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Hindi Essay on “Nirvachan Aaoyog ka Mahatv” , ”निर्वाचन आयोग का महत्व ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

निर्वाचन आयोग का महत्व

Nirvachan Aaoyog ka Mahatv

 

                प्रस्तावना- 15 अगसत, 1947 को हमारे देश को अंग्रेजों की दासता से आजादी मिली। आजादी के साथ ही आन्तरिक सरकार बनी। सरकार को लोकतांत्रिक प्रणाली पर चलाने के लिए चुनाव आयोग की स्थापना हुई। चुनाव आयोग भारत में एक स्वतंत्रशाली संख्या है, जिसका कार्य निष्पक्षता के साथ चुनाव कराना है।

                हमारे देश का संविधान अमेरिका, ब्रिटेन के संविधान के कुछ देशों से युक्त है। भारत में जो लोकतांत्रित व्यवस्था है उसमें प्रजातन्त्र जनता द्वारा जनता के लिए, जनता की सरकार का प्राविधान है। देश में प्रत्येक वयस्क नागरिक द्वारा मताधिकार प्रयोग से सरकार चुनने का नियम है। चुनाव आयोग के अधिकार मिला हुआ चिहन बिना किसी भेदभाव के, जाति, धर्म, मत, रंगभेद थे प्रत्येक नागरिक के मताधिकार का प्रयोग कराने की व्यवस्था करे। उसे विधायी अधिकार प्राप्त है। चुनाव प्रकिया आरम्भ हो जाने के बाद चुनाव आयोग पर सरकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं रह जाता।

                                मतदान प्रणाली और पारदर्शिता- एक नागरिक एक मत के सिद्धान्त के अनुसार, प्रजातांत्रिक प्रणाली के अन्तर्गत, प्रत्येक कुछ नागरिक को एक मत देने का अधिकार प्राप्त है। इसके लिए कुछ शर्त है, जो इस प्रकार है-

                                (1) वह पागल या दिवालिया न हो।

                                (2) कानून द्वारा मत देने के अयोग्य ठहराकर मत देने के अधिकार से वंचित न किया गया हो।

                                चुनाव प्रक्रिया द्वारा जनता गुप्त रूप से मतदान करके अपने मनचाहे प्रत्याशियों का चयन करती है। मतदाता बिना किसी दबाव के अपने मनचाहे प्रत्याशी के पक्ष मे गुप्त मतदान देता है। प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को यह निश्चित रूप से पता नहीं रहता कि कौन-से नागरिक ने उनके पक्ष या विपक्ष में मत दिया है।

                                कुछ मतदाता ऐसे होते है जो अपने मताधिकार का दुरूपयोग करते हैं, वे एक मत देने के स्थान अनेक मत अपने प्रत्याशी के पक्ष में डाल देते हैं, जो कि बहुत गलत है। इस प्रकार के कार्य करके वह देश को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं। स्वयं भी बहुत बड़ी परेशानी में फंस जाते हैं। वे क्योंकि बेईमानी मत डालने पर पकड़े जाने पर जेल भी भेज दिये जाते हैं। अतः इस प्रकार के कार्यों को उन्हें नहीं करना चाहिये। यह एक सामाजिक अपराध है। मतदान होने के बाद बहुमत के अन्तर्गत जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। बाद में वह नवनिर्माण प्रत्याशी समस्त जनता का अभिवादन करता है और उनका आभार प्रकट करता है-ऐसी परम्परा बन गयी है।

                                निर्वाचन प्रकिया के रूप

                                निर्वाचन आयोग- यह एक स्वतन्त्र संस्था है। यह सरकारी नियन्त्रण से मुक्त होती हैं, जिस कारण यह निष्पक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया का प्रबन्ध करता है। इसी के हाथों में निर्वाचन प्रक्रिया की सारी जिम्मेदारी होती है। यह चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशी को चुनाव चिह्न प्रदान करता है। पोलिंग पार्टी, पोलिंग एजेण्टों, मतदाताओं तथा अन्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का प्रबन्ध भी करता है।

                प्रत्याशी- भारतीय लोकतन्त्र में किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त है, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का हो या स्वतन्त्र प्रत्याशी हो, बिना किसी भेदभाव के वह चुनाव लड़ सकता है। इसके लिए उसे कुछ शर्तों का पालन आवश्यक करना होता है-

                                उसमंे वांछित योग्यता होनी चाहिए।

                                वह पागल या दिवालिया नहीं होना चाहिये।

                                उसका नाम मतदाता सूची में शामिल होना चाहिये।

                                चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को कुछ जमानत की धनराशि भी जमा करवानी होती है। जमानत राशि को समय-समय पर चुनाव आयोग को बढ़ाने का अधिकार है।

                नामाकंन- सर्वप्रथम एक निश्चित संख्या मंे मतदाता द्वारा प्रत्याशी का नाम प्रस्तुत करना पड़ता है और उसे अनुमोदित किया जाता है। इसके बाद प्रत्याशी चुनाव के लिए अपना नामाकंन पत्र भरता है तथा प्रत्याशी को नामाकंन पत्र व्यक्तिगत रूप से निर्धारित सीमा के भीतर जमा करवाना पड़ता है।

                                नामाकंन पत्र वापिस लेना- यदि किसी प्रत्याशी चुनाव लड़ने का विचार बदल दें या अन्य कोई समस्या उत्पन्न हो जाए तो वह चुनाव नहीं लड़ना चाहता तो ऐसी स्थिति में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर वह अपना नामांकन पत्र वापिस ले सकता है।

                                चुनाव चिह्न- यदि प्रत्याशी चुनाव लड़ने योग्य पाया जाता है। उसमें वे सारी शर्तो को मानने की योग्यता है जो निर्वाचित आयोग द्वारा तय की गई हैं, तो चुनाव आयोग उसे एक चुनाव चिह्न आंबटित कर देती है।

                                यदि कोई प्रत्याशी किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ना चाहता है तो प्रायः निर्वाचन आयोग उस सम्बन्धित राजनीतिक दल का चुनाव चिह्न पार्टी का दल के द्वारा प्रत्याशी को दिये गये अधिकार थे मामले में तसल्ली कर, उस पार्टी या दल का चुनाव चिह्न आंबटित करता है।

                                चुनाव अभियान- प्रत्याशियों का अपना चुनाव प्रचार तथा अभियान के लिए कुछ दिनों की अवधि दी जाती है यदि वे जोर-शोर से अपना चुनाव प्रचार करे सके, परन्तु जिस दिन चुनाव होता है उससे चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय पर, चुनाव प्रचार बन्द कर देना होता है।

                                                चुनाव आयोग प्रत्येक चुनाव के बाद अनुभव और खराबियों को नजर में रखते हुए अगले चुनाव के लिए उसका सुधार करता है। इसका उदाहरण है कि अब बैलेट पेण्ट और बैलेट बाॅक्स के बजाय इलैक्ट्रानिक चुनाव मशीन का इस्तेमाल होने लगा है।

                                चुनाव को स्थगित करना- देश में समय-समय पर अनेकों स्थानों में आंतकवादी एंव हिंसात्मक घटनाएं होती रहती हैं। इन गतिविधियों के बढ़ने के कारण तथा निर्वाचन प्रक्रिया में आने वाले दलों को पूर्वानुमान लगाते हुए चुनाव को स्थगित नहीं किया जायेगा। घटना घटने पर चुनाव तिथि को बढ़ा दिया जाता है या कुछ बूथों पर पुनः मतदान कराया जाता है।

                                चुनाव घोषणा पत्र तथा विज्ञापन- चुनाव घोषणा पत्र छपे हुए ऐसे प्रपत्र होते हैं जिनमे मतदाताओं के लिए उनकी आकांक्षाओं, भावनाओं तथा रूचियों को पूर्ण करने हेतु किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की कार्य विधि, उद्देश्य तथा योजनाओं को विकसित रूप से प्रदर्शित किया जाता है। इसे कांग्रेस इलेक्शन मेनेफेस्टो कहा जाता है।

                                अनुशासन संहिता- चुनाव आयोग द्वारा एक अनुशासन संहिता का गठन किया गया है जिसका पालन उम्मीदवारां, उनके सर्मथकांे एवं मतदाताओं को करना पड़ता है।

                मतदान- पोंलिग एजेण्ट मतदान वाले दिन मतदाताओं की पहचान करते हैं और उन्हें मतदान केन्द्रों पर मतदान पत्र मिलता है। मतदाता, गुप्त मतदान कोठरी में जमा कर अपने मनचाहे उम्मीदवार के नाम व चुनाव चिह्न के सामने वोटर मशीन का बटन दबाते हैं। इस प्रकार उनका मत पूर्ण होता है।

                                जिस उम्मीदवार को अत्यधिक मत मिलते हैं, उसे निर्वाचन अधिकारी द्वारा जीता हुआ घोषित किया जाता है। फिर उन्हें शपथ दिलाई जाती है और अन्त में वे अपना पद भार ग्रहण करते हैं।

                                उपसंहार- उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि भारत में चुनाव आयोग के पास चुनाव कराने के व्यापक अधिकार प्राप्त है- उसी के साथ चुनाव आयोग के कर्तव्य भी संविधान मे इंचित किये हैं। चुनाव आयोग संविधान प्रदत अधिकारेख का प्रयोग करता है।

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