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Hindi Essay on “Doordarshan” , ” दूरदर्शन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

दूरदर्शन

Doordarshan

Doordarshan-Essay

4 Best Hindi Essay on “Doordarshan”

निबंध नंबर :- 01

‘दूरदर्शन या टेलीविज़न वर्तमान में मनोरंजन का सर्वाधिक प्रचलित साधन है। इसकी पहुँच आज घर-घर में हो गई है। यह रेडियो का विकसित रूप है। रेडियो श्रवणेंद्रिय को लाभ पहुँचाता है, किन्तु दूरदर्शन श्रवणेंद्रिय के साथ ही नेत्रों को भी आनंद देता है।

दूरदर्शन का आविष्कार 1926 में इंगलैंड के वैज्ञानिक जे. एल. बेयर्ड द्वारा किया गया। भारत में दूरदर्शन का सार्वजनिक प्रसारण सन् 1965 से प्रारम्भ हुआ। दूरदर्शन के सामान्यतः दो प्रकार हैं – श्वेत-श्याम दूरदर्शन और रंगीन दूरदर्शन।

रंगीन दूरदर्शन अधिक लोकप्रिय है, किन्तु इसका मूल्य अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण मध्यम वर्ग ही इसका अधिक लाभ उठाते हैं। उच्चवर्ग के लिये होम थियेटर, इंटरनेट टी.वी. जैसे महँगे माडल उपलब्ध हैं।

दूरदर्शन मनोरंजन के साथ ही साथ शैक्षणिक दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि राष्ट्रीय पर्वो के समय दूरदर्शन के माध्यम से हम घर बैठे राजधानी में होने वाले इन कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य राष्ट्रों के राष्ट्र-प्रमुखों के संदेश घर बैठे सुन सकते हैं एवं इन महानुभावों के प्रत्यक्ष दर्शन कर सकते हैं। किसी-किसी कार्यक्रम में तो फोन सुविधा द्वारा कुछ लोगों से रूबरू तत्काल वार्ता भी कर सकते हैं। देश-विदेश के सुदूर अंचलों में आयोजित खेलकूद, टेस्ट मैच आदि का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर देखा जा सकता है।

आज टेलीविज़न पर इतने अधिक चैनल हो गये हैं कि उनकी संख्या गिनना कठिन है। देशी-विदेशी फिल्मों के चैनल, गानों के चैनल, भक्ति संगीत और प्रवचनों के चैनल, खेलों के चैनल, समाचारों के चैनल, डिस्कवरी चैनल आदि आदि।

इन चैनलों में कार्यक्रमों की विविधता भी है – सामाजिक कथाएँ, पौराणिक गाथायें, आर्थिक मुद्दे, ज्वलंत समस्यायें, पारिवारिक उलझनें, वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, शारीरिक समस्यायें, सौंदर्य सुझाव, आंतरिक साज-सज्जा, युवाओं के फैशन, बच्चों के लिये कार्टून कथायें, ईनामी करोड़पति प्रतियोगितायें, छात्रीय कार्यक्रम और भी न जाने कितने तरह के कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाये जाते हैं।

समाज शिक्षा की दृष्टि से दूरदर्शन एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो रहा है। दूरदर्शन कृषकों को नये कृषि-यंत्रों की उपयोगिता, नयी कृषि तकनीकि आदि का प्रयोग सिखा रहा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में दूरदर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। संक्रामक रोगों से कैसे बचा जा सकता है। महामारियों के समय क्या उपाय करें; मधुमेह, हृदयाघात के रोगी किस प्रकार रोगों से पीछा छुड़ायें आदि विषयों पर चिकित्सा विशेषज्ञ दूरदर्शन पर अपने विचार व्यक्त कर समाज को दिशा निर्देश देते रहते हैं।

व्यापारिक क्षेत्र में विज्ञापन के माध्यम से दूरदर्शन की भूमिका उल्लेखनीय है। अनेक देशों में दूरदर्शन के माध्यम से लाखों छात्र शिक्षा पा रहे हैं।

दूरदर्शन की उपादेयता स्वस्थ कार्यक्रमों के प्रसारण पर अवलम्बित है। अनेक चैनल भौंडे और अश्लील कार्यक्रम दिखाकर जनमानस के मस्तिष्क में अनैतिकता का जहर घोल रहे हैं।

स्वस्थ कार्यक्रमों के अभाव में दूरदर्शन वरदान के स्थान पर अभिशाप बन सकता है। स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का प्रसारण ही मानव जाति को उचित दिशा-निर्देशन दे सकता है।

दूरदर्शन 

निबंध नंबर :- 02

दूरदर्शन आधुनिक वैज्ञानिक युग का महत्त्वपूर्ण आविष्कार है | यह एक ऐसा यन्त्र है, जिसकी सहायता से व्यक्ति दूर की वस्तु एव व्यक्ति को देख और सुन सकता है | इस यन्त्र की सहायता से कानो तथा आखों दोनों की तृप्ति होती है | दूरदर्शन का आविष्कार सन 1926 ई. में इंग्लैण्ड के जान एल.बेयर्ड ने किया था | दूरदर्शन मनोरंजन के साथ –साथ शिक्षा देने, जानकारी बढ़ाने , प्रसार और प्रचार का भी महत्त्वपूर्ण तथा सशक्त साधन है |

आरम्भ में दूरदर्शन काफी महँगा पड़ता था, इसीलिए यह प्रत्येक व्यक्ति को तो क्या प्रत्येक देश तक में सुलभ नही था | धीरे – धीरे इसका प्रचलन और प्रसारण इस सीमा तक बढ़ा की आज यह सर्वत्र देखा और सुना जा सकता है | अब यह राजभवन से देकर झोपडी तक में पहुँच चुका है | पहले यह श्वेत-श्याम स्वरूप में ही प्राप्त था परन्तु अब तो रंगीन दूरदर्शन सारे विश्व में उपलब्ध है | इसके द्वारा हम देश-विदेश में होने वाले खेलो को घर पर बैठकर देख सकते है और उनका भरपूर आनन्द उठा सकते है | इसके अतिरिक्त देश – विदेश में घटित घटनाओं को हम सीधे अपनी आँखों से देख सकते है | आजकर इसके माध्यम से कक्षा में पाठ भी पढ़ाया जाता है जिसे बच्चे भली प्रकार समझ लेते है |

आजकल दूरदर्शन को भू-उपग्रह से जोड़ दिया गया है कि ताकि ग्रामवासी भी इसका भरपूर लाभ उठा सके | आज के व्यस्त जीवन में यह मनोविनोद का बढिया और सस्ता साधन है | इसके द्वारा नाटक , हास्य-व्यंग्य , संगीत, कवि सम्मेलन, चलचित्र तथा अनेक प्रकार के सीरियल देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते है | इसके माध्यम से कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम दिखा कर कृषि कार्यो की अधिकाधिक जानकारी दी जा रही है | इस तरह यह कृषि के विकास में किसानो की सहायता कर रहा है | विज्ञापनों को देकर व्यापारी वर्ग व विभिन्न वस्तुओ के निर्माता अपनी वस्तुओ की बिक्री बढ़ा सकते है | दूरदर्शन अन्तरिक्ष विज्ञान की भी कई तरह से सहायता कर रहा है | सुदूर ग्रहों की जानकारी इसके कैमरे सरलता से प्राप्त कर लेते है | विज्ञान के नित्य नए-नए आविष्कारो ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है | केबल टी.वी. स्टार टी. वी. वी.सी.आर. , कम्प्यूटर खेल आदि ने इसे नया रूप दे दिया है |

दूरदर्शन में कुछ कमियाँ भी दृष्टिगत होती है | इसके प्रकाश से तथा इसे अनवरत देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, यहाँ तक कि आँखे खराब भी हो जाती है | इसके द्वारा कुछ ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते है जिनका बच्चो के मानस पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | इससे बच्चो की पढाई भी प्रभावित (कुठित ) होती है |

निबंध नंबर :- 03

दूरदर्शन

Doordarshan

प्रकृति विज्ञान के हाथ का खिलौना बन गई है। आज व्यक्ति वैज्ञानिक विधियों से बनावटी बादलों से वर्षा कर लेता है। अफ्रीका के मैन्टेक प्लाण्ट में जीवासेनग्रामेनका नामक ऐसा पौधा पैदा किया गया है जो मानवों तथा पशुओं को आकर्षित कर भक्षण करता है। मृत व्यक्तियों के पार्थिव शरीर भविष्य में जीवन की संकल्पना लिये रासायनिक पदार्थो । में विश्राम पा रहे हैं। रूसी प्रयोगशाला नारी के बिना बच्चे के निर्माण में संलग्न है। उपग्रह भी विज्ञान की ही अद्भुत देन है। हमारे जीवन में इनके अनेक उपयोग हैं। दैनिक जीवन । में टेलीकास्ट, दूर संचार, मौसम पूर्वानुमान इन्हीं उपग्रहों के द्वारा हुआ है। अब उपग्रह द्रुत समाचारपत्र प्रेषण तथा समाचारपत्रों की छपाई में भी कार्य करने लगे हैं। अब तो इन उपग्रहों द्वारा टेलीविजन भी चालित हो गए हैं।

विज्ञान ने जहाँ यातायात के लिए हवाई जहाज, वार्तालाप के लिए टेलीफोन, मनोरंजन के लिए रेडियो चलचित्र आदि दिए, वहीं ज्ञान-विज्ञान एवं मनोरंजन के लिए आश्चर्यजनक नवीनतम उपहार दूरदर्शन भी प्रदान किया। इस के माध्यम से हम न केवल आवाज सुनते हैं, अपितु बोलने वाले तथा गाने या भाषण देने वाले व्यक्ति को अपने समक्ष हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति का हम दूरदर्शन पर प्रत्यक्ष दर्शन करते हैं। इस दूरदर्शन रूपी नवीन उपहार को जॉन एल० बियर्ड ने अपने अथक परिश्रम से प्रदान किया। दूरदर्शन मॉर्कोनी के वायरलैस का एक सुधरा हुआ रूप है। इस पर गीत स-साथ उपयुक्त वातावरण के भी प्रत्यक्ष दर्शन करते हैं। नाटक को सुनने के साथ-साथ हम उसके पात्रों को उसी प्रकार देखते हैं जैसे मानो प्रत्यक्ष रंगमंच पर हम नाटक देख रहे हों।

दूर स्थान के अभिनयों को एक स्थान से देखना दूरदर्शन का साधारण अर्थ है। आविष्कार के शब्दों में-दूरदर्शन ने अपने लिये एक अतिरिक्त नेत्र दिया है और वह नेत्र बिजली का नेत्र है जिसकी सहायता से मानव समुद्र पार भी देख सकता है। यह एक बहुत साधारण-सा यन्त्र है जिसे टेलीविजन सैट कहते हैं। यह एक ऐसा अद्भुत यन्त्र है जो वायरलैस की सहायता से एक दृश्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजता है। शोध-कर्ता बियर्ड ने जब प्रथम बार एटलांटिक के दूसरी ओर दृश्य को भेजा तब उन्हें अपार हर्ष हुआ। अन्त में वे अपने अथक प्रयास से दृश्य वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में सफल हो गए।

साधारण विद्युत् द्वारा चालित दूरदर्शन तो निश्चित परिधि तथा विद्युत् युक्त प्रायः नगरा तक ही पहुँच पाते हैं। टावर की ऊँचाई के आधार पर इनर्की सीमा निर्धारित होती है। इन टेलीविजन स्टेशनों से विद्यतमय नगर ही लाभ उठा सकते हैं। अतः ग्रामवासी इस व्यवस्था का आनन्द ले सकेंगे। इसके लिए दूरदर्शन व्यवस्था को भू-उपग्रह के साथ जोड़ दिया गया। यह उपग्रह आकांश में भ्रमण करता रहेगा, टेलीविजन स्टेशन से यक्रम ग्रहण कर सर्वत्र प्रसारित करता रहेगा। इससे ग्रामवासी विशेष रूप से लाभान्वित हो सकेंगे।

डाक-तार इंजीनियरों ने उपग्रह शिक्षण दूरदर्शन प्रयोग के लिए विशेष सहधुरीय कबल व माइक्रोवेव रेडियो संपर्क की स्थापना की है। दूरदर्शन के संकेत पहुँचाने के लिए सहधुरीय केबल नमारकोवेव रेडियो संपर्क का उपयोग पहली बार किया जा रहा है। इससे पहले इनका प्रयोग टेलीफोन, तार व रेडियो कार्यक्रमों के संचार के लिए किया जाता था।

राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, उड़ीसा आदि के 2400 गाँवों में भू-उपग्रह द्वारा लाविजन व्यवस्था का यह नवीनतम प्रयोग प्रारम्भ हो गया है। यह कार्यक्रम बच्चों व स्त्रियों तक को कषि कार्यों की अधिकाधिक जानकारी प्रदान कर रहा है। सास्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं की दृष्टि से राजस्थान और मध्य प्रदेश भाई-भाई है, किन्तु राजस्थान को जोड़ना और मध्य प्रदेश को उड़ीसा से जोड़ना नया प्रयोग है। जिसके परिणाम इस कार्यक्रम को लम्बे समय तक देखने के पश्चात् ही सम्मख इस दूरर्शन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनता में जनजागरण को प्रोत्साहित कर स्वास्थ्य, सामाजिक दायित्व का बोध करना एवं लोकानुरंजन है।

दूरदर्शन जहाँ हमारे लिए लाभप्रद है वहीं कुछ हानिकारक भी है। आँखों पर इसकी लाइट का अनवरत देखने से दुष्प्रभाव पड़ सकता है। दूसरे जब हम टेलीवित सैट अपने घर लगाते हैं, तो पास-पड़ोस के जो भी व्यक्ति देखने आते हैं उनके और की व्यवस्था के साथ नाश्ते तथा खाने-पीने को तो पूछना पड़ता है। साथ ही सागर आए बच्चे बड़ा नुकसान करते हैं। कभी-कभी तो वे कार्यक्रम को सुनने ही नहीं देते है और सैट को भी ले बैठते हैं। इस तरह विभिन्न आपत्तियों का सामना करना पड़ता है।

वास्तव में भू-उपग्रह टेलीविजन व्यवस्था बड़ी आश्चर्यजनक उपलब्धि है। इसमें दूरदर्शन प्रसारण उस महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभाता है जिसमें हम गायक या अभिनय करने वालों की वाणी और अभिनय तथा आकृति को सरलतापूर्वक वास्तविक परिधानों में देखने में समर्थ होते हैं। प्राकृतिक दृश्य भी रंग-बिरंगे रूप में हम देख सकते हैं। यह हमारी कर्णेन्द्रियों के साथ ही नेत्रेन्द्रियों को भी सुख प्रदान करता है। इस तरह दूरदर्शन हमारे लिए अत्यन्त उपादेय एवं अनुपम उपहार है; किन्तु परमाणु द्वारा निर्मित भू-उपग्रह भविष्य में टेलीविजन व्यवस्था के विपरीत क्रांति व्यवस्था का रूप न धारण करे, यही प्रभु से कामना है।

 

निबंध नंबर :- 04

दूरदर्शन

दूरदर्शन आधुनिक युग का एक ऐसा साधन है जो मानव को मनोरंजन देने के साथ-साथ प्रेरणा और शिक्षा भी प्रदान करता है। मनुष्य चाहे किसी भी आयु वर्ग या आर्य वर्ग अथवा किसी भी देश का वासी हो सभी के मन में ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थानों को देखने की लालसा रहती है।

त्रेता युग में महाभारत के युद्ध के समय संजय ने घर बैठे-बैठे ही अपनी हृदयदृष्टि से अंधे धृतराष्ट्र को युद्ध के हाथों का आँखों देखा हाल सुनाया था। इस घटना पर सहसा विश्वास नहीं होता कि क्या इस प्रकार का कोई दिव्य पुरुष रहा होगा जिसने अपनी दिव्यदृष्टि से युद्ध की घटनाओं को साक्षात् देखा होगा। पर जब हम आज विज्ञान के उपहार टी.वी. पर दृष्टिपात करते हैं तो लगता है वह भी संजय की भाँति दिव्यदृष्टि ये युक्त है जो हमें घर बैठे ही देश-विदेश की घटनाओं को अपनी आँखों से दिखा देता है। और दिन-रात हमारा मनोरंजन करता है। आज तो टी.वी. प्रत्येक परिवार की आवश्यकता बन गया है।

दूरदर्शन मनुष्य जाति के लिए वरदान है। मनोरंजन के क्षेत्र में इसने क्रांति उपस्थित कर दी है। इस पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों में देश-विदेश की घटनाओं का सीधा प्रसारण किया जाता है। जल, थल, नभ की गहराइयों के रहस्यों को उजागर किया जाता है। विज्ञान तथा इतिहास की जानकारी प्रदान की जाती है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले अनेक कार्यक्रम जनजागरण करने में भी सक्षम है। दूरदर्शन का प्रभाव इतना व्यापक होता है कि अनेक सामाजिक बुराइयों के प्रति जनाक्रोश जाग्रत करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

छात्रों के लिए तो इसकी और भी उपयोगिता है। आजकल तो यह शिक्षा का माध्यम भी बनाया है। दूरदर्शन पर विज्ञान, इतिहास, भूगोल, गणित जैसे नीरस तथा दुरूह विषयों की शिक्षा अत्यन्त रुचिकर ढंग से दी जाती है। भारत में यू.जी.सी. के कार्यक्रम इस बात का प्रमाण हैं। प्रकृति के रहस्य जिन्हें हम कभी नहीं देख पाते, आज डिस्कवरी चैनल के माधयम से दिखाए जा रहे हैं। इतिहास की ऐसी घटनाएँ जिनकी जानकारी प्राप्त करना कठिन हैं, दूरदर्शन के माध्यमों से दिखाना संभव हो गया है। देश-विदेश की संस्कृति का परिचय दूरदर्शन पर घर बैठे ही प्राप्त किया जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय खेल-कूद समारोह हों या वर्ल्डकप का कोई मैच, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारित किया जाता है। विश्व की प्रत्येक घटना को दूरदर्शन पर देख पाना संभव हो गया है फिर चाहे वह कहीं आया भूकम्प हो या सुनामी लहरों का प्रकोप, किसी ज्वालामुखी का कहर हो या फिर कोई अन्य समारोह- सब विश्व को एक परिवार बना दिया है तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का आदर्श चरितार्थ कर दिया है।

यह तो रही दूरदर्शन की उपयोगिता की बात। व्यवहार में यह देखने में आया है कि इतना उपयोगी दूरदर्शन आज छात्रों के लिए सहायक न बनकर एक बाधा के रूप में सामने आता है। आज का युवावर्ग दूरदर्शन का इतना आदी हो गया है कि वह अपने उद्देश्य को भूल बैठा है। वह अपनी पढ़ाई-लिखाई को विस्मृत करके दिन रात दूरदर्शन से चिपका रहता है जिससे उसके अधययन में तो बाधा पड़ती ही है, उसकी आँखों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। आज जिस अभिभावक से बात कीजिए, उन्हें यही शिकायत होगी कि उनके बच्चे टी.वी. देखते रहते हैं और पढ़ने से जी चुराते हैं।

बात यहीं तक हो तो इतनी गंभीर प्रतीत नहीं होती। बात इससे भी कहीं अधिक भयंकर है। आजकल दूरदर्शन पर अनेक विदेशी चैनल भी आ गए हैं जो मनोरंजन के नाम पर सांस्कृतिक प्रदुषण फैला रहे हैं। उन पर दिखाए जाने वाले अश्लील भद्दे , अनैतिक तथा कामोत्तेजक दृश्यों को देखकर भारत के युवा अपनी संस्कृति को ही भूल बैठे हैं तथा विदेशी संस्कृति की चकाचौंध से दिशा भ्रमित होकर नैतिक मूल्यों से दूर होते जा रहे हैं। अनेक प्रकार की बुराइयाँ इन्हीं कार्यक्रमों के कारण पनप रही हैं। मद्यपान, आलिंगन, चुंबन, अर्धनग्न कैबरे नृत्य जैसे दृश्य युवाओं के कोमल मन पर ऐसा दुष्प्रभाव डालते हैं कि उनका भारतीय संस्कृति के उच्चादशों से भटक जाना स्वाभाविक है।

दूरदर्शन वास्तव में मनुष्य का मनोरंजन का साधन है। यदि दूरदर्शन पर दिखाए जाने से कार्यक्रम सांस्कृतिक प्रदूषण फैला भी रहे हैं, जो इसमें दूरदर्शन का क्या दोष? यह दोष तो उन कार्यक्रमों का है। अत: ऐसे कार्यक्रमों पर अंकुश लगना चाहिए तथा दूरदर्शन को सही अर्थों में ज्ञानवृद्धि, जनजागरण तथा सामाजिक चेतना जगाने के माधयम के रूप में प्रतिष्ठित करना चाहिए। सरकार को इस प्रकार के चैनलों पर अंकुश लगाना चाहिए।

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