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Hindi Essay on “Nakshtra Yudh – Star Wars” , ”नक्षत्र युद्ध -स्टार वार्स” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

नक्षत्र युद्ध -स्टार वार्स

Nakshtra Yudh – Star Wars

 

                दुनिया के लोगों ने दो महायुद्धों तथा विश्वयुद्धों का संहारक स्वरूप भली-भांति देख लिया। अब अगर दुनिया के लोग तीसरे विश्व युद्ध की कल्पना भी करते हैं तो लोमहर्षण होता है। तृतीय विश्व युद्ध का मतलब वर्तमान सभ्यता का विध्वंस भी हो सकता है, इसके सिवा और कुछ नहीं। यह संहारक युद्ध परमाणु शक्ति द्वारा ही संभव है। दुनिया जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों की विनाश लीला को देख चुकी है।

                द्वितीय विश्वयुद्ध में जिस दिन हिरोशिमा पर अमेरिका ने अणुबम गिराया, उसी दिन से आणविक युग शुरू हो गया। इसके बाद आणविक अस्त्रों का संग्रह करने की होड़ शुरू हो गई। संसार के शक्तिशाली देश आणविक अस्त्रों की होड़ में जुट गए। एक के बाद एक घातक आणविक अस्त्रों का निर्माण होने लगा। अणुबम से हजार गुना शक्ति वाले हाइड्रोजन बम का आविष्कार हुआ। आई.सी.बी.एम. तैयार हो गया। आणविक शक्ति से युक्त पनडुब्बियां बनाई गईं ’मल्पिल वार हेड’ बने। सेवियत संघ ने ए.बी.एम. प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण किया। कू्रज मिसाइल, न्यूटाॅन बम आदि बने। सोवियत संघ ने 1957 में अंतरिक्ष प्रतियोगिता का आंरभ किया। इस प्रतियोगिता का आरंभ स्पुतनिक-1 भेजकर किया गया। इसके बाद सामरिक उद्देश्य से अंतरिक्ष में एक के बाद एक उपग्रह भेजे जाने लगे। उपग्रहों को नष्ट करने के लिए ’लेसर किरणों’ का भी प्रयोग होने लगा। इसके अलावा रासायनिक और जीवाणु युद्ध भी वर्तमान युग की विभीषिकाएं है।

                23 मार्च 1983 को प्रेसीडेन्ट रेगन ने अमेरिका की जनता को संबोधित करके जो भाषण दिया उसे ही नक्षत्र युद्ध (स्टार वार्स) सम्बन्धी भाषण कहा गया। इसमें उन्होने स्पष्ट रूप् से घोषणा की कि भविष्य में कई आणविक अस्त्रों द्वारा आक्रमण होने पर उसे प्रतिहत करने के लिए वैज्ञानिक उपाय करने पडे़ंगे। उन्हें अंतरिक्ष में ही समाप्त कर दिया जाएगा। ’स्टार वार्स’ के नाम से एक लोकप्रिय चलचित्र हाॅलीवुड में बना। 1984 में रेगन के निर्देशानुसार वैज्ञानिकों ªने अपनी गवेषणा की एक नई रूपरेखा तैयार की। दूसरा नामकरण एस.डी.आई. (स्टैटेजिक डिफेन्स इनिशियेटिव) किया गया। पांच साल की अवधि (1985-90) में इस खोज पर 26 मिलियन डाॅलर खर्च हुए। गवेषणा का विषय था अत्यन्त शक्तिशाली ’लेसर किरणों’ द्वारा किसी आणविक क्षेपणास्त्र को अंतरिक्ष में या किसी अन्य इच्छित स्थान पर नष्ट कर देना। इसके अतिरिक्त ’लेसर’ किरणों के नियंत्रण के लिए प्रयोजनीय उन्नत प्रकार के अचूक संयं. भी बनाए।

                टमेरिका की धारणा थी कि उसकी नक्षत्र युद्ध सम्बन्धी योजना सोवियत संघ को भयभीत कर देगी, पर ऐसा हुआ नहीं। विश्व में शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए सोवियत संघ ने अंतरिक्ष युद्ध का मुकाबला करने वाला एक सर्वाधुनिक अस्त्र बना लिया। इस अस्त्र का आवरण इस प्रकार बनाया गया कि ’लेसर किरणों’ के प्रयोग से भी इसे नष्ट नहीं किया जा सकता। दोनों महाशिक्तिलिया देशों की प्रगतियोगिता का कभी अंत नहीं होगा। किन्तु रेगन की नक्षत्र युद्ध सम्बन्धी योजना का विरोध अमेरिका के ही वैज्ञानिक करने लगे। उन्होने मानव जाति को ध्वंस से बचाने के लिए शपथ ली रेगन के नक्षत्र युद्ध की कार्रवाई को धिक्कारा इनमे 15 वैज्ञानिक नोबल पुरस्कार विजेता थे और अमेरिका के बीस श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के भौतिक विज्ञान के प्रसिद्ध अध्यापक भी। उन्होने कहा कि कोई भी व्यवस्था आणविक क्षेपणास्त्र को बेकार नहीं बना सकती। हालांकि रेगन यही चाहते थे। उन्होंने यह कहा भी कि उनका कार्यक्रम संसार में आणविक शास्त्रों की स्पर्धा को बढाएगा। इन वैज्ञानिकों को यह कदम अमेरिका की युद्ध नीति के खिलाफ जिहाद जैसा था।

                विगत  साढे-पांच हजार साल में इस धरती पर बहुत से युद्ध हुए हैं। बहुत क्षति हुई है और अनेक रक्तापाच हुए हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में मानव ने एक महाविभीषिका का प्रत्यक्ष दर्शन किया है तो युद्ध नहीं रूक रहा है। आज भी जगह-जगह युद्ध की आग जल रही है जिसमें मनुष्य की न जाने कितनी संपदा राख हुई जा रही है। आज विश्व के जल, स्थल और अंतरिक्ष में आणविक युद्ध की तैयारी हो रही है। इस व्यापक भावी युद्ध का परिणाम होगा संसर में असंख्य लोगों की मृत्यु। तभी आज सर्वत्र शांति की ही प्रार्थना ध्वनित हो रही है। संसार में करोडों शांतिकामी मनुष्यों की आन्तरिक इच्छा कदापि व्यर्थ नहीं जाएगी।

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