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Hindi Essay on “Mera Priya Mitra” , ”मेरा प्रिय मित्र ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मेरा प्रिय मित्र 

Mera Priya Mitra

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4 Best Essay on “Mera Priya Mitra”

निबंध नंबर : 01

प्रस्तावना – ‘मित्र’ शब्द कहना बहुत आसन है लेकिन एक सच्चा मित्र पाना बहुत कठिन है | एक सच्चा मित्र वही है जो आपकी अवयाशकता  में सहायता, शिक्षा देता है और उचित पथ का मार्गदर्शन करता है | कमजोरियों और अवगुणों को दिखाता है | में बहुत भाग्यशाली हु की मैंने गोविन्द जैसा एक अच्छा मित्र पाया|वह मुझे मेरे स्कूल में मिला | हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं | वह मृदुभाषी है और दयालुतापूर्ण तथा शिष्टाचारी व्यवहार करता है | वह कंप्यूटर का अत्यंत प्रेमी है | वह बहुत बुद्धिमान तथा हमेशा कक्षा में प्रथम आता है |

एक आज़ाकारी पुत्र – उसकी यूनिफार्म हमेशा साफ और स्वच्छ रहती है। वह । सभी शिक्षकों का बहुत सम्मान करता है तथा अपने माता-पिता की आज्ञा मानता है । । उसका शरीर बहुत अच्छा है। वह रोज व्यायाम करता है और सुबह जल्दी उठता है।

कठिन पश्रिमी और मेहनती – वह एक व्यावसायिक परिवार से जुड़ा हुआ है। लेकिन फिर भी वह अपने धन पर कभी घमण्ड नहीं करता। उसके माता-पिता और बहन सभी मृदुभाषी हैं। वह काम में नियमितता, कठिन परिश्रम और अच्छी आदतों से प्यार करता है।

उपसंहार – मैं अपने घनिष्ठ मित्र से बहुत प्यार करता हूं क्योंकि मेरा मित्र ठीक वैसा ही है जैसा मित्र के बारे में कहा गया है। मित्र वही जो वक्त पर काम आये। मेरा मित्र गोविन्द न सिर्फ मेरे वक्त पर काम ही आता है बल्कि वह जरूरत पड़ने पर किसी भी विषय पर मुझे उचित मार्गदर्शन भी देता है। मुझे अपने मित्र पर गर्व है।

 

मेरा प्रिय मित्र

Mera Priya Mitra

निबंध नंबर : 02

इंसान एक सामाजिक जानवर है। वह अकेला नहीं रह सकता। वह अपने जीवन की खुशियों तथा दु:खों को बाँटने के लिए एक साथी चाहता है। एक सच्चा दोस्त जीवन की जरूरत है। वह जीवन में औषधि का कार्य करता है। वह हर अच्छे-बुरे हालात में आपके कसाथ होता है। वह प्रेरणा का स्त्रोत होता है तथा जीवन में अच्छे काम करने के लिए आप को प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार के मित्र आसानी से जीवन में नहीं मिलते। खुशकिस्मती से मेरे जीवन में एक ऐसा दोस्त है। उसका नाम गौरव है।

गौरव मेरा सहपाठी है। वह मेरी उम्र का है। वह एक अच्छे परिवार से सबध रखता है। उसके पिता जी डाक्टर हैं। उसकी माता जी एक कालेज में पढ़ाती हैं। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। वह अक्सर हमारे घर आता है। हम साथ मिलकर पढ़ाई भी करते हैं। वह एक मीठा बोलने वाला लड़का है। वह कभी किसी से झगड़ा नहीं करता। वह सभी दोस्तों की सहायता करता है। वह बड़ों की इज्जत करता है। अध्यापक भी उसकी बहत तारीफ करते हैं।

गौरव पढ़ने में बहुत अच्छा है। वह कक्षा में हमेशा अव्वल आता है। वह स्कूल के लिए बहुत पाबंद है। वह हमेशा नियमों का पालन करता है। वह अपने खाली पीरियड व्यर्थ नहीं करता। वह रोज़ाना पुस्तकालय जाता है। वह नई-नई पत्रिकाएँ पढ़ता है। उसको सदा नई जानकारियां होती हैं। वह सदा अपनी जानकारी सभी दोस्तों के साथ बाँटता है। वह प्रतियोगिताओं में अक्सर भाग लेता रहता है। उसने कई ईनाम भी जीते हैं। वह दिल तथा दिमाग से बहुत तेज़ है।

गौरव को खेलों की अहमियत भी पता है। इसलिए वह खेलों में भाग लेता है। वह क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी है। उसने कई क्रिकेट के टूर्नामैंट खेले हैं। क्रिकेट के खेल ने उसे समझदार और शांत बनाया है। उसके चेहरे पर सदा एक बच्चे जैसी मुस्कुराहट होती है। वह एक सच्चा मोती है। वह केवल अपने परिवार का ही नहीं बल्कि स्कूल का भी गर्व है। भगवान उसे अच्छा तथा तन्दरुस्त जीवन प्रदान करें।

 

मेरा प्रिय मित्र

Mera Priya Mitra

निबंध नंबर : 03

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। जीवन में सफल होने के लिए उसे सहयोग की आवश्यकता होती है। इसलिए वह अनेक लोगों से सम्पर्क बनाता है। ऐसे समय में उसके मित्र उसके लिए बहुत सहायक होते हैं। संसार में मित्रों की कमी नहीं। मित्र तो हर किसी को बनाया जा सकता है, परन्तु सच्चा मित्र बनाने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। सुख में तो सभी मित्र बन जाते हैं परन्तु सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति में काम आता है। सच्चा मित्र मिलना बहुत कठिन है। धन्य है वह व्यक्ति जिसने सच्चा मित्र पा लिया है।

मोहन मेरा प्रिय मित्र है। उसका कद लम्बा, शरीर सुडौल है। वह सुन्दर और पूर्णतः स्वस्थ है तथा बड़े शान्त स्वभाव का एवं हंसमुख है। वह मेरे बचपन का साथी है। हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। वह गुणों का भंडार है। उसका हृदय उदार है। यदि मैं कोई गल्त काम करने लगूं तो मुझे समझा-बुझा कर सावधान कर देता है।

वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। इसके पिता जी डाक्टर है और बहुत धनी हैं। फिर भी वह उनके धन का दुरुपयोग नहीं करता। उसके पिता पढ़ाई में उसकी सहायता करते हैं और वह अपने पिता के काम में सहायता करता है। उसके पिता जी ने उसे अच्छे संस्कार दिए हैं। इसलिए मोहन सदा सब की भलाई की बात सोचता है और सबकी भलाई करता है। इसीलिए डाक्टर साहब उसे बहुत प्रेम करते हैं और उस पर पूरा विश्वास करते हैं। मैं जब भी मोहन के घर जाता हूँ, वह मुझे बहुत प्यार करते हैं।

मोहन अपनी कक्षा का सबसे मेधावी और बद्धिमान छात्र है। वह श्रेणी में सदा प्रथम स्थान प्राप्त करता है। सभी अध्यापक उसका सम्मान करते हैं और पढ़ाई में उसकी सहायता करते हैं। वह स्कूल के दूसरे कार्यक्रमों में भी भाग लेता है। भाषण प्रतियोगिताओं, खेलों में प्रथम स्थान प्राप्त करके उसने स्कूल का नाम रोशन किया है।

उसमें समाज-सेवा की भावना भी विद्यमान है। वह गरीब बच्चों की पढ़ाई में सहायता करता है। अपनी कक्षा में वह उन बच्चों का मार्ग-दर्शन करता है जो पढाई में पीछे रह जाते हैं। वह हर किसी से स्नेहपूर्ण व्यवहार करके उनका मन जीत लेता है। उसका प्रेममय हृदय सबको लुभाता है।

वह अपने स्कूल की पत्रिका के लिए लेख भी लिखता है। ये लेख समाज तथा देश की पीड़ा को प्रकट करने वाले होते हैं। मुझे आशा है कि मेरा मित्र एक दिन समाज एवम् राष्ट्र की महान् सेवा करेगा। मुझे अपने मित्र पर गर्व है। भगवान् उसकी आयु लम्बी करे।

मेरा प्रिय मित्र

Mera Priya Mitra

निबंध नंबर : 04

मित्र कौन?-मनुष्य जीवन-पथ पर अकेला चलने में कठिनाइयों का सामना करता है। उसे ऐसे व्यक्ति की खोज रहती है, जो उसके दुख-सुख, हर्ष-विषाद में साथ देनेवाला हो, जिस पर विश्वास किया जा सके। सच्चा मित्र अमूल्य निधि होता है। सच्चे मित्र की प्राप्ति से जीवन-रूपी उद्यान में वसंत की बहार आ जाती है। कविवर रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है-

मित्रता बड़ा अनमोल रत्न,

कब इसे तोल सकता है धन?’

सच्चा मित्र वही है, जो सदा मित्र का कल्याण सोचे, कुमार्ग से बचाए, सुमार्ग पर ले जाए तथा हर स्थिति में साथ दे, मित्र की परख विपत्ति या संकट की स्थिति में होती है।

मेरा प्रिय मित्र-मेरा सबसे प्रिय मित्र डेविड है। डेविड में एक सच्चे मित्र के सारे गुण मौजूद हैं। वह पढ़ने-लिखने में जितना तेज है, खेलकूद में भी उतना ही बढ़-चढ़कर भाग लेता है। वह शांत स्वभाव का तथा हँसमुख है। वह शिष्ट, भावुक, मेहनती एवं सबका प्रिय है। वह प्रतिभावान, विवेकशील, सच्चरित्र और विद्यालय के सभी  सहपाठियों एवं शिक्षकों का प्रिय है। उसका मेरे प्रति विशेष लगाव है। वह हर समय मेरी सहायता करता है। हम दोनों के माता-पिता हमारी मित्रता से प्रसन्न हैं।

डेविड जैसा मित्र सभी को नहीं मिलता है।

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commentscomments

  1. Nirmal says:

    Nice but difficult

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