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Hindi Essay on “Purushottam Das Tandon” , ”पुरुषोत्तमदास टंडन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन

Purushottam Das Tandon

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन का जन्म 1 अगस्त 1882 को इलाहाबाद के अहियापुर नामक मुहल्ले में हुआ था। टंडनजी शुरू से ही लिखने-पढऩे में बहुत तेज थे। हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनका विवाह हो गया। वे क्रिकेट और शतरंज के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। इसके साथ ही उनकी राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी थी।

कुछ समय तक टंडनजी ने इलाहाबाद में वकालत भी की। सन 1906 में कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। सन 1914 में उन्हें नाभा रियासत के विधि सलाहकार के रूप में मनोनित किया गया था। सन 1919 में वे इलाहाबाद नगरपालिका के चेयरमेन बनाए गए थे। सन 1923 में गोरखपुर में कांग्रेस के प्रांतीय अधिवेशन हुआ। टंडनजी को इसका अध्यक्ष बनाया गया।

सन 1956 में टंडनजी को प्रांतीय विधानसभा का सदस्य चुना गया। सन 1950 में उन्हें ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ का अध्यक्ष बनाया गया। वे बहुत ही स्वाभिमानी थे। किसी बात पर विवाद हो जाने पर उन्होंने ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ के अध्यक्ष पद से त्याग-पत्र दे दिया।

उन्हें उत्तर प्रदेश में कृषक आंदोलन का जन्मदाता माना जाता है। सन 1930 में उनहोंने ‘केंद्रीय किसान संगठन’ की स्थापना की थी। उन्होंने संगठन का काम अपने हाथों में लिया। किसान आंदोलन के सिलसिले में उन्हें जेल की सजा मिली।

29 जुलाई 1936 को विधानसभा के समस्त सदस्यों ने एक स्वर में टंडंनजी को अध्यक्ष चुना। 18 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान पुरुषोत्तमदास टंडन को जेल की सजा हुई थी। उन्हें बरेली जेल में रखा गया। किंतु स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया।

सन 1948 में प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा ने उन्हें ‘राजर्षि’ की उपधि प्रदान की थी।

टंडनजी हिंदी के विकास के लिए जीवन भर लगे रहे। उन्होंने ही इलाहाबाद में हिंदी विद्यापीठ की स्थापना की। टंडनजी उसके प्रथम आचार्य थे। वे इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले पत्र ‘अभ्युदय’ के संपादक भी रहे।

सन 1952 में उन्हें इलाहाबाद क्षेत्र से लोकसभा का सदस्य चुना गया था। 27 अप्रैल 1961 को उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

1 जुलाई 1962 को इस महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज-सुधारक का निधन हो गया।

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