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Hindi Essay on “Olympic : Khel Ayojan” , ”ओलंपिक : खेल आयोजन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

ओलंपिक : खेल आयोजन

Olympic : Khel Ayojan

खेल अनेक प्रकार के हैं, जिनका अजीब-अजीब नाम भी होता है। कहीं-कहीं खेलों का आयोजन चलता ही रहता है। लेकिन एक खेल आयोजन ऐसा है, जिसे संसार भर का सबसे बड़ा खेल आयोजन माना जाता है। उसका नाम है ओलंपिक।

ओलंपिक खेल के अंतर्गत बहुत सारे खेल आते हैं। इसमें दुनिया भर के चुनिंदा खिलाड़ी ही भाग लेते हैं। इन खेलों में अनेक प्रतियोगितांए होती हैं। जो देश कई खेलों में सबसे अधिक बाद प्रथम स्थान प्राप्त करता है, उसे ओलंपिक विजेता कहा जाता है।

ईसा-पूर्व में एक प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। यह प्रतियोगिता यूनान के एक प्रदेश के एक छोटे से नगर ओलंपिया में संपन्न हुई थी। उस प्रतियोगिता का नाम दौड-प्रतियोगिता था। इस में एलिस प्रदेश का एक व्यक्ति प्रथम स्थान पर आया। उसका नाम कोराबस था। कोराबस को जैतून की पत्तियों से बना ताज पहनाया गया। इस आयोजन को पहला ओलंपिक माना जाता है।

ओलंपिक खेलों की शुरुआत के बारे में प्रचलित एक कहानी है।

एलिस प्रदेश का राजा सिरनोमस बहुत ही निर्दयी था। उसकी एक बहुत सुंदर बेटभ् थी। उसका नाम हिप्पोडेमिया था। सिरनोमस अपने बेटी की शादी करना चाहता था। शादी के लिए उसकी शर्म थी, जो बहुत ही अजीब थी। शर्त के अनुसार, हिप्पोडेमिया की शादी उस व्यक्ति से ही होगी, जो उसकी बेटी का अपहरण कर, उसेे अपने रथ में बैठाकर भगा ले जाएगा। अपहरण होते ही रथ का पीछा राजा रथ से करेगा। अपहरण कर्ता अगर पकड़ा गया तो राजा उसे मार डालेगा।

शर्त तो बड़ी ही खतरनाक थी। कई युवक उसकी बेटी के साथ शादी करने के लिए आगे आए। लेकिन सबके सब युवक शर्त हार गए, जिससे वे मार डाले गए। अंत में एक युवक सामने आया। उसका नाम था पोपोल्स। वह बड़ा ही चालाक निकला। शर्त पूरी करने से पहले उसने राजा के सारथि से दोस्ती कर ली। पोपोल्स ने सारथि को धन का लालच दिया। पोपोल्स ने सारथि को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वह राजा का पीछा करने से पूर्व रथ के दोनों पहिए ढीले कर देगा। शर्त के अनुसार, पोपोल्स ने राजकुमारी हिप्पोडेमिया का अपहरण कर तेजी से रथ दौड़ाया। राजा ने उसका पीछा किया। रथ के पहिए ढीले होने के कारण राजा का रथ डगमगााने लगा। इसी बीच सारथि रथ से नीचे कूद पड़ा। अचानक रथ के दोनों पहिए निकल गए और पहिए के नीचे दबकर राजा की मृत्यु हो गई।

उधर, पोपोल्स ने हिप्पोडेमिया के साथ-खुशी-खुशी विवाह किया। कहते हैं कि उस दुष्ट राजा पर विजय प्राप्त करने की खुशी में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया। तब से ओलंपिक खेल की शुरुआत हो गई।

प्रत्येक चार वर्षों पर ओलंपिक का आयोजन होता है। अब तक 28 आलंपिक खेलों का आयोजन हो चुका है।

ओलंपिक खेलों का उदघाटन सम्राट, राष्ट्रपति या अन्य राज्याध्यक्ष द्वारा किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष, आयोजन समिति के अध्यक्ष और दोनों समितियों के सदस्य उनका स्वागत करते हैं। फिर उन्हें ‘ट्रिब्यून ऑफ आूनर’ सम्मान-मंच पर ले जाया जाता है। इसके साथ ही उपस्थित सामूहिक वाद्यवृंद और संगीत-दल मेजबान देश का राष्ट्रीय गीत प्रस्तुत करते हैं। तत्पश्चात अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष, सम्राट, राष्ट्रपति अथवा राज्याध्यक्ष को सन 1896 में बैरॉन पिअरे डी कॉबर्टिन द्वारा आरंभ किए गए आधुनिक युग के खेलों का उदघाटन करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

ओलंपिक ध्वज पर आपस में पिरोए हुए पांच छल्ले मूल रूप में पांचों महाद्वीपों की मित्रतापूर्ण एकता का प्रतिनिधित्व करते थे। अब ये अंतरराष्ट्रीय मित्रता के प्रतीक हैं। इन छल्लों के नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग उन रंगों के सूचक हैं, जो विभिन्न दलों के ध्वजों में होते हैं। सफेद प्रृष्ठभूमि ‘शांति’ की प्रतीक हैं। ‘सीटियस’, ‘आल्टयस’, ‘फोर्टियस’- ये शब्द इन गोलों के नीचे अंकित है। इस प्रकार से ये ओलंपिक-आदर्शों को दर्शाते हैं। ये लैटिन भाषा के शब्द हैं, जिनका क्रमश: अर्थ है- ‘अधिक तेज’, ‘अधिक ऊंचा’, ‘अधिक दृढ़’। ये शब्द खिलाडिय़ों को तेज दौडऩे, ऊंचा कूदने और दृढ़ता के साथ पहले दूर फेंकने तथा पहले से अच्छा और अच्छा कर दिखाने की प्रेरणा देते हैं।

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