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Hindi Essay on “Sah-Shiksha” , ”सहशिक्षा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

सहशिक्षा

Sah-Shiksha

निबंध नंबर :- 01

सहशिक्षा से तात्पर्ण लडक़ों व लड़कियों का विद्यालय में एक साथ अध्ययन करना है। हमारे देश में अनेक रूढि़वादी लोग लंबे समय से सहशिक्षा का विरोध करते चले आ रहे हैं परंतु समय के बदलाव के साथ अब यह धीरे-धीरे कार्यान्वित हो रही है। इसमें विज्ञान का योगदान अधिक है जिसने मनुष्यों को अपनी पुरानपंथी सोच में बदलाव लाने का महती प्रयास किया है।

सहशिक्षा का इतिहास हमारे देश के लिए नया नहीं है। प्राचीन काल के गुरुकुलों व आश्रमों में सहशिक्षा की प्रथा प्रचलित थी। उस समय में स्त्री और पुरुष को समान दृष्टि से देखा जाता था। हिंदू समाज के धर्मग्रंथों व पुराने तत्वों से इसके प्रचलित होने के अनेक उदाहरण मिलते हैं परंतु देश में मुसलमानों के आगमन के पश्चात स्थिति में काफी परिवर्तन हुआ। मुस्लिम समाज में प्रचलित परदा प्रथा के चलते धीरे-धीरे सहशिक्षा का प्रचलत लुप्त होता चला गया।

देश-विदेश के अनेक विद्वानों ने इसके विरोध में मत दिए हैं। इसके विरोध में किसी अंग्रेज शिक्षाशास्त्री ने कहा है कि औरत के समीप होने पर पुरुष अध्ययन नहीं कर सकता है। विरोध में कुछ अन्य लोगों का मत है कि सहशिक्षा वातावरण अराजकता को जन्म देती है। लडक़े-लड़कियां विपरीत यौनाकर्षण के चलते अध्ययन में कम अपितु प्रेम व भ्रमित वातावरण की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। समय-समय पर कुछ स्वार्थलोलुप अध्ययनों व छात्र-छात्राओं के अवैध संबंधों की खबरें भी सहशिक्षा के विरोध में प्रबल समर्थन देती हैं। कुछ अन्य लोगों की धारणा है कि सहशिक्षा विद्यालय में अव्यवस्था का वातावरण उत्पन्न करती है। क्ुछ व्यक्तियों की क्षुब्ध धारण हे कि सहशिक्षा से छात्रों के मस्तिष्क में विचलन की संभावना बहुत अधिक रहती है।

दूसरी ओर सहशिक्षा के समर्थन में भी अनेक मत प्रचलित हैं। इनमें से कुछ प्रचलित मत निम्नलिखित हैं-

  1. सहशिक्षा के प्रयोग से विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है। उनके अनुसार किसी चीज का लगातार उपयोग करने से उसके प्रति उदासीनता आ जाती है। अत: उदासीनता के कारण छात्रगण अपने अध्ययन अथवा भविष्य के प्रति अपनी ऊर्जा को अधिक केंद्रित कर सकते हैं।
  2. कुछ लोगों की धारण है कि सहशिक्षा आर्थिक दृष्टि से बहुत अधिक उपयोगी है। लडक़ों और लड़कियों के अलग-अलग संस्थानों के बजाय यदि एक ही संस्थान हो तो खर्च काफी कम किया जा सकता है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां आर्थिक स्थिति मजबूत न हो वहां सहशिक्षा बहुत अधिक उपयोगी है।
  3. कुछ अन्य लोगों की धारणा है कि छात्र-छात्राओं के एक ही संस्थ्ज्ञान में अध्ययन से उनके बीच आपसी समझ बढ़ती है। यह आपसी समझ उनके गृहस्थ जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।
  4. सहशिक्षा का एक लाभ यह भी है कि एक ही परिवार की छात्र-छात्राएं यदि एक ही विद्यालय में शिक्षा पाते हैं तो अभिभावकों को कम परेशानी उठानी पड़ती है।

भारत में रूढि़वादी परंपराओं के चलते परिवर्तन आसान नहीं है परंतु धीरे-धीरे स्कूली स्तर से बड़े स्तर में लाया जाए तो सहशिक्षा को सामान्य बनाया जा सकता है। आज के प्रगतिशील युग में जहां विकास के पथ पर नारी पुरुष का बराबर साथ दे रही है वहां पर तो यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम तुच्छ मानसिकता से ऊपर उठें ताकि सहशिक्षा का लाभ उठाया जा सके।

वैसे भी सहशिक्षा अब धीरे-धीरे ही सही इस स्तर पर सामाजिक मान्यता प्राप्त कर चुका है कि इसे वापस नहीं लौटाया जा सकता। आधुनिक प्रगतिवादी समाज में अब लड़कियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। दूसरी ओर लड़कियां विभिन्न स्तरों पर लडक़ों की तुलना पर अच्छे अंक हासिल कर रही है अत: कोई आश्चर्य नहीं कि इक्कीसवीं सदी के आखिर तक दुनिया भर में लड़कियों का शिक्षा प्रतिशत लडक़ों से अधिक हो जाए। ऐसे में सहशिक्षा की अहमियत और भी बढ़ जाती है।

निबंध नंबर :- 02

 

सहशिक्षा

Sah-Shiksha

शिक्षा मानव के जीवन का अंधकार दूर करती है और उसके जीवन को प्रकाशमय बनाती है। शिक्षा के बिना मानव पशु समान होता है। संस्कृत में भी ऐसा कहा गया है-विद्याविहीन : पशुः समानः।

शिक्षा मानव के आंतरिक गुणों के विकास में सहायक सिद्ध होती है। शिक्षित व्यक्ति दूसरे की प्रकृति, गण, आदत तथा व्यक्तित्व को भली भाँति समझता है और उसके अनुकूल व्यवहार करता है।

सहशिक्षा में लड़के-लड़कियाँ एक सी शिक्षा ग्रहण करते हैं। प्राचीन काल में लड़के लड़कियाँ सभी साथ पढ़ा करते थे; किंतु मध्य युग में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी गई। तत्पश्चात ब्रिटिश शासन के आरम्भ के साथ-साथ लड़कियों की पढ़ाई भी आरम्भ हो गई। तब से लेकर आज तक लड़कियाँ लड़कों के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आधुनिक युग में लड़कियों को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने के लिए उन्हें शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक समझा जाता है। दूसरे लड़कों द्वारा विवाह के लिए पढ़ी-लिखी लड़कियों की माँग है।

सहशिक्षा के समर्थकों का कहना है कि सहशिक्षा पश्चिमी देशों से नहीं आई अपित भारत में प्राचीन काल से ही वह प्रचलित थी। महर्षि कण्व के आश्रम में लड़कों के साथ लड़कियों भी पढ़ा करती थी। श्री वाल्मीकि के आश्रम में भी लड़कों के साथ लडकि पहा करती थी। लड़के-लड़कियो का आपस में मिल-जुलकर रहने से आकर्षण ही बढता नही है अपितु वे एक-दूसरे को परिवार का सदस्य समझने लगते हैं। आधुनिक युग में स्त्री-पुरुष प्रत्येक क्षेत्र में एक-दूसरे की सहायता करते हैं। स्त्रियाँ पुरुषों के साथ घर के साथ-साथ बाहर भी काम करती है और पुरुष घर के कार्यों में स्त्री की सहायता करते है। यदि किशोरावस्था में संकोच लज्जा और दुःख स्त्री के मन में घर कर जाते हैं, तो बड़े होकर उनमें विरोधी तत्त्वों से जूझने की क्षमता पैदा नहीं हो सकती है। सहशिक्षा में जहाँ लडके-लडकियो में परस्पर विचारों का आदान-प्रदान होता है, तो वहाँ उनमें स्पर्धा एक-दूसरे के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाती है।

निबंध नंबर :- 03

सह-शिक्षा

Sah-Shiksha

सह-शिक्षा बासवी सदी में आया एक बड़ा बदलाव है। इसमें लड़के और लड़कियां एक-दूसरे से मिल कर इकट्ठे पढते ही नहीं बल्कि एक-दूसरे को समझते भी हैं। उन्हें संयुक्त रूप से पढ़ाई कराई जाती है। वे खेल के मैदानों में भी इकट्ठे खेलते हैं। वे शैक्षिक यात्राओं पर भी इकठे जाते हैं। जब उन दोनों को एक-दूसरे को खुले रूप से मिलने की इजाजत होती है तो वे कई प्रकार की मानसिक समस्याओं को भी मिल-जुल कर हल का लेते हैं।

सहशिक्षा उनको एक-दूसरे की आदतें, शौक एवं विचार जानने में सहायक होती है। हालांकि विवाह पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है लेकिन वे अपने आपको शादी के कठिन इम्तिहान को पास करने के लिए आसानी से तैयार कर सकते हैं। इस आपसी समझ के कारण पुरुष सामाजिक जीवन में स्त्रियों को बराबर का दर्जा देना सीखते हैं। सह-शिक्षा पुरुषों को स्त्रियों की क्षमताओं को समझने में सहायक सिद्ध हुई है।

सहशिक्षा से लड़कों के व्यवहार में काफी सुधार हुआ है। लड़कों में आमतौर पर अभद्र भाषा और घटिया किस्म चुटकुले आदि सुनाने की प्रवृत्ति होती है। लेकिन लड़कियों की उपस्थिति के कारण लड़कों की इस आदत में काफी सुधार आया है। वे बातचीत करते समय काफी सतर्क रहते हैं और अभद्र भाषा के प्रयोग से बचते हैं। वे एक अच्छे व्यक्ति की तरह पेश आने का प्रयास करते हैं। सह-शिक्षा के कारण लडकख्नन और लड़कियों में स्पर्धा की भावना पैदा हुई है। दोनों एक-दूसरे से आगे निकलने का प्रयास करते हैं।

सह-शिक्षा के जहां फायदे हैं वहर इसकी कमियां भी हैं। लड़कियों की उपस्थिति के कारण लड़के पढ़ाई पर ध्यान कम देते हैं। दूसरा, लड़कियों की आवश्यकताएं लड़कों से भिन्न होती हैं, इसलिए दोनों को एक ही जैसी शिक्षा नहीं दी जा सकती। लड़के और लड़कियों को बिल्कुल एक ही जैसी शिक्षा देना एक प्रकार से नकारात्मक सिद्ध होता है। जब तक सामाजिक परिस्थितियों में बदलाव नहीं आता तब तक सह-शिक्षा के अच्छे परिणाम नहीं निकल सकते।

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commentscomments

  1. poonam taprial says:

    Very Nice Essay

  2. Raj says:

    good essay

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