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Hindi Essay on “Manoranjan Ke Adhunik Sadhan” , ” मनोरंजन के आधुनिक साधन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मनोरंजन के आधुनिक साधन

Manoranjan ke Adhunik Sadhan

Best 4 Essays on “Manoranjan ke Aadhunik Sadhan” in Hindi

निबंध नंबर :-01 

मनुष्य दिन भर शारीरिक व् मानसिक श्रम करके थक जाता है | वह इस थकान को मनोरंजन के द्वारा दूर करना चाहता है | दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यकलापो में उसे अनेक प्रकार की उलझने, निराशा और नीरसता का सामना करना पड़ता है | इन सभी को समाप्त करने के लिए तथा मन की एकाग्रता के लिए मनोरंजन के साधनों का होना आवश्यक है | जिस प्रकार मनुष्य को शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन को स्वस्थ रखने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता होती है |

प्रत्येक व्यक्ति की रूचि भिन्न प्रकार की होती है | अंत : वह अपनी रूचि के अनुसार ही मनोरंजन के साधनों की खोज करता रहता है | कुछ व्यक्ति अपना मनोरजन केवल पुस्तके पढकर, रेडियो सुनकर व् टेलीविजन देखकर ही कर लेते है जब की दुसरे व्यक्ति सिनेमा , खेलकूद, बागवानी, कवि सम्मेलन व भ्रमण द्वारा मनोरंजन करना अच्छा समझते है | समय के परिवर्तन से भी मनोरंजन के साधनों में बदलाव आया है | पुरातन काल में मनुष्य तीर्थ यात्राएँ करके या प्रकृति का आनन्द लेकर ही मनोरंजन कर लेता था |

आधुनिक युग में मनुष्य कम समय में अधिक मनोरंजन चाहने लगा है | विज्ञान की प्रगति के कारण आज अनेक ऐसे साधन उपलब्ध हो गए है, जैसे रेडियो , दूरदर्शन , चित्रपट , ट्रांजिस्टर आदि | रेडियो द्वारा जिन कार्यक्रमों को सुनकर हम आनन्द प्राप्त करते है , दूरदर्शन द्वारा उन्ही कार्यक्रमों को अपनी दृष्टि से देखकर उनका अधिक आनन्द उठाते है | क्रिकेट, हाकी, फुटबाल, टेनिस, कबड्डी आदि खेलो से खिलाडी और दर्शको का घर से बाहर मैदान में अच्छा मनोरंजन हो जाता है | ये खेल मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है | शतरंज, चौपड़, ताश, कैरम, साप-सीढी, जूडो आदि अनेक ऐसे खेल है जिनसे घर में बैठे रह कर मनोरंजन किया जा सकता है | अच्छे साहित्य का अध्ययन भी घरेलू मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन है |

आज का शिक्षित वर्ग उपन्यास-कहानियों द्वारा अपना मनोरंजन कर रहा है | कुछ धार्मिक विचारो के लोग गीता, रामायण व उपनिषद आदि धार्मिक ग्रन्थो को पढ़ या सुन कर मनोरंजन करते है | मनुष्य के पास मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध है | वह अपनी स्थिति , रूचि और सुविधा के अनुसार उनका चयन –कर सकता है परन्तु देखना यह है की वे साधन स्वस्थ एव सुरक्षात्मक हो | अपने को या किसी अन्य को किसी प्रकार की हानि पहुँचाने वाले न हो |

 

निबंध नंबर :-02

आज के आधुनिक साधन

Aaj Ke Adhunik Sadhan

प्रस्तावना- सुबह से शाम तक पूरे दिन काम करके मनुष्य शारीरिक विश्राम के साथ-साथ मानसिक विश्राम भी करना चाहता है जिससे उसकी पूरे दिन की थकान समाप्त हो जाए और फिर से वह चुस्त-दुरूस्त तथा प्रफुल्लित हो जाए। इसके लिए वह अपनी रूचि अनुसार मनोरंजन के साधनों का प्रयोग करता है।

जीवनयापन के साधन-प्राचीन समय में मनुष्य का जीवन और उसके यापन के साधन बहुत थे, तब उसे मनोरंजन के इतने साधनों के विषय में ज्ञान नहीं था। मगर आज मानव का जीवन अस्त-व्यस्त एवं बहुत ही संघर्षमय हो गया है, जिससे छुटकारा पाने के लिए उसे मनोविनोद के साधनों की परम आवश्यकता पडती है।

प्राचीन युग मे मानव के साधन केवल देशी खेल होते थे। इनके अलावा कठपुतलियों के खेल-तमाशे, नौटकियां, रामलीला आदि से भी मानव अपना मनोरंजन कर लेते थे।

आज के मनोरंजन –साधन- आधुनिक युग में विभ्भिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन उपलब्ध है। इनमें से कई तो विज्ञान की प्रगति की ही देन हैं जिसमें रेडियों, दूरदर्शन तथा सिनेमा मुख्य हैं। इन्हें सभी लोग बडे ही ध्यानपूर्वक सुनते तथा देखते है।

रेडियो के द्वारा जिन कार्यक्रमों को सुनकर जहां एक ओर मानव आनन्दित होता है वहीं दूसरी ओर दूरदर्शन को द्वारा उन्हीं क्रर्यक्रमों में भाग लेने वालों को देखकर अधिक आनन्दित होता है।

रेडियों तथ दूरदर्शन को केवल घर में ही सुना व देखा जा सकता है जबकि सिनेमा को देखने के लिए हमें सिनेमाहाॅल में जाना पडता है, परन्तु इनके संगीत और अभिनय को चित्रपट पर देखकर हम अधिक मनोरंजन करते है।

मैदान में खेले जाने वाले सभी प्रकार के खेल; जैसे-क्रिकेट, हाॅकी, बास्केट बाल, कबड्डी गोल्फ, टेनिस, आदि खेलों से खिलाडी और दर्शकों का अच्छा मनोरंजन होता है।

युवक, युवतियां यहां तक कि बुजुर्गों के लिए भी ये खेल अत्यन्त लाभकारी होते है। शतरंज कैरम, लूडो, चैपड, ताश, सांप-सीढी आदि खेलों से घर पर बैठकर ही मनोरंजन किया जा सकता है।

मनोरंजन के अन्य रूप-यात्रा करना भी मनोरंजन का एक रोचक, ज्ञानवर्धक एवं सुन्दर साधन है। मेले, पदर्शनियां, सर्कस, अजायबघर व चिडियाघर भी मनोरंजन के महत्वपूर्ण साधन माने जाते है।

शिक्षित वर्ग अपना मनोरंजन पुस्तकालयों में जाकर उपन्यास, नाटक, कहानी तथा कविता पढकर भी करते हैं। कुछ व्यक्ति तरह-तरह के नाॅवेल पढकर भी अपना मनोरंजन करते है। कुछ संगीत के प्रेमी वाद्यों को बजाकर तथा उनकी मधुर धुनों को सुनकर ही आनन्दित होते हैं। चित्रकारी तथा शिल्पकारी भी मनोरंजन का एक साधन है।

उपसंहार- इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि मानव जीवन में मनोरंजन बहुत आवश्यक है। इसके बिना मानव जीवन बेकार है, परन्तु हमें चाहिए कि हम अपनी रूचि के अनुसार ही उच्चकोटि के साधनों का प्रयोग करें। मनोरंजन के द्वारा जीवन को एक नयी स्फूर्ति तथा आनन्द प्राप्ति होती है।

निबंध नंबर :-03

मनोरंजन के आधुनिक साधन

Manoranjan ke Adhunik Sadhan

प्राचीन समय में बादशाह और राजे-महाराजे अपने दरबार में ऐसे लोगों की नियुक्ति करते थे जो उनका मनोरंजन कर सकें। उनमें तानसेन जैसे सर्वोत्कृष्ट गायक होते थे। राजा लोग नृत्य मंडलियां भी रखते थे, जिनसे उनका मनोरंजन होता था। तानसेन मुगल सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक था। किन्तु सामान्य जनता को इन सब मनोरंजन के साधनों का आनन्द नहीं मिल पाता था। सामान्य जनता के मनोरंजन का साधन यही था कि वे मंदिरों में जाते थे और ईश्वर-भक्ति सम्बन्धी भजन और प्रार्थनाओं का गायन करते थे। उन्हें इन सामान्य प्रार्थनाओं में ही आनन्द आता था। कभी-कभी वे अपने घरों में भी गायन एवं संगीत के आयोजन करते थे। कुछ दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ‘भजन और स्वांग (नौटंकी) भी लोगों के मन-बहलाव का साधन थे। खेल तथा कुश्ती-प्रतियोगिता भी मनोरंजन के साधन थे। लेकिन उन दिनों रेडियो अथवा टेलीविजन जैसे साधन उपलब्ध नहीं थे। आज की तरह लोग सिनेमा का आनन्द नहीं ले पाते थे।

किन्तु जैसे-जैसे समय गुजरता गया, लोग मनोरंजन के नए साधनों का अन्वेषण करने लगे। आज लोग सिनेमाघरों में जाते हैं और चलचित्र देखते हैं। यह अधिक खर्चीला भी नहीं है। मनोरंजन और आनन्द प्राप्ति के नाम पर ढाई घण्टे सिनेमा हाल में गुजारने होते हैं और कुछेक रुपये खर्च करने होते हैं।

अतः सिनेमा मनोरंजन के आधुनिक साधनों में से एक है। लोगों को कहानी, संवाद, गायन और नृत्य का आनन्द एक साथ मिलता है। सिनेमा देखने अत्यन्त साधारण और सामान्य लोग भी जाते हैं। इसलिये सिनेमाघरों में ऐसी फिल्में दिखाई जानी चाहिये जिनसे राष्ट्र के चरित्र का निर्माण हो सके। वे अश्लील नहीं होनी चाहिये।

रेडियो और रेडियोग्राम भी मनोरंजन के साधन हैं। हम घर बैठे चिरपरिचित तथा प्रख्यात गायकों के गाने सुन सकते हैं। रेडियोग्राम दो उद्देश्यों की पूर्ति करता है। इससे हम ग्रामोफोन के रिकार्ड भी बजाकर सुन सकते हैं। इस प्रकार यह हमें दोहरा सुख प्रदान करता है। हम रेडियो संगीत का आनन्द भी उठा सकते हैं और ग्रामोफोन संगीत का भी। रेडियो सैट तो आजकल घर-घर में हैं। इनकी कीमत बहुत ही कम है और गरीब लोग भी खरीद सकते हैं। कुछ लोग टेपरिकार्ड किया हुआ संगीत सुनने के लिए टेपरिकार्डर का प्रयोग भी करते हैं।

अब लोगों में टेलीविजन सैट का प्रचलन भी हो चला है, लेकिन यह बहुत महंगा शौक है। गरीबों के लिये तो टेलीविजन रखना बहुत ही मुश्किल है। एक टेलीविजन सैट की कीमत लगभग 4500 रुपये से 25,000 रुपये तक आती है, किन्तु कुछ कम्पनियां बहुत सस्ती कीमत में और वह भी किस्तों पर टेलीविजन सैट खरीदने की सविधा प्रदान कर रही हैं। यही कारण है कि अब बहुत सारे घरों में टेलीविजन सैट दिखाई देने लगे हैं।

टेलीविजन सैट पर जो कार्यक्रम दिखाई देते हैं वे टेलीविजन स्टूडियो से रिले किये जाते हैं। टेलीविजन सैट के पर्दे पर हम सभी चीजें देख सकते हैं। कभी-कभी टेलीविजन पर चलचित्र (फिल्म) भी दिखाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी अनेकानेक कार्यक्रम, नृत्य और गायन, समाचार और विज्ञापन भी भारत के टेलीविजन कार्यक्रमों के अन्तर्गत प्रसारित किए जाते हैं।

कार्यक्रम प्रसारण के लिए कई राज्य सरकारें संचार उपग्रह का प्रयोग कर रही हैं। इस तकनीक द्वारा कार्यक्रम की विस्तार क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और अपेक्षाकृत अधिक दूरी तक अर्थात् सुदूर गांवों तक कार्यक्रम दिखाये जा सकते हैं।

रंगमंचीय कार्यक्रम भी आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। इनमें कलाकार सीधे मंच पर आकर गायन और नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। इनकी विषय-वस्तु या तो ऐतिहासिक होती है अथवा सांस्कृतिक। हमारी संस्कृति की पुनस्थापना के साथ-साथ नृत्य और संगीत की पुनस्थापना पर विशेष बल दिया जा रहा है, क्योंकि संगीत और नृत्य हमारी संस्कृति के एक बहुत बड़े हिस्से की रचना करते हैं।

आधुनिक समय में भी हमें कुछ लोग हारमोनियम पर गीत गाते हुए भी दिखाई देते हैं। वे पेशेवर गायक हैं। वे अपनी इस कला से स्वयं अपना मनोरंजन तो करते ही हैं, साथ ही उनका मनोरंजन उनके साथ-साथ दूसरों के मनोरंजन का साधन भी बन जाता है।

रंगमंच तथा अन्य कार्यक्रमों में कव्वाली भी शामिल है। कव्वाली के कार्यक्रम भी अलग से किए जाते हैं। इससे श्रोताओं में आनन्द एवं स्फूर्ति का संचार होता है। कुछ वाद्य मंडलियां होटलों तथा अन्य जगहों में भी अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं तथा स्कूल व कालेज में भी अब ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाने लगे हैं, लेकिन यह एक निर्विवाद तथ्य है कि मौजूदा समय में टेलीविजन, रेडियो, रेडियोग्राम और सिनेमा आदि मनोरंजन के आधुनिक साधनों पर विशेष बल दिया जाता है।

निबंध नंबर :-04

मनोरंजन के आधुनिक साधन

Manoranjab ke Aadhunik Sadhan

 

आज के मनुष्य का जीवन संघर्षपूर्ण है। उसे अपना अस्तित्व कायम रखने की अपनी आजीविका कमाने के लिए सुबह से शाम तक कठोर परिश्रम करना पड़ता है। शाम को जब वह थका हुआ घर वापस आता है तो वह शारीरिक विश्राम के साथ-साथ मानसिक विश्राम भी चाहता है जिससे उसका थका मांदा मन किसी प्रकार बहल जाए। मनोरंजन की पृष्ठभूमि में यही प्रवृत्ति काम करती है। आज विज्ञान ने जहां अन्य क्षेत्रों में क्रांति उत्पन्न की है वहां मनोरंजन के साधन भी अछूते नहीं रहे हैं। प्राचीन काल में लोक गीत, नौटंकी, मेले, दंगल, बाज़ीगरों के खेल जैसे मनोरंजन के साधन थे जो मनुष्य को कभी-कभी प्राप्त होते थे परन्तु आज एक से बढ़कर एक

मनोरंजन के साधन है।

क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, बैडमिंटन, टेनिस, कबड्डी आदि मैदान के खेलों से खिलाड़ियों एवं दर्शकों का अच्छा मनोरंजन होता है। इनसे मनोरंजन के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। बड़े-बड़े नगरों में जब ये खेल होते हैं तो लाखों दर्शक एकत्रित हो कर अपना मनोरंजन करते हैं। केरम, चौपड़, शतरंज आदि खेलों से आप घर बैठे बैठे ही अपना मनोरंजन कर सकते हैं। यह ऐसे व्यक्तियों के लिए लाभदायक हैं जो घर से बाहर निकलना पसन्द नहीं करते। कुछ लोग ताश भी खेलते हैं और ताश के साथ साथ जुभा भी खेलते हैं जो कि एक बुरी आदत है।

कुछ लोगों को यह शौक हो जाता है कि कैमरा कन्धे पर लटकाया और चल दिए जंगल की ओर, जहां का दृश्य अच्छा लगा, वहीं का फोटो ले लिया। कुछ लोगों को, अधिकतर छात्र वर्ग को, भ्रमण का बहुत शौक होता है। भ्रमण करना भी मनोरंजन के साधनों में एक सुन्दर साधन है। प्रकृति के अनेक मनोरम दृश्य, कल कल करती नदियाँ, झरनों से झर-झर बहता पानी, मुस्कुराती हुई कलियों को देखकर कौन होगा जो प्रसन्न न हो उठे। बुद्धिमान व्यक्तियों का मनोरंजन अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से होता है और मूर्खों का लड़ने, सोने और अनेक प्रकार के दुर्व्यस्नों में फंस कर। नित्य नए-नए उपन्यासों का प्रकाशित होना तथा हाथों हाथ बिक जाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। धार्मिक प्रवृत्ति के मनुष्य आज भी धर्मग्रंथ तथा धार्मिक पुस्तक का पाठ कर लेते हैं।

चलचित्र का आज के मनोरंजन के साधनों में प्रमख स्थान है। चलचित्रों के माध्यम से हम दुर्लभ वस्तुएं, दूर-दूर के शहर, प्राकृतिक दृश्य आदि देख सकते हैं। जलचित्रों से मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान की वृद्धि भी होती हैं। चलचित्र से मिलता-जलता मनोरंजन का साधन टेलीविज़न है। इनके द्वारा हम समाचार, महान् व्यक्तियों से भेंट कार्यक्रम, चलचित्र आदि देखकर तथा संगीत सन कर मनोरजन कर सकते हैं। रेडियो मनोरंजन का सबसे सरल और कम व्यय वाला आधुनिक साधन है। साथ ही इसके अनेक केंद्रों से हम अपनी मनपसंद के कार्यक्रम सुन सकते हैं और अपना मनोरंजन कर सकते हैं।

नाटक चाहे मनोरंजन का प्राचीन साधन है फिर भी आज की रंग सज्जा, ध्वनि आयोजन, रंग मंच कला, प्रकाश का प्रभाव तथा संगीत आदि के कारण इसे एक नया ही रूप मिल गया है। आज का नाटक केवल राम लीला तक ही सीमित न रह कर मनोरंजन का एक प्रगतिशील अंग बन गया है।

समाचार पत्र और साहित्य-ये दोनों साधन ज्ञान प्राप्त के साधन के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन हैं। साहित्य में पाई जाने वाली कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, जीवनियां, चुटकले आदि ज्ञान के साथ-साथ मनोविनोद और मनोरंजन के भी साधन हैं। यह एक सस्ता साधन है जिससे निर्धन व्यक्ति भी अपना मनोरंजन कर सकता है। हम यात्रा कर रहे हों ऐसे समय में कोई कहानियों की पुस्तक मिल जाए या कोई समाचार-पत्र या पत्रिका हाथ लग जाए तो उससे समय भी व्यतीत हो जाता है और साथ में मनोरंजन भी हो जाता है।

इसके अतिरिक्त खेलों के आयोजन, विशेष उत्सव, कला प्रदर्शनियाँ आदि अनेकों अन्य साधन हैं जो मनुष्य का मनोरंजन करते हैं। परन्तु इनमें से कुछ साधन इतने महंगे होते हैं कि साधारण लोग इनका भरपूर लाभ नहीं उठा पाते और कुछ साधनों का अनपढ़ व्यक्ति भी लाभ नहीं ले पाते जिससे वे नशीले पदार्थों के सेवन की ओर प्रवृत्त होते हैं। सरकार को चाहिए कि वह स्वस्थ मनोरंजन के लिए जगहजगह छवि-गृहों और दूरदर्शन केंद्रों का प्रबन्ध करे और अश्लीलता फैलाने वाले चैनलों पर प्रतिबन्ध लगाएँ।

जहां मनोरंजन जीवन की एक मूलभूत आवश्यकता है वहीं हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं हमारा सारा समय मनोरंजन में ही न बीत जाए क्योंकि हमारा यह जीवन क्षणभंगर है और यह मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम कहीं परिश्रम से कमाया धन मनोरंजन के साधन जुटाने में ही खर्च न कर दें और समय का सदुपयोग करें और साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मनोरंजन ऐसा होना चाहिए जो हमारी भावनाओं और विचारों पर अपना दूषित प्रभाव न डाले। मनोरंजन के साथ-साथ हमारा ज्ञान भी बढ़े और साथ ही जीवन के लिए मार्गदर्शन भी हो और मानव के कल्याण के लिए सही दिशा निर्देश भी हो।

 

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commentscomments

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