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Hindi Essay on “Sharab Bandi”, “Daru Bandi” , ”शराब-बंदी”, “दारूबंदी” Complete Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

शराब-बंदी 

या 

दारूबंदी

या 

मद्य-निषेध

मद्य या दारूबंदी की चर्चा आज चारों तरफ आम चर्चा का विषय है। मद्य-यानी शराब। आजकल भारतीय जीवन और समाज में शराब पीना भी एक प्रकार से फैशन का सबल अंग बन चुका है। शराब पीना गर्व, गौरव और आधुनिकता की पहचान बनता और समझा जा रहा है। लोग बड़ी चुस्कियां लेकर शराब पीने की बातों और स्थितियों की आपस में चर्चा करते हैं। पहले दशहरा-दीवाली, पूजा-पाठ, शादी-ब्याह आदि के अवसरों पर पीने के आदी लोग भी नहीं पिया करते थे। मंगल आदि वारों और विशेष प्रकार की तिथियों का भी परहेज किया करते थे। दिन में तो छूते तक नहीं थे और प्राय: पीते भी थे तो छिप-छिपाकर। पर आज उत्सव-त्योहार, व्रत-उपवास, तिथि-वार और छोटे-बड़े किसी की भी परवाह न करके खुलेआम छककर मदिया पी जाती है। मुफ्त की मिलने पर तो वहशी बनकर उस सीमा तक पी जाती है जैसे फिर कभी मिलेगी ही नहीं और एक दिन का नशा आयु भर बना रहना है। पीकर चाहे उलटियां कर रहे हैं, नाली में औंधे मुंह गिर रहे हैं, पर पीनी अवश्य है। फैशन जो है। गर्व गौरव की बात और आधुनिकता की पहचान जो है। देश और व्यक्ति के धन-स्वास्थ्य, नैतिकता और चरित्र को अनाप-शनाप मद्यपान करने से कितनी हानि पहुंच रही है, कोई इस बारे में सोचना तक नहीं चाहता। पीने वाले तो नहीं ही सोचना चाहते, सच्चे अर्थों में सरकार और जन-नेता भी नहीं, तभ्ज्ञी तो आज शराब सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराई जाती है।

राष्ट्रपतिा गांधी जी ने बहुत पहले इस बुराई और इसके दुष्परिणामों को समझ लिया था। भारत का आदमी इसकी लत का शिकार होकर सभी प्रकार से तबाह और बर्बाद हो रहा है, यह सोचक उन्होंने मद्य-निषेध या शराबबंदी को अपने आंदोलनों का अंग बना लिया था। इसके लिए शराब की दुकानों पर धरने दिए जाते थे। वहां सरकारी लाठियां-गोलियां चलाती और लोगों को जेल में बंद कर देती, फिर भी आंदोलन जारी रहता। उसका व्यापक प्रभाव भी पड़ता। यों कहने को नशाबंदी समितियां आज भी हैं। वे मद्य-निषेध के लिए आवाज भी उठाती रहती हैं। हमारा संविधान भी शराब-बंदी के पक्ष में है, पर क्या कहने इस प्यारे देश की सरकार और नेताओं के। वह अपनी दुकानें और ठेके खोलकर गांधी के देश के लोगों को जी भर शराब पिलाकर उस महान आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। वह भी इसलिए कि इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है। कुछ राजस्व के लिए गांधी के देश में,उसके भक्तों और अनुयायियों के द्वारा ही जनता के धन, स्वास्थ्य और समय के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, कितनी विचित्र बात है यह। इससे भी विचित्र बात यह है कि यहां दारू-बंदी के आदेश और उपदेश देने वालों द्वारा पहले स्वंय पीकर तब ही मंच पर से उपदेश, भाषण आदि दिया जाता है।

शराब का अंधाधुंध पान स्वास्थ्य और धना दोनों को नष्ट करता है। वह मनुष्य की तामसिक वृत्तियों को भी भडक़ाता है। उनके भडक़ाने से कई प्रकार की बुराईयां जन्म लेती हैं। देखा-देखाी गरीब और असमर्थ वर्गों के लोग भी शराब पीने के आदी बनकर अपना घर-परिवार आदि सभी कुछ बर्बाद कर बैठते हैं। कहा जाता है कि शराब से भूख मर जाती है, अंतडिय़ां कमजोर हो जाती है। पाचन-शक्ति जवाब दे देती है, जबकि लोगों ने भ्रम पाल रखा है कि मद्यपान से भूख बढ़ती है। कितनी विषम धारणा है यह। वास्तविकता कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होकर तन-मन-धन सभी कुछ नष्ट कर देती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मद्यपान नैतिका और भौतिकता दोनों को नष्ट करता है। अत: गांधी के देश में सख्ती से उसका निषध बहुत आश्यक है।

स्वतंत्र भारत में कई प्रांतों में शराबबंदी का तजुर्बा किया गया है, पर परिणाम सुखद नहीं रहा। यों तो नाजायज शराब बनाने-बेचने का धंधा हमेशा चला और आज भी चल रहा है। पर जिन दिनों कुछ प्रांतों में शराब पर पाबंदी लगाई गई, तब वह और भी जोरों से चलने लगा। नाजायज बनने-बिकने वाली शराब अक्सर घातक होती है। यों मद्यनिषध न होने पर भी उसे पीकर लोग मरे और आज भी करते रहते हैं, पर शराब बंदी के दिनों में ऐसे कांड बहुत बढ़ गए थे। अत: विवश होकर सरकारको मद्य-निषेध का आदेश वापस लेने पड़े। आज तो हर प्रांत में प्राय: सरकार ही गांधी के देशवासियों को जी भरकर शराब पिला के मस्त बना रही है। वाह रे गांधी के देश भारत।

शराब की बुराइयां किसी से छिपी नहीं। हम सभी उनसे भली प्रकार परिचित हैं। हम चाहते भी हैं कि हमारा देश इस बीमारी से छुटकारा पा सके। इसके लिए सबसे पहले दृढ़ संकल्प, फिर राजस्व-प्राप्ति के लोभ और लाभ-त्याग की आवश्यकता है। उसके बाद आवश्यकता है कि शराब बनाने वाले सारे कारखाने, उसका आयात एक ही झटके के साथ बंद कर दिया जाए और पूरे भारत में एक साथ मद्य-निषध की घोषणा कर दी जाए। नाजायज शराब बनाने वालों को ईमानदारी और सख्ती के साथ कुचल दिया जाए, तभी इस महामारी से छुटकारा संभव हो सकता है। नहीं तो आज मद्यपान की प्रवृति जिस तेजी से गर्व का विषय बनकर बढ़ रही है, वह भारतीय सभ्यता-संस्कृति को मदिरालयों या शराबियों की बस्मी बनाकर रख देगी। देर करने जाने पर बचाव का कोई भी उपाय संभव न हो सकेगा। वह दिन भारत के सर्वनाश का दिन बन जाएगा, इसमें तनिक भी संदेह नहीं।

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commentscomments

  1. Amol says:

    Sharab bandi honi chahiye court ne to pehale adesh diya band karneka our kuch netao ke kehne par chalu bhi karwa diye agar nyay aisahi milta hai to court me jane ki jarurat kya hai

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