोलों में झले पड़े होते हैं। स्त्रियाँ मल्हार से सावन मास का स्वागत करती हैं| सभी सखी सहेलियाँ प्रेम-पूर्वक गाती हैं उनका हृदय उल्लास से भर जाता है।

वर्षा ऋतु में पक्के आमों की बहार होती है। देशी आम का टपका बडा गुणकारी ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इन आमों को चूसने के बाद दूध पीने से शक्ति बढ़ती है। कभी आकाश में इन्द्रधनुष की निराली छटा बालकों का मनोरंजन खेल बन जाती है।

वर्षा में किसान की बाँछे खिल जाती हैं हल जोता जाता है और पुरवैया पवन अपना राग अलापता है। ग्वाले पशुओं को तालाबों में छोड़-छाड़ कर बागों में आनन्द मनाते हैं। सब वृक्ष लता की हरियाली की तरह मनुष्यों का हृदय भी हरा-भरा हो जाता है।

मक्का, ज्वार, बाजरे के लहलहाते खेत किसान को नवजीवन प्रदान करते हैं। इन्द्रधनुष की झलक बादल की कडक बिजली की चमक, कवियों के हृदय में भी हिलोर मारने लगती है। वर्षाऋतु में मेंढकों का टर्राना भी बड़ा प्रिय लगता है।

वर्षा में सुख, शान्ति की लहर दौड़ने पर भी मलेरिया आदि का प्रकोप हो जाता है। अतः ऐसे अवसर पर मानव जाति को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परमावश्यक है। इन सब बातों पर ध्यान देते हुए यह मानना पड़ेगा कि वसन्त ऋतुओं का राजा है, तो वर्षा ऋतुओं की रानी है।

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